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दीपावली के बाजार में छाए रहे हाथ के हुनर से बने स्वदेशी उत्पाद, चीनी प्रोडक्टों से रहा तगड़ा मुकाबला

बाजार पर काफी हद तक कब्जा कर चुके चीनी उत्पादों से इस बार दीपावली पर स्वदेशी संकल्प से मुकाबला था। योगी सरकार ने मिट्टी के दीये लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां आदि बनाने वालों को मशीनें डाई भी उपलब्ध कराईं। नतीजा रहा कि बाजार में स्वदेशी उत्पाद छाए रहे।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 06:59 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 07:04 PM (IST)
दीपावली के बाजार में छाए रहे हाथ के हुनर से बने स्वदेशी उत्पाद, चीनी प्रोडक्टों से रहा तगड़ा मुकाबला
बाजार पर काफी हद तक कब्जा कर चुके चीनी उत्पादों से इस बार दीपावली पर स्वदेशी संकल्प से मुकाबला था।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। वर्षों से कदम बढ़ाते-बढ़ाते बाजार पर काफी हद तक कब्जा कर चुके चीनी उत्पादों से इस बार दीपावली पर स्वदेशी संकल्प से मुकाबला था। सिर्फ भावना ही नहीं, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मिट्टी के दीये, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां आदि बनाने वालों को मशीनें, डाई आदि भी उपलब्ध कराईं। इसका ही नतीजा रहा कि बाजार में हाथ के हुनर से बने स्वदेशी उत्पाद छाए रहे। चीनी उत्पादों के मुकाबले स्वदेशी के कितने कदम बढ़ाए, अब इसका आंकड़ा सरकार जुटा रही है।

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कुछ माह पहले जब पड़ोसी देश चीन से सीमा पर तनाव चल रहा था, तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक संकल्प लिया था कि इस बार दीपावली का बाजार चीन से आने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि स्थानीय कलाकार, शिल्पकार और कामगार यहीं मिट्टी से मूर्तियां बनाएंगे। इस संकल्प को सरकार ने सिर्फ जनता की स्वदेशी भावना के भरोसे नहीं छोड़ा, बल्कि उत्पादों को चीनी उत्पादों के मुकाबले गुणवत्ता में खड़ा करने की तैयारी पूरी की।

माटी कला बोर्ड और सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के जरिए मिट्टी के उत्पाद बनाने वालों को लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बनाने वाली डाई, डिजाइनर दीये बनाने वाली मशीनें उपलब्ध कराईं। यूपी डिजाइन इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षण दिलाया। सिर्फ यही नहीं, दीपावली के ऐन पहले लखनऊ स्थित खादी भवन परिसर में माटी कला मेला लगवाया। इससे उत्पादों की ब्रांडिंग कराई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद भी यह उत्पाद खरीदे। इसका काफी असर दीपावली के बाजार में नजर भी आया। यूपी में ही बने मिट्टी के डिजाइनर दीयों और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों की अच्छी-खासी मांग रही।

अपर मुख्य सचिव एमएसएमई डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि माटी कला मेला लगाए जाने का भी बहुत फायदा मिट्टी के उत्पाद बनाने वालों को हुआ। इसके साथ ही अलग-अलग जिलों के स्वदेशी उत्पादों की बिक्री की क्या स्थिति रही, इसका मोटे-मोटे आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। उम्मीद है कि अच्छी बिक्री हुई होगी। उनसे फीडबैक भी लिया जाएगा। गुणवत्ता सुधार और ब्रांडिंग पर अभी और काम किया जाएगा।


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