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अयोध्‍या फैसले से पूरे विश्व में बढ़ी भारतीय समाज और संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा : हृदय नारायण दीक्षित

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि अयोध्या मसले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद देश में एक सुंदर और स्वस्थ लोकमत का सृजन हुआ।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:14 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 07:14 AM (IST)
अयोध्‍या फैसले से पूरे विश्व में बढ़ी भारतीय समाज और संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा : हृदय नारायण दीक्षित
अयोध्‍या फैसले से पूरे विश्व में बढ़ी भारतीय समाज और संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा : हृदय नारायण दीक्षित

लखनऊ, (पवन तिवारी)। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि अयोध्या मसले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद देश में एक सुंदर और स्वस्थ लोकमत का सृजन हुआ। पूरे विश्व में इस तथ्य ने भारतवर्ष की यश पताका फहरा दी कि यहां की सबसे बड़ी अदालत जो भी फैसला सुनाती है, हर भारतीय उसे सहज रूप में स्वीकार करता है। इससे पहले कई देश आशंका जताते रहे हैैं कि इस संवेदनशील मुद्दे पर अदालत के फैसले के तुरंत बाद भारत में अशांति और अराजकता बढ़ेगी। उनकी आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं और भारतीय समाज, संस्कृति व संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा शिखर पर पहुंच गई।

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विधानसभा अध्यक्ष सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित अकादमिक बैठक 'विमर्श' के मुख्य अतिथि थे। विषय था-अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राष्ट्रीय एकता, सामाजिक सद्भाव और देश की राजनीति पर क्या होगा प्रभाव? विषय के सभी बिंदुओं पर उन्होंने अत्यंत सहज, तथ्यात्मक और तार्किक विचार रखे।

फैसले का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

  • समूचे विश्व में भारत का गौरव बढ़ा। संवैधानिक संस्थाएं देश की अस्मिता बढ़ा रहीं हैैं। इनमें समाचार पत्रों की भी अहम भूमिका है।
  • पूरी दुनिया यह मानने लगी कि भारत में सर्वोच्च न्यायालय की बात सर्वमान्य होती है। सभी पक्ष उसके निर्णय को सहज रूप में स्वीकार करते हैैं।
  • अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा बढ़ा। उनमें भारत के आंतरिक हालात को लेकर संशय दूर हुआ। इससे विदेशी निवेश बढ़ेगा।
  • सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से भारतीय सनातन संस्कृति की प्रतिष्ठा और घनीभूत हुई।

राजनीतिक प्रभाव

  • देश की भावी राजनीति पर वोट के आधार पर कोई प्रभाव पड़ेगा, यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता।
  • एक बात जरूर सुनिश्चित हुई है कि श्रीराम से जुड़े संदर्भ में कोई भी राजनीतिक दल विपरीत बोलने का साहस नहीं जुटा सकेगा।
  • राजनीति में इस मुद्दे पर अब कोई दूसरा पक्ष नहीं होगा। राम के मसले पर किसी दल में अलग विचार की गुंजाइश नहीं होगी।

सामाजिक प्रभाव

  • एक सुंदर लोकमत का निर्माण हुआ। समाज के सभी वर्गों ने इस फैसले को खुले मन से स्वीकारा।
  • बंटवारे के वक्त सांप्रदायिक टकराव हुए। अब लोगों की समझ में यह बात आ रही है कि लड़ेंगे नहीं, तभी तरक्की होगी।
  • समाज में आपसी सौहार्द और मेलजोल बढ़ेगा। यह आशंका निर्मूल है कि इससे कोई सांप्रदायिक कटुता बढ़ेगी।
  • सामाजिक परिवर्तन की गति धीमी थी। इस फैसले के बाद यह और तेज होगी, जिससे समाज का सर्वांगीण विकास होगा।

सांस्कृतिक प्रभाव

  • विद्वान से लेकर किसान तक सभी राम को जानते और मानते हैैं। फैसले के बाद आस्था और आस्तिकता और सुदृढ़ हुई।
  • रामकथा को लेकर अतीत में कई प्रश्न उठाए जाते रहे हैैं। अब इस बारे में किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं होगी।
  • सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान यह तथ्य और प्रमाणित हुआ कि भारत का मूल श्रेष्ठ है। हमारे प्राचीन ग्रंथ अद्वितीय हैैं।

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