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UP के बड़े शहरों में अब मकान का नक्शा पास कराना होगा महंगा, योगी सरकार ने बढ़ाई विकास शुल्क की दरें

UP Cabinet Decision यूपी सरकार ने विकास प्राधिकरणों की मनमानी पर अंकुश लगाते हुए सरकार ने दरों में एकरूपता लाने के लिए छोटे शहरों के लिए जहां अलग से कम दरें तय की हैं वहीं बड़े शहरों के लिए ज्यादा विकास शुल्क रखा गया है।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 03:56 PM (IST)
UP के बड़े शहरों में अब मकान का नक्शा पास कराना होगा महंगा, योगी सरकार ने बढ़ाई विकास शुल्क की दरें
उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहरों में भवन मानचित्र को पास कराने के लिए अब ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। UP Cabinet Decision: लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहरों में भवन मानचित्र को पास कराने के लिए अब ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। यूपी सरकार ने विकास शुल्क की सात वर्ष पुरानी दरों को बढ़ाते हुए उन्हें व्यावहारिक बनाए जाने का दावा किया है। विकास प्राधिकरणों की मनमानी पर अंकुश लगाते हुए सरकार ने दरों में एकरूपता लाने के लिए छोटे शहरों के लिए जहां अलग से कम दरें तय की हैं, वहीं बड़े शहरों के लिए ज्यादा विकास शुल्क रखा गया है। प्रति वर्ष आयकर विभाग के कास्ट इंफलेशन इंडेक्स के अनुसार दरें बढ़ती भी रहेंगी। 

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विकास शुल्क की दरों को तर्कसंगत बनाने के साथ ही विकासकर्ताओं को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सात वर्ष पुरानी उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास (विकास शुल्क का निर्धारण, उद्ग्रहण एवं संग्रहण) नियमावली के संशोधन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

संशोधन के मुताबिक अब विकास शुल्क की दरें पांच श्रेणियों में 400 से 2500 रुपये प्रति वर्ग मीटर के बजाय छोटे-बड़े शहरों, उप नगरों के विकसित-अविकसित क्षेत्र को देखते हुए तय की गईं हैं। मुख्य नगर से दूर वाले क्षेत्र के लिए दरें कम रखी गईं हैं। जिन शहरों का तेजी से विकास हो रहा है वहां की दरें कहीं ज्यादा तय की गईं हैं। मसलन, गाजियाबाद की दर 2500 से 3208, लखनऊ, कानपुर और आगरा की 1400 से 2040, वाराणसी, प्रयागराज व मेरठ की 1000 से 1200 रुपये प्रतिवर्ग मीटर अब तय की गई है।

सभी विकास प्राधिकरणों, विशेष क्षेत्र, आवास विकास परिषद तथा विनियमित क्षेत्रों को अब मंजूर किए गए प्रस्ताव के अनुसार ही दरें लागू करनी होंगी। किसी तरह की व्यावहारिक दिक्कत को दूर करने के लिए कैबिनेट ने विभागीय मंत्री के तौर पर मुख्यमंत्री को अधिकृत भी कर दिया है। विकास शुल्क की दरों में एकरूपता और पारदर्शिता रखने के लिए प्राधिकरणों को प्रतिवर्ष 15 फरवरी तक आयकर के पिछले वर्ष के कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स के आधार पर उसे पुनरीक्षित कर बोर्ड से पास कराकर पहली अप्रैल से लागू करना होगा।

निर्मित एवं विकसित क्षेत्र के तहत ऐसे पार्क एवं खुले स्थल/हरित क्षेत्र/क्रीड़ा स्थल, जिनका क्षेत्रफल 10 हेक्टेयर या अधिक हो, में कुल तल क्षेत्रफल के आधार पर विकास शुल्क लगेगा। एक हेक्टेयर से बड़े भूखंड के लिए किस्त में विकास शुल्क देने की सुविधा होगी लेकिन इसके लिए 12 फीसद की दर से ब्याज देना होगा।

प्रमुख नगरों की बढ़ी दरें

  • नगर : नई दरें
  • गाजियाबाद : 3208 रुपये प्रति वर्ग मीटर
  • लखनऊ, कानपुर आगरा : 2040 रुपये प्रति वर्ग मीटर
  • वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, मुरादाबाद, गजरौला, बरेली : 1200 रुपये प्रति वर्ग मीटर
  • अलीगढ़, गोरखपुर, बुलंदशहर, सिकंदराबाद, न्यू-सिकंदराबाद, खुर्जा, सहारनपुर, मथुरा-वृंदावन, झांसी, मुजफ्फरनगर, शामली, खतौली, हापुड़-पिलखुवा, बागपत-बड़ौत-खेकड़ा,फिरोजाबाद-शिकोहाबाद, उन्नाव-शुक्लागंज 850 रुपये प्रति वर्ग मीटर
  • अयोध्या, रायबरेली, बांदा, रामपुर, उरई, आजमगढ़, बस्ती, मिर्जापुर : 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर

इन छोटे शहरों की घटी दरें : गाजियाबाद विकास क्षेत्र में लोनी, मोदीनगर एवं मुरादनगर की 2500 से 1200 रुपये, कानपुर में अकबरपुर माती एवं बिठूर व आगरा में फतेहपुर-सीकरी की 1400 से 500, वाराणसी में पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर की 1000 से 850, बुलंदशहर में जहांगीराबाद एवं शिकारपुर, हापुड़-पिलखुवा में गढ़मुक्तेश्वर, मथुरा-वृंदावन विकास क्षेत्र के तहत कोसीकला-छाता-चैमुहा-नंदगांव तथा गोवर्धन-राधाकुण्ड का विकास शुल्क 700 से घटाकर 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर किया गया है।

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