Lucknow High Court: अवध विश्वविद्यालय के कुछ पदों को कमीशन से भरने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, कहा; अगले आदेश तक न निकालें विज्ञापन
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने विश्वविद्यालयों में ग्रुप सी के पदों को यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से भरने संबंधी राज्य सरकार के आदेश के एक मामले में लोहिया विश्वविद्यालय अयोध्या के ग्रुप सी के कुछ पदों को आयोग से भरने पर अंतरिम रोक लगाई है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने विश्वविद्यालयों में ग्रुप सी के पदों को यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से भरने संबंधी राज्य सरकार के आदेश को प्रथम दृष्टया विश्वविद्यालयों के अधिकार में दखल मानते हुए एक मामले में डा. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय अयोध्या के ग्रुप सी के कुछ पदों को आयोग से भरने पर अंतरिम रोक लगाई है। कोर्ट ने आयोग को आदेश दिया है कि उन पदों के बाबत अगले आदेशों तक कोई विज्ञापन न निकाला जाए।
यह आदेश जस्टिस अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने राकेश कुमार गुप्ता व अन्य की ओर से दाखिल रिट याचिका पर सुनवायी के बाद पारित किया। याचियों ने अवध विश्वविद्यालय के ग्रुप सी के पदों पर नियमितीकरण की मांग करते हुए कहा कि उन जैसे अन्य कर्मचारियों का नियमितीकरण हो चुका है तो उनके साथ मतभेद नहीं होना चाहिए। याचियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने राज्य सरकार के नौ नवंबर, 2020 और अवध विश्वविद्यालय के 11 नवंबर, 2020 के इस संबंधी आदेश को चुनौती देकर तर्क दिया कि राज्य सरकार का आदेश मनमाना व विश्वविद्यालयों के अधिकार में अनावश्यक दखल है।
उनका तर्क था कि यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयेाग अधिनियम 2014 के तहत राज्य सरकार को विश्वविद्यालय के ग्रुप सी के पदों को आयोग से भरने का आदेश देने संबधी कोई प्रविधान नहीं है। वहीं सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार को पूरी शक्ति है, जबकि विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने कहा कि वह तो केवल सरकार के आदेश के अनुपालन में याचियों का विनियिमतीकरण नहीं कर रही है। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की एक नजीर का हवाला देकर कहा कि विश्वविद्यालय स्वायत्तशासी प्रकृति का होता है और उसके अधिकार क्षेत्र में बिना प्रविधान राज्य सरकार दखल नहीं दे सकती है, भले ही वह विश्वविद्यालयों को फंड मुहैया कराती हो। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार या कमीशन का विश्वविद्यालय के पदों पर कोई हक नहीं होता है। इसी के साथ कोर्ट ने याचियों के पक्ष में अंतरिम आदेश जारी कर दिया।
रिंग रोड निर्माण मामले में पीडब्ल्यूडी व सिंचाई के अधिशासी अभियंता तलब: हाईकोर्ट ने लखनऊ-रायबरेली-प्रयागराज हाईवे को आपस में जोडऩे वाली रायबरेली की रिंग रोड का निर्माण पूरा न होने के मामले में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) व सिंचाई विभाग के संबंधित अधिशाषी अभियंताओं को तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने सेंट्रल बार एसोसिएशन की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि शारदा सहायक कैनाल के पास सिंचाई विभाग पीडब्ल्यूडी को ठेकेदार के द्वारा काम कराने की अनुमति नहीं दे रहा है। इस पर न्यायालय ने यह आदेश पारित किया।