प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट सख्त, कहा- सेमिनारों से हल नहीं होगी समस्या
कोर्ट की तल्ख टिप्पणी कहा- समस्या के हल को जमीनी कार्रवाई की जरूरत। पूछा नए पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण रोकने के लिए क्या कदम उठाए।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश और खास तौर पर राजधानी लखनऊ में प्रदूषण की विकराल होती जा रही समस्या पर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि लखनऊ दुनिया का नौवां सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया जा चुका है। इस परिस्थिति का सामना सेमिनारों आदि से प्रदूषण की समस्या कम नहीं किया जा सकता, इसके हल के लिए जमीनी कार्रवाई की आवश्यकता है। कोर्ट ने पेट्रोल पंपों से उठने वाले कैंसर कॉजिंग फ्यूम्स से निपटने के लिए मैकेनिज्म लागू किये जाने के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इसके साथ ही बोर्ड को इस मुद्दे के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का आदेश भी दिया है।
यह आदेश जस्टिस शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने सक्षम फाउंडेशन की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में पेट्रोल पंपों से उठने वाले कैंसर कॉजिंग फ्यूम्स का मुद्दा उठाया गया है। मामले की सुनवाई के दौरान बोर्ड के सदस्य सचिव प्रशांत भी कोर्ट के पूर्व के आदेश के अनुपालन में उपस्थित रहे।
हालांकि इस संबंध में उनके द्वारा दिये जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखी। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मानव जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा है और ऐसे में इससे निपटना बोर्ड की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेशों के बावजूद पेट्रोल पंपों पर वेपर रिकवरी सिस्टम जैसे मैकेनिज्म उपयोग में नहीं लाए गए हैं। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार व बोर्ड से जवाब मांगा है। मामले की अग्रिम सुनवाई 27 मार्च को होगी।