Move to Jagran APP

Indian Railway: अब पटरी पर परवान चढ़ेगी दुग्ध क्रांति, व्यापारियों को बचेगा नुकसान

Indian Railway एलएचबी और आइएसीएफ ट्रेनों साथ दौड़ने वाला मिल्क टैंकर तैयार। कम समय में तेजी से पहुंचेगा कई शहरों को दूध।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 09:27 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 09:27 AM (IST)
Indian Railway: अब पटरी पर परवान चढ़ेगी दुग्ध क्रांति, व्यापारियों को बचेगा नुकसान
Indian Railway: अब पटरी पर परवान चढ़ेगी दुग्ध क्रांति, व्यापारियों को बचेगा नुकसान

लखनऊ [निशांत यादव]। Indian Railway: कम समय में अधिक दूध पहुंचाकर पटरी पर एक दुग्ध क्रांति की तैयारी है। रेलवे के नए रिसर्च ने दुग्ध व्यवसाय से आर्थिक स्थिति को सुधारने और जरूरतमंद लोगों को दूध की हर समय उपलब्धता की नई दिशा दे दी है। रेलवे के सबसे बड़े रिसर्च सेंटर अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ने रेल मिल्क टैंक वैन (वीवीएनएच-1) बनाया है। यह टैंक आइसीएफ (पुरानी बोगियों) और लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) वाली सुपरफास्ट ट्रेनों में लगाए जा सकेंगे। वैन में दूध की क्षमता जहां पहले से 11.7 प्रतिशत अधिक होगी। वहीं यह वैन 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से दौड़ सकेंगे। रेलवे बोर्ड में आरडीएसओ के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। अब बोर्ड की ओर से क्लीयरेंस मिलने का इंतजार है।

loksabha election banner

उत्पादक व वितरक से लेकर उपभोक्ता तक कम लागत पर तेज गति से दूध पहुंचाने के लिए आरडीएसओ के कैरिज निदेशालय ने 44660 लीटर की क्षमता वाले मिल्क टैंकर वैन का डिजाइन तैयार किया था। जिनको तय टाइम टेबल पर दौडऩे वाली सुपरफास्ट ट्रेनों तक में लगाया जा सके। आरडीएसओ के अधिकारियों ने दूध को स्वच्छता से लोड कर उनको पहुंचाने के लिए अमेरिका व यूरोप के बल्क डिलीवरी सिस्टम के  मानक आइएस6591-1972 व 3ए का अध्ययन किया। इसके बाद जो डिजाइन बनाया गया।

दुग्ध उत्पादकों के लिए बने इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के तहत एआइएसआइ304 ग्रेड के स्टेनलेस स्टील का उपयोग मिल्क टैंक वैन बनाने में हुआ। उसमें दो परत वाले स्टेनलेस स्टील के इंसुलेटेड टैंक बनाने के लिए भीतरी गैलन तीन एमएम और बाहरी हिस्सा छह एमएम का रखा गया। ग्लोबल स्टैंडर्ड के मानकों के तहत मिल्क वैन के इनर वेसल, मेनहोल रिम, मेनहोल डोर, नल कवर और बाहरी वॉल्व मेें स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया है। मिल्क वैन बनाते समय सभी वेल्डिंग किए गए ज्वाइंट का रेडियोग्राफिक टेस्ट किया गया। उनके तनाव की जांच पानी से हाइड्रालिक प्रेशर 0.35 किग्रा प्रति सेमी. स्क्वायर पर की गई। मिल्क वैन का यह स्पेशल डिजाइन दूध को 72 घंटे तक 1.7 डिग्री के तापमान के ऊपर नहीं जाने देगा। मिल्क वैन के ब्रेक सिस्टम में लोड सेंसिंग डिवाइस लगायी गयी है।

कोरोना के बीच हुआ ट्रायल

आरडीएसओ के डिजाइन पर तैयार इस मिल्क वैन का ट्रायल कोरोना काल के बीच किया गया। एक्सप्रेस ही नहीं पैसेंजर ट्रेन में भी इनको लगाकर दौड़ाया गया। ट्रायल सफल होने के बाद आरडीएसओ ने अपनी रिपोर्ट को रेलवे बोर्ड भेजा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मिल्क वैन दुग्ध उद्योग के लिए वरदान साबित होगी। गुजरात जैसे दुग्ध उत्पादक प्रदेशों से मेट्रो शहरों को दूध सुरक्षित और तेजी से भेजा जा सकेगा। इसका सीधा लाभ दुग्ध सोसाइटी सेक्टर और उपभोक्ताओं को मिलेगा। अधिक वहन क्षमता के कारण कम इंजनों का इस्तेमाल होगा। जिससे पर्यावरण में कार्बन डाइ आक्साइड की मात्रा भी कम होगी।

एक साथ दौड़ सकते हैं 24 मिल्क टैंक वैन

आरडीएसओ ने मिल्क टैंक वैन के कपलर को भी संरक्षा मानकों के तहत डिजाइन किया है। कुल 24 मिल्क टैंक वैन का एक रैक 110 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ही दौड़ाया जा सकता है। इस एक रैक से 1072 किलोलीटर दूध एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है। यह मिल्क वैन मेन लाइनों पर दौडऩे वाली मेमू कार के फ्रेम पर तैयार किया गया है।

क्या कहते हैं अफसर ?

आरडीएसओ प्रधान कार्यकारी निदेशक आरके मिश्र के मुताबिक, आरडीएसओ का यह प्रोजेक्ट दुग्ध इंडस्ट्री और उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी होगा। एक्सप्रेस ट्रेनों से कम समय में तेज गति से अधिक दूध देश के किसी भी हिस्से में पहुंचाना अब आसान होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.