अंदरूनी राजनीति में फंसा लखनऊ का केजीएमयू, विभागाध्यक्ष ने भी दिया इस्तीफा
नए साल में अब विभागाध्यक्ष ने ही संस्थान छोड़ने का फैसला ले लिया है। गठिया रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ अनुपम वाखलू ने इस्तीफा दे दिया है। जिसे शुक्रवार को कार्यपरिषद ने स्वीकार कर लिया है। ऐसे में गठिया रोग विभाग में अब सिर्फ दो संकाय सदस्य बचे हुए हैं।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में प्रशासनिक फेरबदल से बेहतरी की उम्मीद जगी। नए कुलपति ने डॉक्टरों से सीधे संवाद कर आपसी विश्वास बाहली का कदम बढ़ाया। मगर, सिस्टम में पैठ बनाए कुछ चिकित्सकों को माहौल रास नहीं आया। लिहाजा, वह अंदरूनी राजनीति को हवा देते रहे। ऐसे में नया वर्ष शुरु होते ही डॉक्टरों के इस्तीफे का सिलसिला शुरू हो गया है। शुक्रवार को गठिया रोग विभाग के अध्यक्ष के इस्तीफे पर मुहर लग गई। इसको लेकर कैंपस में चर्चाएं जोरों पर हैं। केजीएमयू के आंतरिक हालतों में सुधार होता नहीं दिख रहा है। यहां की राजनीति में प्रशासनिक अमला उबर नहीं पा रहा है। लिहाजा, प्रोफेसरों के इस्तीफा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां दो माह में दूसरे संकाय सदस्य ने इस्तीफा दे दिया है।
नए साल में अब विभागाध्यक्ष ने ही संस्थान छोड़ने का फैसला ले लिया है। गठिया रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ अनुपम वाखलू ने इस्तीफा दे दिया है। जिसे शुक्रवार को कार्यपरिषद ने स्वीकार कर लिया है। ऐसे में गठिया रोग विभाग में अब सिर्फ दो संकाय सदस्य बचे हुए हैं। ऐसी स्थिति में यहां मरीजों का इलाज के साथ-साथ शैक्षणिक व्यवस्था भी प्रभावति होगी। विभाग में डीएम की पांच सीटें हैं। ऐसे में मानक के अनुसार फैकल्टी न होने पर पाठ्यक्रम पर भी संकट बढ़ेगा।
हीवेट मेडलिस्ट रहे हैं डॉ. वाखलू
डॉ. अनुपम वाखलू ने केजीएमयू से ही एमबीबीएस किया। यहां का सर्वोच्च मेडल हीवेट पर कब्जा जमाया। एमडी भी केजीएमयू से किया। वहीं डीएम कोर्स पीजीआइ से किया। इसके बाद वर्ष 2009 में केजीएमयू में नौकरी ज्वॉइन की। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा से फेलोशिप की। 2015 से 2020 तक इम्युनोलॉजी लैब का संचालन किया। वहीं वर्ष 2019 से विभागाध्यक्ष की भी जिम्मेंदारी संभाली। इस दौरान मरीजों के बेहतर इलाज के लिए कई सुविधाएं शुरू कीं। वहीं बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, स्टीम कुकिंग से मरीजों के भोजन योजना में उनका काफी योगदान रहा। इस्तीफे के मसले पर डॉ. अनुपम वाखलू ने कहा कि केजीएमयू से पुराना लगाव रहा। मेडिकल की पढ़ाई से लेकर नौकरी यहीं से शुरू की। मगर, यहां अब अंदरूनी राजनीति चरम पर है। ऐसे में काम का माहौल नहीं रह गया है। षडयंत्रों में शामिल चिकित्सकों को बढ़ावा मिल रहा है। मरीजों के इलाज व छात्रों की शिक्षा व्यवस्था की दिशा में बेहतर करने वाले डॉक्टरों को मु िश्कलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में दुखी मन से इस्तेफा का फैसला लेना पड़ा। वहीं कुलपति ले. जनरल डॉ. विपिन पुरी ने डॉक्टर के इस्तेफा पर कुछ भी बोलने से इंकार किया।
लगातार हो रहे हैं इस्तीफे
केजीएमयू से संकाय सदस्यों के इस्तीफा देने का दौर खत्म नहीं हो रहा है। स्थिति यह है कि यहां से यूरोलॉजी विभाग के डॉ राहुल जनक सिन्हा, सीटीवीएस से डॉ विजयंत देवराज, न्यूरो सर्जरी से डॉ सुनील कुमार इस्तीफा दे चुके हैं। इसी तरह एंडोक्राइनोलॉजिस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. मधुकर मित्तल, नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ संत कुमार पांडेय, किडनी टासंप्लांट एक्सपर्ट व लिवर ट्रांसप्लांट टीम के डॉक्टर भी संस्थान छोड़कर जा चुके हैं।
22 डॉक्टरों का प्रमोशन, 15 की नियुक्ति को मंजूरी
कार्यपरिषद में डॉक्टरों के प्रमोशन व नियुक्ति संबंधी मसले पर भी मुहर लगाई गई हैं। शुक्रवार को विभिन्न विभागों के 22 डॉक्टरों के प्रमोशन को मंजूरी दी गई है। वहीं 15 डॉक्टरों की नियुक्ति को भी हरी झंडी दी गई। इन डॉक्टरों के साक्षात्कार नवंबर में शुरू हुए। इसके अलावा डीन पैरामेडिकल के कार्यकाल का विस्तार किया गया। साथ ही नियुक्ति सेल के गठन को भी मंजूरी प्रदान की गई।
थोरेसिक सर्जरी नया विभाग बना
केजीएमयू में थोरेसिक सर्जरी का नया विभाग बनाया गया है। इससे फेफड़े, आहार नली व हृदय के आसपास के अन्य अंगों का इलाज हो सकेगा। इसका विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र सिंह यादव को बनाया गया है। केजीएमयू कार्य परिषद कि बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। देश में अभी तक एम्स कोलकाता व सर गंगाराम अस्पताल नई दिल्ली में थोरेसिक सर्जरी विभाग है। अन्य चिकित्सा संस्थानों में कार्डियोवस्कुलर एंड थोरेसिक सर्जरी विभाग है।