अब न घबराएं महिलाएं मिलेगी राहत, हिस्ट्रोस्कोपी से होगी बाझपन की सटीक पड़ताल
चीर फाड़ नहीं दूरबीन विधि से होगी गर्भाशय की जांच। दो वर्ष तक बच्चे न हो तो तुरंत दिखाएं।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। हिस्ट्रोस्कोपी से बाझपन की सटीक पड़ताल हो सकेगी। ऐसे में बार-बार गर्भपात व टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के असफल होने के कारकों का भी पता चल सकेगा। लिहाजा समस्या से घिरी ऐसी महिलाओं को अब घबराने की जरूरत नहीं है। यह बातें मिस्न के डॉ. ओसामा शाओकी ने कहीं। वह आलमबाग स्थित अजंता हॉस्पिटल में इंडियन एसोसिएशन ऑफ गाइकनोलॉजिस्ट एंडोकोपिस्ट की कार्यशाला में बतौर वक्ता उपस्थित थे।
डॉ. ओसामा ने कहा कि हिस्ट्रोस्कोपी यानी दूरबीन विधि से गर्भाशय की बीमारियों की बारीकी से पड़ताल की जा सकती है। इसमें गर्भाशय की ट्यूब में किसी प्रकार की रुकावट, ट्यूमर आदि का आसानी से पता लगाया जा सकता है। यह पूरी प्रक्रिया दूरबीन के जरिए होती है। लोकल एनेस्थीसिया से पूरा प्रोसीजर
डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि हिस्ट्रोस्कोपी नेचुरल ओरिफाइस ट्रासल्युमिनल एंडस्कोपिक सर्जरी है। इसमें कोई चीर फाड़ नहीं होती है। मरीज को दर्द से बचाने के लिए लोकल एनेस्थीसिया दी जाती है। इससे गर्भाशय की बीमारी की पहचान के साथ-साथ बायोप्सी के लिए नमूने लेना भी संभव है। यह पूरा प्रोसीजर डे केयर है।
दो वर्ष तक बच्चे न हो तो तुरंत दिखाएं
डॉ. गीता ने कहा कि शादी के दो वर्ष बाद भी इच्छुक दंपती के यदि संतान नहीं होती है तो उसे चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने बताया कि देर से या अधिक उम्र में चिकित्सक के पास पहुंचने पर फिर आइवीएफ का सहारा लेना पड़ता है। महिलाएं व पुरुष करियर के चक्कर में अपनी फैमिली प्लानिंग न बिगाड़े। 25 की उम्र तक दंपती को पहला बच्चा अवश्य करना चाहिए, जिससे बाद में आने वाली दिक्कतों से छुटकारा पाया जा सकता है। पोलेसिस्टक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओडी) किशोरियों के लिए मुसीबत है। इसमें पीरियड देर से आना या फिर अधिक आने जैसी समस्या होती हे। इसी के चलते उनकी ओवरी में कभी-कभी सिस्ट बन जाती है, जो इंफर्टीलिटी का कारण बन जाता है।