यहां क्रेन से विसर्जित हुई 10 फीट लंबी मां दुर्गा की प्रतिमा, घाटों पर सिर्फ जयकारों की गूंज
10 घाट और 12 नावों से विसर्जित हुईं प्रतिमाएं। धुनुचि नृत्य और गाजेबाजे के साथ निकली विसर्जन शोभा यात्रा।
लखनऊ(जेएनएन)। ढाक की थाप पर धुनुचि नृत्य करते युवा व युवतियां, मां के जयकारे से गुंजायमान वातावरण, शंख की गूंज और वातावरण में उड़ता गुलाल, पंडालों में शोभायात्रा से पहले सिंदूर खेला में शामिल होती महिलाएं। कुछ ऐसा ही माहौल शुक्रवार को पंडाल से लेकर प्रतिमा विसर्जन स्थल तक नजर आया। मौका था, मां दुर्गा की परंपरागत विसर्जन शोभा यात्रा का। झूलेलाल घाट को सात बड़ी और तीन छोटी प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए अलग से घाट बनाए गए थे। इसके लिए 12 नावों की व्यवस्था भी की गई थी। समितियों से छोटी प्रतिमा के 800 और बड़ी प्रतिमा एक हजार रुपये विसर्जन शुल्क जमा कराए गए।
श्री दुर्गा पूजा विसर्जन कमेटी के अध्यक्ष रूपेश मंडल, महासचिव दीपक हलधर, रतन चटर्जी व रंजन चटर्जी समेत समिति के पदाधिकारियों की मौजूदगी में प्रतिमाओं के विसर्जन का क्रम शुरू हुआ। झूलेलाल घाट पर गाजेबाजे के साथ आए श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखते ही बन रहा था। बंगाल की परंपरागत वस्त्रों को धारण किए श्रद्धालु घाट पर थिरके तो दूसरी ओर श्रद्धालुओं की टोलियां मां के जयकारे लगाती दिखाई दी। बंगाल का परिधान गरद और सिंदूर से सजी महिलाओं के हुजूम से पूरा झूलेलाल घाट मिनी बंगाल के स्वरूप में नजर आया। दोपहर बाद से ही सड़कोंं पर दिखने लगी दुर्गा समितियों की शोभायात्राओं और अबीर गुलाल से पुते चेहरे लिए श्रद्धालुओं ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच धूमधाम से मां दुर्गा की प्रतिमाओं को नाव पर सवार कर आदि गंगा गोमती में प्रवाहित किया।
पहली बार क्रेन, विसर्जित हुई मां दुर्गा
झूलेलाल घाट पर पहली बार 10 फीट लंबी मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन क्रेन के माध्यम से किया गया। अलीगंज के दुर्गा पूजा समिति की ओर से होने वाली पूजा में आयोजक मंडल के सदस्य बुजुर्ग हैं। प्रतिमा को उठाने की क्षमता न होने की वजह के कराण दुर्गा पूजा विसर्जन समिति और प्रशासन ने उनके लिए अलग से निश्शुल्क क्रेन की व्यवस्था की और प्रतिमा को गोमती में विसर्जित कराया। विसर्जन समिति के अध्यक्ष ने बताया कि पहली बार क्रेन से प्रतिमा का विसर्जन किया गया।