सरकार की उच्च प्राथमिकता में हों बाल गृह के बच्चे : हाईकोर्ट
बालगृह में रह रहे बच्चों के हित से जुड़ी याचिता पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी। अनूप गुप्ता की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई। अनावर्ती निधि न मिलने संबंधी मामला। 50 प्रतिशत भुगतान अब तक नहीं किया गया है।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि कोरोना महामारी के समय में भी बालगृह में रह रहे बच्चों का हित व कल्याण सरकार के लिए उच्च प्राथमिकता में होना चाहिए। कोर्ट ने उक्त टिप्पणी लखनऊ में चल रहे एक बालगृह को इस बार की अनावर्ती निधि न मिलने संबंधी मामले पर की।
जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय व जस्टिस राजन राय की बेंच ने अनूप गुप्ता की जनहित याचिका पर बाल गृहों के बच्चों के हित से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रही है। एमिकस क्यूरी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि अनावर्ती निधि का भुगतान कई महीनों के बीत जाने के बाद भी नहीं किया गया है। इस निधि का भुगतान हर पांच वर्ष पर किया जाता है जो पिछली बार वर्ष 2015 में किया गया था। वहीं आवर्ती निधि का 25 प्रतिशत भुगतान 6 अप्रैल को किया गया व 17 अगस्त को 25 प्रतिशत और भुगतान किया गया कोविड-19 महामारी के कठिन समय में भी बाल गृह के बच्चों का हित और कल्याण सरकार के लिए प्रमुख होना चाहिए। आवर्ती निधि का भी 50 प्रतिशत भुगतान अब तक नहीं किया गया है।
इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अब तक केंद्र सरकार से उन्हें निधि प्राप्त नहीं हुई है। वहीं केंद्र के अधिवक्ता का कहना था कि 11 सितम्बर को प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक हुई थी, जिसमें तय प्रस्तावों को अंतिम रूप दिए जाने के पश्चात शीघ्र ही निधि जारी कर दी जाएगी।