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जेल में आधी से अधिक सजा काट चुके आरोपियों की रिहाई संभव : राजनाथ

केंद्रीय गृहमंत्री और सांसद लखनऊ राजनाथ सिंह ने लखनऊ सांसदीय क्षेत्र विकास निधि के अंतर्गत परियोजनाओं का शिलान्यास किया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 01:24 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 08:08 AM (IST)
जेल में आधी से अधिक सजा काट चुके आरोपियों की रिहाई संभव : राजनाथ
जेल में आधी से अधिक सजा काट चुके आरोपियों की रिहाई संभव : राजनाथ

लखनऊ, जेएनएन। पुलवामा हमले को लेकर पूरा देश गुस्से में है। सरकार सबकी भावनाओं की कद्र करती है। हमारा फोकस अब केवल एक्शन पर है। सरकार जो कदम उठा रही है जल्द ही उसके परिणाम भी नजर आएंगे। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। लखनऊ के झूलेलाल पार्क में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के प्रमाणपत्र वितरण समारोह में गृहमंत्री ने कहा कि पुलवामा को लेकर बयानबाजी बहुत हो चुकी है। मुझे बहुत अधिक इस बारे में बात नहीं करनी है। बस केवल इतना ही कहूंगा कि वीर जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। 

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पिछड़ा वर्ग को कुछ और मिलेगा, लेकिन अभी यहां बताऊंगा नहीं
केंद्र सरकार की मोदी सरकार ने पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए बहुत सारे कार्य किए हैं और बहुत कुछ दिया भी है, अभी बहुत कुछ और मिलेगा। जब अगली सरकार आपके सहयोग से आएगी, तब यह दिया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी लखनऊ महानगर द्वारा गोविंद बल्लभ पंत स्मृति उपवन में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ये बातें कही। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग पहले बना जरूर था लेकिन उसको संवैधानिक दर्जा अगर किसी ने दिया है तो मोदी सरकार ने दिया है वहीं गृहमंत्री ने रामचन्द्र प्रधान का आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। 

जिन आरोपियों ने जेल में काटी आधी सजा उनकी रिहाई संभव
देश की जेलों में चल रहे केसों में निरुद्ध करीब चार लाख आरोपी बंद हैं। इनमें कम से कम दो तिहाई ऐसे हैं जो आरोपों के लिए तय सजा को आधा से अधिक काट भी चुके हैं। इसलिए आधी से अधिक सजा काट चुके आरोपियों को रिहा भी किया जा सकता है। देश के सभी राज्यों को इस संबंध में केंद्रीय मंत्रालय की ओर से एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ये जानकारी उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में आयोजित एक सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि दी।

अवध बार एसोसिएशन की ओर से वर्तमान सामाजिक परिवेश न्यायपालिका विषय पर सेमिनार आयोजित की गई थी। इस मौके पर न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति शबीउल हसनैन, सहित बड़ी संख्या में जज, वकील और अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं बाहर से ही इस परिसर को देखता था कभी अंदर आने का अवसर नहीं मिला। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि ईश्वर की दया रहे कि मैं यहां न आऊं। उन्होंने कहा कि लॉ प्रोफेशन बहुत ही अच्छा पेशा है। वकील सामाजिक दायित्व का भी पालन कर रहे हैं। 

मनु स्मृति ने बताया है आदर्श न्यायाधीश
न्यायमूर्ति शबीउल हसनैन ने कहा कि जो विषय है, उस पर लंबी चर्चा हो सकती है। मैंने भी सोचा कि क्या परिवेश के बदलने से न्यायपालिका की भूमिका बदल सकती है। आज हम लोकतंत्र में हैं मगर पहले राजा होते थे। तब राजा को न्याय भी करना होता था। न्यायपालिका कोई बिल्डिंग नहीं। न्यायालय हम लोगों से बना हुआ है। न्यायमूर्ति का धर्म क्या है। मनु स्मृति में कहा गया है कि जो राजा निर्दोष को दंड देता है जिसको दण्ड मिलना है उसे निर्दोष कह देता है उसको अपयश नर्क मिलता है। 

 

समाज से अलग नहीं हो सकती न्यायपालिका
महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने समाज मे जो हो रहा है उससे न्यायपालिका अलग नहीं रह सकती है। रूल आफ लॉ के हिसाब से काम कोर्ट को करना होता है। जब कोर्ट को महसूस होता है लोगों के अधिकार कि रक्षा नहीं हो पा रही तब कोर्ट आता है। इसलिए स्वत: संज्ञान भी लिया जाता है। 

अधिवक्ताओं को जहां जरूरत मैं वहां खड़ा रहूंगा : ब्रजेश पाठक
देश को न्यायिक व्यवस्था ने संभाला है। इस देश के पीएम तक को न्यायालय में बख्शा नहीं जा सकता है। मैं हर कदम पर अधिवक्तों के साथ हूं। जहां जरूरत होगी वहां मौजूद रहूंगा। 

वातानुकूलन और डिजिटल लाइब्रेरी की मांग
अध्यक्ष अवध बार एसोसिएशन  आनंद मणि त्रिपाठी ने लखनऊ खंडपीठ में वकीलों के चेंबर के लिए सेंट्रलाइज एसी और डिजिटल लाइब्रेरी की व्यवस्था की मांग की।


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