यूपी चुनाव 2022: हर चुनाव में पार्टियों के बदलते रहे नारे, कोई पार तो कोई हुआ किनारे; जानें- इतिहास
चुनाव चाहे जो भी होंलेकिन वोटरों के नारे पार्टियों को सत्ता तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं। समय व परिस्थिति के अनुरूप इसमे बदलाव जरूर हुए लेकिन वाेटराें के जेहन में घर करने में नारे कामयाब हुए। सपा 22 में बाइसाइकिल के नारे के साथ जंग में उतर चुकी है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। चुनाव चाहे जो भी हों,लेकिन वोटरों के नारे पार्टियों को सत्ता तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं। समय व परिस्थिति के अनुरूप इसमे बदलाव जरूर हुए, लेकिन वाेटराें के जेहन में घर करने में नारे कामयाब हुए। यूपी चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस जहां लड़की हूं लड़ सकती हूं, नारे के साथ यूपी में सत्ता पाने की इच्छा जता रही है तो सोच ईमानदार, काम दमदार के साथ भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने की चाहत रखे हुए है। समाजवादी पार्टी ने भी 22 में बाइसाइकिल के नारे के साथ चुनावी जंग में उतर चुकी है। यूपी को बचाना है बचाना है बहन जी को मुख्यमंत्री बनाना है बनाना है के नारे के साथ बहुजन समाज पार्टी चुनाव में उतर चुकी है। लोकसभा और यूपी विधानसभा के कुछ चर्चित नारों पर पेश है एक नजर।
जय जवान, जय किसानः 1965 में पाकिस्तान युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने यह नारा दिया था। 1966 में उनके निधन के बाद 1967 में हुए आम चुनाव में यह नारा 'जय जवान, जय किसान' गुंजायमान हो उठा और सरकार बन गई।
गरीबी हटाओः 1969 में पार्टी दो भागों में टूटी कांग्रेस (आर) इंदिरा गांधी की और कांग्रेस (ओ) मोरारजी देसाई की बन गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 के चुनाव से पहले 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया और सरकार बन गई। तत्तकालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और राहुल गांधी भी इसका इस्तेमाल करते हैं।
इंदिरा हटाओ, देश बचाओः 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रायबरेली से इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया तो उन्होंने 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगा दी। जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा हटाओ, देश बचाओ का नारा देकर 1977 में कांग्रेस को सत्ता से हटा दिया।
राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर हैः 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। वीपी सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर राजीव गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनके समर्थकों ने नारा दिया- राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है। इसके चलते 1989 के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई।
भूरा बाल साफ करोः 90 के दशक के शुरुआती दौर में बिहार में नफरत की राजनीति को दर्शाता एक नारा काफी चर्चित हुआ था, जो था- 'भूरा बाल साफ करो। बिहार में लालू यादव की सरकार बन गई।
मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय श्रीरामः राममंदिर आंदोलन के बाद बीजेपी की लहर को रोकने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और बीएसपी के संस्थापक कांशीराम ने 1993 में हाथ मिला लिया। दोनों ने 'मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय श्रीराम' का चर्चित नारा दिया। उस साल के यूपी विधानसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी गठबंधन ने जीत हासिल की। 1995 में यह गठबंधन टूट गया था।
तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चारः उत्तर प्रदेश में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने 'तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार' जैसा उत्तेजक नारा दिया था। 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में 'हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं' का नारा दिया तो पहली बार मायावती के नेतृत्व में सरकार बनी।
सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारीः 1996 में बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी को केंद्र में रखकर नारा दिया- सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी। चुनाव में बीजेपी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी और13 दिन के लिए अलट जी प्रधानमंत्री बने।
इंडिया शाइनिंग और कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथः 2003 में बीजेपी ने इंडिया शाइनिंग का नारा दिया। जवाब में कांग्रेस ने कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ का नारा देकर कांग्रेस की अगुआई में यूपीए की सरकार बनाई।
अबकी बार मोदी सरकार और अच्छे दिन आने वाले हैंः 2014 के लोकसभा चुनाव में 'अच्छे दिन आने वाले हैं', 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा दिया। इस चुनाव में बीजेपी की जीत हुई।
मोदी है तो मुमकिन हैः 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 'एक बार फिर मोदी सरकार' के साथ-साथ 'मोदी है तो मुमकिन है' का नारा दिया है। कांग्रेस ने 'कट्टर सोच नहीं, युवा जोश' का नारा दिया है। 'इंदिरा हटाओ, देश बचाओ' की तर्ज पर ममता बनर्जी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने 'मोदी हटाओ, देश बचाओ' का भी नारा दिया है। सभी पर भाजपा भारी पड़ी और सरकार बना लिया।