प्राइवेट प्रैक्टिस और एलपी की दवाओं पर महानिदेशक स्वास्थ्य सख्त
महानिदेशक स्वास्थ्य ने सभी अस्पतालों के निदेशकों को जारी किया पत्र। अब चिकित्सकों को देना होगा शपथ पत्र, नहीं लिख सकेंगे एलपी की दवा।
लखनऊ, (जेएनएन)। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस के मामले संज्ञान में होने के बाद भी उच्च चिकित्साधिकारी इसकी अनदेखी करते रहे, लेकिन अब इस प्रकरण को स्वास्थ्य महानिदेशालय ने गंभीरता से लिया है। महानिदेशक स्वास्थ्य ने सभी अस्पतालों के निदेशकों को इस संबंध में पत्र जारी किया है। पत्र में डॉक्टरों से प्राइवेट प्रैक्टिस न करने के संबंध में शपथ पत्र लेने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही प्राइवेट में लिखी गई एलपी (लोकल परचेज) की दवाएं अस्पताल से न देने को कहा गया है।
सरकारी अस्पतालों के कई डॉक्टर खुलेआम प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। वे अपने नाम का इस्तेमाल करने के बजाय सादे पर्चे पर दवाएं लिखते हैं। इसके एवज में मरीजों से मोटी फीस वसूलते हैं। ऑपरेशन व जांच के नाम पर भी अवैध कमाई करते हैं। कई सरकारी डॉक्टर सादे पर्चे पर दवाएं लिखकर उसे अस्पताल से एलपी के जरिए दिलवाकर सरकार को चूना भी लगा रहे हैं। इस प्रकरण पर महानिदेशक स्वास्थ्य पद्माकर सिंह ने निदेशकों को भेजे पत्र में कहा है कि डॉक्टरों से प्राइवेट प्रैक्टिस न करने के बाबत शपथ पत्र लें। शपथ देने के बाद भी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़े गए तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए। अस्पताल प्रशासन अब बाहर से लिखी गई दवाओं को एलपी के जरिए कतई न दें।
क्या कहते हैं अधिकारी
श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के निदेशक हिम्मत सिंह दानू ने बताया कि सभी चिकित्सकों से प्राइवेट प्रैक्टिस न करने के बाबत शपथ पत्र लिया जा रहा है। साथ ही बाहर से लिखी एलपी की दवाएं अस्पताल से न देने के निर्देश दिए गए हैं।