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मेडिको लीगल रिपोर्ट में अस्पष्ट लिखावट पर हाईकोर्ट सख्त, डॉक्टर तलब

कोर्ट ने कहा कि यदि उक्त डॉक्टर अगली तारीख पर संबंधित रिपोर्ट की साफ-साफ टंकित कॉपी के साथ पेश नहीं होता तो उस पर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाया जायेगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 12:29 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 12:29 PM (IST)
मेडिको लीगल रिपोर्ट में अस्पष्ट लिखावट पर हाईकोर्ट सख्त, डॉक्टर तलब
मेडिको लीगल रिपोर्ट में अस्पष्ट लिखावट पर हाईकोर्ट सख्त, डॉक्टर तलब

लखनऊ(जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉक्टर की लिखावट न पढ़ पाने पर उसे 28 सितंबर को तलब किया है और पूछा है कि क्या कोई उस मेडिको लीगल रिपोर्ट को पढ़ व समझ सकता है। कोर्ट ने कहा कि यदि उक्त डॉक्टर अगली तारीख पर संबंधित रिपोर्ट की साफ-साफ टंकित कॉपी के साथ पेश नहीं होता तो उस पर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाया जायेगा और यह रकम उसके वेतन से वसूली जायेगी। कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता रवि सिंह सिसेदिया को उक्त डॉक्टर की उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि डॉक्टरों की अस्पष्ट लिखावट से मुकदमों के जल्द निस्तारण में बाधा आती है।

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डॉक्टरों के व्यवहार में नहीं आ रहा बदलाव

दरअसल, जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस संजय हरकौली की बेंच के सामने मंगलवार को हत्या के प्रयास का एक मामला आया। पप्पू सिंह आदि ने कोर्ट में रिट दायर कर उनके खिलाफ सीतापुर के तम्बौर थाने पर दर्ज हत्या के प्रयास से संबधित प्राथमिकी रद करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि सूचनाकर्ता की मेडिको लीगल रिपोर्ट घटना के चार दिन बाद की है और उसमें जो चोटें हैं वे भी साधारण हैं। जिससे हत्या के प्रयास का मामला ही नहीं बनता। कोर्ट ने जब इंजरी रिपोर्ट पढऩी चाही तो उसकी लिखावट इतनी खराब थी कि कि उसे पढ़ा नहीं जा सका। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि डॉक्टरों के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिख रहा। कोर्ट ने यह कहते हुए सीतापुर जिला चिकित्सालय के उस डॉक्टर के तलब किया जिसने वह इंजरी रिपोर्ट तैयार की थी। सूचनाकर्ता ने सीतापुर जिला चिकित्सालय में तैयार जिस इंजरी रिपोर्ट का हवाला याचिका में दिया है उस पर डॉक्टर का नाम है न उसका पदनाम। यहां तक की अस्पताल की मुहर भी नहीं लगी थी।

छह साल पहले जारी हो चुका है सर्कुलर

कोर्ट पहले भी डॉक्टरों की अस्पष्ट लिखावट से तैयार होने वाली मेडिको लीगल रिपोर्टों पर आपत्ति जता चुकी है। इस पर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक ने आठ नंवबर 2012 को एक सर्कुलर जारी कर प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया था कि समस्त मेडिको लीगल रिपोर्ट साफ-साफ शब्दों में लिखे होने चाहिए।

कोर्ट दे चुकी है उचित व्यवस्था के निर्देश

यह बात सामने आने पर कि सरकारी अस्पतालों में कम्प्यूटर आदि की समुचित व्यवस्था नहीं है कोर्ट ने राज्य सरकार को दिसम्बर 2017 में निर्देशित किया था कि अस्पतालों में मेडिकल लीगल रिपेर्टों को तैयार करने के लिए उचित व्यवस्था की जाए।


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