मनमाने तरीके से आपराधिक मामले वापस लेने पर हाईकोर्ट सख्त
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में मनमाने तौर पर वर्ग विशेष के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों को राज्य सरकार द्वारा वापस लेने के फैसले पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य विधि परामर्शी या अपर विधि परामर्शी को जरूरी दस्तावेज के साथ सात मई को हाजिर होने का
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में मनमाने तौर पर वर्ग विशेष के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों को राज्य सरकार द्वारा वापस लेने के फैसले पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य विधि परामर्शी या अपर विधि परामर्शी को जरूरी दस्तावेज के साथ सात मई को हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि किन परिस्थितियों में याची के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमे को वापस लेने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है। साथ ही हलफनामा मांगा है कि पिछले दो वर्ष में सरकार ने कितने मामले वापस लेने का फैसला लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति दिनेश गुप्ता की खंडपीठ ने बलिया के बांसडीह निवासी राम नारायण यादव की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि आपराधिक न्यास भंग (अमानत में खयानत) के आरोप में चल रहे मुकदमों को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। संबंधित कोर्ट को राज्य सरकार की अर्जी पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए।
मालूम हो कि पुलिस ने याची के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। 2009 में कायम केस को राज्य सरकार ने वापस लेने का निर्णय लिया है। ऐसा करते समय शिकायतकर्ता को विश्वास में भी नहीं लिया गया। कोर्ट ने ऐसे ही कई मामलों को देखते हुए गंभीर रुख अपनाया है।