Move to Jagran APP

Oxygen का ज्यादा फ्लो भी मरीज को पहुंचा सकता है नुकसान, जान‍िए क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

सिलिंडर में 99 फीसद तक शुद्ध मेडिकल आक्सीजन होती है। ऐसे में डाक्टर मरीज की हालत के हिसाब से तय करते हैं कि उन्हेंं हर मिनट कितने लीटर आक्सीजन की जरूरत है। इसी दर को आक्सीजन का फ्लो कहते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 03:57 PM (IST)
Oxygen का ज्यादा फ्लो भी मरीज को पहुंचा सकता है नुकसान, जान‍िए क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट
सौ फीसद नहीं, 90 से 92 के बीच रखना चाहिए आक्सीजन का फ्लो।

लखनऊ, [कुमार संजय]। कोरोना संक्रमित मरीज के परिजन आक्सीजन लेवल 90 से कम होने पर सिलिंडर घर पर लाकर आक्सीजन दे रहे हैं। आक्सीजन देने में क्या सावधानी बरतनी है, कितना सैचुरेशन देना है जैसी तमाम जानकारी संजय गांधी पीजीआइ के एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर एवं आइसीयू एक्सपर्ट प्रो. संदीप साहू ने दी।

loksabha election banner

आक्सीजन की क्यों और कब जरूरत पड़ती है?

एक मिनट में 24 से ज्यादा बार सांस और 94 से कम सैचुरेशन पर ही आक्सीजन जरूरी है। किसी कोरोना मरीज की रेस्पिरेटरी रेट यानी सांस लेने की दर एक मिनट में 24 बार से ज्यादा होने और पल्स आक्सीमीटर में उसका आक्सीजन सैचुरेशन 94 फीसद से कम होने पर ही आक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है।

कितना होना चाहिए सैचुरेशन (आक्सीजन स्तर)

सामान्य आक्सीजन लेवल 94 से 99 होता है, लेकिन कोविड मरीजों के लिए इसे 88 से 92 के बीच हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए। जब शरीर बीमार हो तो सौ फीसद सैचुरेशन की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इससे रिसोर्सेज (आक्सीजन) जल्दी से खत्म हो जाएगा।

आक्सीजन फ्लो क्या होता है, इसे कैसे कंट्रोल करते हैं

सिलिंडर में 99 फीसद तक शुद्ध मेडिकल आक्सीजन होती है। ऐसे में डाक्टर मरीज की हालत के हिसाब से तय करते हैं कि उन्हेंं हर मिनट कितने लीटर आक्सीजन की जरूरत है। इसी दर को आक्सीजन का फ्लो कहते हैं। यह एक लीटर प्रति मिनट से लेकर 15 लीटर प्रति मिनट तक होती है। मरीज केवल सिलिंडर से मिलने वाली आक्सीजन से ही बल्कि आसपास के वातावरण से भी आक्सीजन लेता है। सिलिंडर में 99 फीसद शुद्ध ऑक्सीजन होती और वातावरण में करीब 21 फीसद। आक्सीजन का कम फ्लो के अलावा ज्यादा फ्लो भी मरीज को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।

घर पर आक्सीजन देते हुए और क्या निगरानी रखें

  • पल्स रीडिंग और आक्सीजन रीडिंग पर निगरानी जरूरी है। इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि शरीर बीमारी के खिलाफ कैसे लड़ रहा है।
  • किसी मरीज को हर मिनट एक से दो लीटर आक्सीजन की जरूरत होती है तो इसे तीन से चार लीटर किया जा सकता है। अगर आक्सीजन सैचुरेशन लगातार कम बना रहे तो मरीजों को घर पर रखने की बजाय मेडिकल निगरानी में रखना जरूरी है।

कार्बन डाई आक्साइड रिटेंशन क्या है? घर पर आक्सीजन देने से इसका भी खतरा हो सकता है : आमतौर यह लंबे समय तक आक्सीजन सपोर्ट पर रहने से यह समस्या होती है। हमारे फेफड़े शरीर के लिए न केवल आक्सीजन उपलब्ध कराते हैं बल्कि शरीर में बनने वाली कार्बन डाई आक्साइड को भी बाहर निकालना इनका काम है। लगातार या ज्यादा मात्रा में शुद्ध आक्सीजन मिलने पर हमारे फेफड़े बेहद धीरे-धीरे सांस लेना शुरू कर देते हैं और शरीर से कार्बन डाई आक्साइड बाहर निकल नहीं पाती। जल्द ही मरीज के खून में इसका का स्तर बढऩे लगता है। इसे कार्बन डाई आक्साइड रिटेंशन या हाईपरकाॢबया कहते हैं। ऐसे में आक्सीजन पर होने के बावजूद मरीज को बेहोशी छाने लगती है। उसके सोचने समझने की क्षमता कमजोर होने लगती है, सिर दर्द और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। आक्सीमीटर खून में आक्सीजन का लेवल तो बता सकता है लेकिन कार्बन डाई आक्साइड का नहीं। इसलिए केवल सांस ले नहीं, गहरी सांस लेकर छोड़ते भी रहे।

आक्सीजन देने में बरतें यह एहतियात बरतें

  • घर पर आक्सीजन देने के लिए कम से कम दो सिलिंडर रखें, ताकि एक सिलिंडर भरने के दौरान दूसरा उपलब्ध रहे।
  • सप्ताह में कम से कम एक बार प्लास्टिक ट्यूबिंग को सैनिटाइजर से साफ करें। इस दौरान दूसरे सेट से आक्सीजन देना जारी रखें।
  • एक सप्ताह बाद कैनुला यानी नाक से आक्सीजन पहुंचाने वाली प्लास्टिक पतली नली को बदल लें।
  • अगर मास्क से आक्सीजन दे रहे हैं तो मास्क को एक से 2 सप्ताह में बदल लें।
  • किसी एक मरीज का कैनुला या मास्क दूसरे मरीज के लिए इस्तेमाल न करें।
  • मरीज के ठीक होने पर कैनुला, मास्क आदि को मेडिकल वेस्ट के रूप में संबंधित संस्था को सील पॉलीबैग में सौंप दें।
  • आक्सीजन से नाक और गले में सूखापन हो सकता है ऐसे में नाक के भीतर लुब्रिकेशन रखें।
  • आक्सीजन देने के लिए मास्क के बजाय कैनुला का इस्तेमाल करने की कोशिश करें जब ऑक्सीजन के फ्लो की जरूरत एक से दो लीटर ही। इससे
  • मरीज को बोलने या खाने-पीने में दिक्कत नहीं होती।
  • परिजन या अटेंडेंट पूरी तरह सावधानी के साथ देखभाल करें। 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.