मौसमी संक्रमण में होम्योपैथी दवाएं अधिक कारगर, बढ़ रहे हैं सर्दी-जुकाम, बुखार के मरीज
मौसमी संक्रमण में सर्दी-जुकाम के मरीज बढ़ गए हैं। इसमें एलोपैथी दवाओं से मरीजों को ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है। होमियोपैथी के विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी बीमारियों में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बेहद कारगर है। यह रोग को जड़ से ख़त्म करती है।
लखनऊ, जेएनएन। पिछले दो हफ्ते से सर्दी लगातार बढ़ रही है। दिन में धूप के साथ रात काफी सर्द हो रही है। मौसम में यह बदलाव लोगों को बीमार बना रहा है। विभिन्न अस्पतालों में वायरल फीवर, फ्लू, सर्दी -ज़ुकाम, खांसी, गले में खराश, अस्थमा, जोड़ों में दर्द इत्यादि के मरीजों की भीड़ लग रही है। एलोपैथी दवाओं से मरीजों को ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है। होमियोपैथी के विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी बीमारियों में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बेहद कारगर है।
यह रोग को जड़ से ख़त्म करती है। केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य एवं राजधानी के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरुद्ध वर्मा के अनुसार दिन में गर्मी व रात में ठंडक का मौसम वायरस, बैक्टिरिया फैलने के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है। बदलते मौसम में लक्षणों के आधार पर अलग-अलग रोगों में होम्योपैथी की ऐकोनाइट, आर्सेनिक, एलियम सीपा, ब्रायोनिया, बेलाडोना, हीपर सल्फ, ऐंटिम टार्ट, एपीटोरिम पर्फ,रस टॉक्स, जेल्सीमियम, यूफ्रेसिया, प्लसटिल्ला , काली बाइ इत्यादि दवाएं प्रमुख तौर पर दी जाती हैं। इनका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह पर करना चाहिए।
सांस रोगियों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत: नेशनल होम्योपैथी कॉलेज के प्राचार्य डॉ अरविंद वर्मा कहते हैं कि सुबह-शाम तापमान में गिरावट व वातावरण में नमी के कारण धूल के कण ऊपर नहीं जा पाते हैं। यह प्रदूषित कण सांस के जरिये स्वशन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं। फलस्वरू दमा एवं सीओपीडी की समस्या बढ़ जाती है। इसलिए सांस के रोगियों को ज्यादा सतर्क रहना है। सुबह-शाम पारे का उतार चढ़ाव ह्रदय रोगियों के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है।
ऐसे रहें सावधान: पर्याप्त कपड़े पहन कर व मास्क लगाकर ही बाहर निकलें। हाथों को साफ करते रहें। भीड़-भाड़ में जाने से बचें। सेनिटाइजर का प्रयोग करें। बीमार एवं वृद्ध लोग ज्यादा सतर्कता रखें। खांसी हो तो गर्म पानी में हल्दी नमक मिलाकर से गरारा करें। ठंडा पानी ,आइस क्रीम, कोल्ड ड्रिंक आदि से दूर रहें। धूल, धुआं, फूलों के पराग कण फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। नहाने के लिए गुनगुना पानी प्रयोग करें।