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Republic Day Special 2020 : 18 साल तक 26 जनवरी को मना था स्वतंत्रता दिवस, जानिए आखिर क्यों?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने दिसंबर 1929 को लाहौर अधिवेशन में रखा था पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव। लागू होने की तिथि को महत्व देने के लिए ही 26 जनवरी 1950 को लागू किया संविधान।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 08:48 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 08:48 AM (IST)
Republic Day Special 2020 : 18 साल तक 26 जनवरी को मना था स्वतंत्रता दिवस, जानिए आखिर क्यों?
Republic Day Special 2020 : 18 साल तक 26 जनवरी को मना था स्वतंत्रता दिवस, जानिए आखिर क्यों?

लखनऊ [मोहम्मद हैदर]। हर देशवासी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाता है। दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र का जश्न मनाकर हम स्वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर क्रांतिकारियों को नमन करते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आजादी से पहले 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था। करीब 18 वर्ष तक 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस (स्वतंत्रता दिवस) मनाया जाता रहा।

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शहीद स्मृति समारोह समिति के महामंत्री उदय खत्री बताते हैं कि दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर में अधिवेशन हुआ था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। अधिवेशन में पंडित नेहरू ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा था। प्रस्ताव में कहा गया था कि यदि अंग्रेजी हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को उसका प्रभुत्व (डोमिनियन का पद) नहीं देती है तो भारत खुद को स्वतंत्र घोषित कर देगा। 
 
इसलिए कांग्रेस ने 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस (स्वतंत्रता दिवस) घोषित किया। पर जब अंग्रेजी हुकूमत ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए सक्रिय आंदोलन शुरू किया। 26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसी दिन जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगा फहराया था। फिर देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को अधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू होने की तिथि को महत्व देने के लिए ही 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया और इस तिथि को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।
 
दो वर्ष 11 महीने और 18 दिन में लिखा गया था संविधान 
15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने के बाद संविधान सभा का गठन किया गया। फिर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की अगुवाई में दो साल 11 महीने 18 दिन में दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान तैयार किया गया। भारतीय संविधान की हिंदी और अंग्रेजी में दो लिखित प्रतिलिपियां हैं, जिन्हें संसद में हीलियम से भरे केस में रखा गया है। 
 
संविधान निर्माण के लिए बनी थीं 22 समितियां
डॉ. भीमराव आंबेडकर, जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि संविधान सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितियां थी, जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण समिति थी। इस समिति का कार्य संपूर्ण संविधान लिखना था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर थे। संविधान लिखे जाने के बाद डॉ. आंबेडकर ने उसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंपा था। 

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