Independence Day Special: महावीर मंदिर के पास अंग्रेजों से लिया था लोहा Lucknow News
30 जून 1857 को राजधानी में फूंका गया था अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल।
By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 15 Aug 2019 08:54 AM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 08:54 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन।15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था लेकिन राजधानी में इसका बिगुल 30 जून 1857 फूंका गया था। चिनहट के महाबीर मंदिर के पास पहली बार क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से दो-दो हाथ किए थे। यहां 200 अंग्र्रेजी सैनिकों को न केवल मारा गया था बल्कि अंग्रेजों को वहां से भागने पर मजबूर कर दिया गया था। तब अंगे्रजों को भागकर रेजीडेंसी में शरण लेनी पड़ी थी। यह युद्ध 23 मार्च 1858 तक चलता रहा। राजधानी के ऐसे कई स्थान हैं जहां अंग्रेजों से क्रांतिकारियों ने लोहा लिया था।
कब क्या हुआ
एक जुलाई 1857: मौलवी अहमद उल्लाशाह ने मच्छी भवन पर कब्जा करके अंग्रेजों को बाहर का रास्ता दिखाया था। अंग्रेज परास्त हुए और क्रांतिकारियों ने उस पर कब्जा कर लिया था।
दो जुलाई 1857: इस दिन सुबह मौलवी के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने रेजीडेंसी पर आक्रमण किया था। क्रांतिकारियों ने हमले में सर हेनरी लारेंस बुरी तरह घायल कर दिया था।
चार जुलाई 1857 : घायल सर हेनरी लारेंस की मौत हो गई थी और अंग्रेजी हुकूमत में शोक की लहर दौड़ गई।
पांच जुलाई 1857: क्रांतिकारियों ने नवाब वाजिद अली शाह के 17 वर्षीय पुत्र बिरजिस कादर को लखनऊ का नवाब घोषित किया था और बेगम हजरत महल ने उनके नाम पर शासन की डोर संभाली थी।
31 जुलाई 1857: मौलवी ने एक बार फिर रेजीडेंसी में मौजूद अंग्रेजों पर हमला किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
25 सितंबर 1857: हैवलॉक व आउट्रम के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना रेजीडेंसी में प्रवेश की थी और दोनों बाहर नहीं निकल सके थे।
16, 17 व 18 नवंबर 1857: तीनों दिन शहर में हर ओर कत्ल-ए-आम का मंजर था। आलमबाग, दिलकुशा, सिकंदरबाग, मोतीमहल, शाहनजफ रोड व कैसरबाग युद्ध के मुख्य केंद्र बन चुके थे। इसी बीच राजधानी में प्रवेश के दौरान जनरल नील मारा गया था।
19 नवंबर 1857: रेजीडेंसी में फंसे अंग्रेज बमुश्किल से निकाले जा सके और वे दिलकुशा की ओर निकल गए। इसी के साथ कैंपवेल कानपुर निकल गया था।
23 नवंबर 1857: दिलकुशा में जनरल हैवलॉक की मृत्यु हो गई थी और काफी अंग्रेज राजधानी छोड़ इलाहाबाद के लिए रवाना हो गए थे।
15, 21 व 25 फरवरी 1858: कैंपवेल ने एक बार फिर राजधानी पर आक्रमण किया। इस दौरान चक्कर कोठी, आधुनिक स्टेट बैंक, नौबस्ता, चौक, नक्खास, छोटा इमामबाड़ा, सआदतगंज, ऐशबाग, हैदरगंज, कदम रसूल, काजमैन व फिरंगी महल में क्रांतिकारियों और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुए।
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