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जहरीली शराब के लिए कानून कड़े और कार्रवाई छोटी, जिम्मेदारी तय नहीं

जहरीली शराब से मौतों पर राज्य सरकार ने कानून तो कड़े किए फिर भी कानपुर में 15 की मौत के बाद जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने की कोशिश जारी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Mon, 21 May 2018 10:25 PM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 10:24 AM (IST)
जहरीली शराब के लिए कानून कड़े और कार्रवाई छोटी, जिम्मेदारी तय नहीं
जहरीली शराब के लिए कानून कड़े और कार्रवाई छोटी, जिम्मेदारी तय नहीं

लखनऊ (जेएनएन)। जहरीली शराब से होने वाली मौतों पर राज्य सरकार ने कानून तो कड़े किए लेकिन इसका संदेश आबकारी अधिकारियों तक नहीं पहुंच सका। कानपुर नगर और देहात में 15 लोगों की मौत के बाद भी विभाग इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने की कोशिशों में ही जुटा हुआ है। प्रमुख सचिव के दौरे के बाद विभाग ने सोमवार को दोनों जिलों के एक-एक निरीक्षक और तीन सिपाहियों को निलंबित कर दिया। इतनी बड़ी घटना के लिए एक भी अधिकारी की जिम्मेदारी नहीं तय की गई।

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प्रभावित लोगों से मुलाकात 

प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी ने रविवार को कानपुर जाकर जहरीली शराब से प्रभावित लोगों से मुलाकात की थी। उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने भी उनका हाल-चाल लिया था। इसके बाद सोमवार को विभाग ने दो दिनों हुई कार्रवाई का ब्योरा जारी किया है। इसके तहत कानपुर नगर में आबकारी निरीक्षक मनीष कुमार और प्रधान आबकारी सिपाही राम प्रकाश दीक्षित को निलंबित किया गया है। इसी तरह कानपुर देहात में आबकारी निरीक्षक नंद कुमार मिश्रा, प्रधान सिपाही अनिल दोहरे और सिपाही नीलेश कुमार को निलंबित किया गया है। दोनों ही जिलों में अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

जहरीली शराब से मौतों पर गंभीरता 

भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने जहरीली शराब से होने वाली मौतों को बड़ी गंभीरता से लिया था। इसके बाद उन्होंने 107 साल पुराने कानून में संशोधन कर फांसी की सजा तक का प्रावधान किया। कानून कड़े होने के बावजूद न ही ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब का निर्माण रोका जा सका और न ही अन्य राज्यों से तस्करी पर प्रभावी लगाम लगाई जा सकी। पिछले साल आजमगढ़ में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में हुई मौत से भी विभाग ने कोई सबक न लिया। यही वजह है कि कानपुर नगर और कानपुर देहात में इस तरह की बड़ी घटना हुई। 

मानवाधिकार आयोग का सरकार को नोटिस

कानपुर नगर और कानपुर देहात में जहरीली शराब से मौतों को मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी की है। आयोग ने मुख्य सचिव को नोटिस भेजकर चार हफ्ते में विस्तृत विवरण मांगा है। आयोग ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में पूर्व में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैैं। जहरीली शराब से कई लोग मर चुके हैैं। आयोग ने कहा है कि प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध नहीं है। इसके बावजूद सरकार का यह दायित्व बनता है कि लाइसेंसी दुकानों से ऐसी शराबों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जो जहरीली हों। इसके लिए अविलंब सभी प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही घटना की जांच कर इसके कारणों का पता लगाया जाना चाहिए। 


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