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लखनऊ मेल को याद कर रोया प्लेटफॉर्म, चारबाग स्टेशन ने कहा... अलविदा

उस रेलगाड़ी को याद कर रोया प्लेटफॉर्म। सौ साल बाद चारबाग के बजाय जंक्शन से रवाना हुई लखनऊ मेल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 02:49 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 09:40 AM (IST)
लखनऊ मेल को याद कर रोया प्लेटफॉर्म, चारबाग स्टेशन ने कहा... अलविदा
लखनऊ मेल को याद कर रोया प्लेटफॉर्म, चारबाग स्टेशन ने कहा... अलविदा

लखनऊ, (दुर्गा शर्मा)। सांस लेना जिस तरह जीने की अजब आदत है, कुछ चीजें आपस में ऐसी जुड़ीं जैसे रवायत है।। मैं चारबाग स्टेशन.. मेरा और लखनऊ मेल का कुछ ऐसा ही रिश्ता रहा। इससे मेरा रुतबा और पहचान रही है। न जाने कितनी हस्तियां मेरे आंगन आईं। मैंने पलक पांवड़े बिछाए लोगों की बेसब्री देखी। गुरुवार को मैं तो वहीं था, पर मेरे आंगन की रौनक चली गई। मैं अकेला, यादों के गलियारों में स्वर्णिम समय याद करता रहा। इसी उम्मीद में कि शायद, वह समय फिर लौट आए। मैं एक मूक स्थान अपनी पीड़ा को शब्द नहीं दे सकता, पर लोगों के मनोभाव समझता हूं। आज चारबाग स्टेशन पर लखनऊ मेल से जुड़े हर व्यक्ति के वही भाव हैं, जो मेरे हैं..।

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50 वर्षों से कुली शहाबुद्दीन मेरे गौरवशाली समय के गवाह हैं। ये वह शख्स हैं, जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम राजनीतिज्ञों का सामान उठाया है। वो व्यथित हैं और मन ही मन कह रहे, अब कोई वीआइपी नहीं आएगा। पैसे कभी मांगने नहीं पड़ते थे। उनका दीदार ही नेमत होती थी, पर फिर भी मेहरबान होकर किसी ने झोली में रुपये डाल दिए तो बदले में दिल से दुआ दी।

लखनऊ मेल में डाक की लोडिंग का काम करने वाले गणेश और शिवमंगल सिंह का हाल भी जुदा नहीं। दोनों आपस में कह रहे, अरे! यहीं तो उमा भारती को देखा था। बुक स्टॉल पर काम कर रहे सुशील भी पूछ रहे थे, वीआइपी यात्री ही मेरी दुकान पर भीड़ लाते थे। अब बिक्री कौन बढ़ाएगा?

ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के केंद्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्र को मैंने ही तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ सफर का सौभाग्य दिया था। रेलवे बोर्ड के रिटायर्ड चेयरमैन रमेश चंद्रा को भी तो पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के साथ यात्रा का मौका दिया था। मुझे आज भी वह दिन याद है, जब विवादास्पद तांत्रिक चंद्रास्वामी आए और एक हलचल सी मची। ढेर सारे आभूषण पहने इस शख्स को देखने के लिए मेरे आंगन में कतार लग गई थी।

कितनी बातें बताऊं.. मैं थक जाऊंगा पर किस्से खत्म नहीं होंगे। मेरा वजूद मुझसे भविष्य को लेकर सवाल कर रहा है। काश! मैं उत्तर तलाश पाऊं..।

100 साल पुरानी ट्रेन

  • 1955 तक लखनऊ एक्सप्रेस (303/304) के नाम से चली। 
  • 1956 में इसका नंबर (29/30) कर दिया गया। 
  • 1964 में नाम लखनऊ मेल और नंबर (2229/2230) कर दिया गया।
  • 26 अक्टूबर 2016 को पुराने कोच हटे। एलएचबी कोच लगे।
  • आइएसओ- 9000 का खिताब भी मिल चुका है।   
  • 15 से 30 नवंबर तक यह ट्रेन रात 10:10 बजे छूटेगी। 
  • 1 दिसंबर से पुराने समय रात 10 बजे से चलने लगेगी। 

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