Lucknow High Court: हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा, शोर मचाने वाले दुपहिया वाहनों के खिलाफ क्या कदम उठाए
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार के आला अफसरों से वाहनेां खासकर दुपहिया वाहनों से हेाने वाले ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ उठाये गये कदमेां की जानकारी तलब किया है। केार्ट ने मामले की सुनवायी 27 अगस्त को नियत किया है।
लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार के आला अफसरों से वाहनेां खासकर दुपहिया वाहनों से हेाने वाले ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ उठाये गये कदमेां की जानकारी तलब किया है। केार्ट ने मामले की सुनवायी 27 अगस्त को नियत किया है। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज की गयी एक जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवायी करते हुए पारित किया।
कोर्ट ने इस मामले में पीठ की सहायता के लिए अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा केा बतौर न्याय मित्र नियुक्त किया है। केार्ट ने कहा कि वह इस काम में सरकारी अधिवक्ता आंकाक्षा दुबे की मदद ले सकते हैं। इसके पूर्व केार्ट के पिछले आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव परिवहन, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महनिदेशक, चेयरमैन यूपी प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड व डीसीपी (यातायात) लखनऊ की ओर से केार्ट में हलफनामा पेश किया गया।
दरअसल, एक एकल पीठ ने गत 20 जुलाई केा दुपहिया वाहनों के साइलेंसर में तबदीली करके तेज आवाज में बुलेट समेत दूसरी बाइकों द्वारा ध्वनि प्रदुषण फैलाने पर स्वतः संज्ञान लिया था । कोर्ट ने इस विषय को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए राज्य सरकार के आला अफसरें के इस मामले में कार्यवाही करके हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। एकल पीठ ने मामले केा संबधित क्षेत्राधिकार वाली पीठ के सामने करने का आदेश रजिस्ट्री केा दिया था।
अपने आदेश में एकल पीठ ने कहा था कि बुलेट व दूसरी बाइकों में आजकल साइलेंसर को परिवर्तित कर के तेज आवाज में चलाने का फैशन हो गया है। इससे बीमार लोगों, बुजूर्गों और बच्चों को खास तौर पर भारी दिक्कतें होती हैं। एकल पीठ ने अपने आदेश में मोटर वेहिकल एक्ट की धारा 52 को उद्धत करते हुए कहा था कि इसके तहत वाहनों में परिवर्तन प्रतिबंधित है। एकल पीठ ने इसी एक्ट की धारा 190(2) का भी जिक्र किया जिसके तहत ध्वनि व वायु प्रदुषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई का प्रावधान है।
एकल पीठ ने आगे कहा था कि ध्वनि प्रदुषण (विनियमन व नियंत्रण) नियम, 2000 विदेशी बाइकों जैसे हर्ले डेविडसन, ह्योसंग, यूएन कामंडो इत्यादि पर भी लागू होता है। इन टिप्पणियों के साथ एकल पीठ ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव परिवहन, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महनिदेशक, चेयरमैन यूपी प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड व डीसीपी (यातायात) लखनऊ को भेजने के आदेश दिये थे। साथ ही इन सभी से इस मामले में कार्रवाई कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
महिला विद्यालयों में हुई भर्तियों को चुनौती की याचिका खारिजः इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी के कई महिला विद्यालयों में हुई भर्तियों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सुनवायी के दौरान पाया था कि सरकार पहले से इस मामले का संज्ञान ले चुकी है तो ऐसे में अदालत केा दखल देने की आवश्यकता नहीं है। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया।
याची का कहना था कि पिछले दिनों शहर के कुछ महिला विद्यालयों में एलटी ग्रेड टीचर्स, सहायक अध्यापक, क्लर्क और चपरासी के 89 पदों पर भर्तियां की गईं। जबकि ये पद तीन माह से अधिक समय से रिक्त चल रहे थे। कहा गया कि 25 मार्च 2012 के शासनादेश के मुताबिक तीन माह से अधिक समय से रिक्त चल रहे पदों पर भर्ती सिर्फ निदेशक, माध्यमिक शिक्षा के अनुमोदन के बाद ही हो सकती है। इन भर्तियों में अनुमोदन नहीं लिया गया था।