Hathras Case News : हाथरस कांड के दौरान दंगों की साजिश में PFI की फंडिंग में नाम आने पर भड़के चंद्रशेखर
Hathras Case News हाथरस के चंदपा थाना में चंद्रशेखर और उनके 400-500 समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। भले ही भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर पार्टी का नाम आने पर भड़क रहे हैं लेकिन अब इस केस में ईडी की भी एंट्री हो चुकी है।
लखनऊ, जेएनएन। हाथरस के बूलगढ़ी गांव में दलित युवती के साथ कथित दुष्कर्म तथा मारपीट के बाद हत्या के प्रकरण से उत्तर प्रदेश का माहौल काफी खराब हो रहा था। इस प्रकरण में पीएफआइ के चार सक्रिय कार्यकर्ताओं के गिरफ्त में आने के बाद माहौल खराब करने के लिए विदेशों से फंडिंग और भीम आर्मी का नाम जुडऩे पर भीम आर्मी मुखिया चंद्रशेखर भड़के गए हैं।
हाथरस के चंदपा थाना में चंद्रशेखर और उनके 400-500 समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। भले ही भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर पार्टी का नाम आने पर भड़क रहे हैं, लेकिन अब इस केस में ईडी की भी एंट्री हो चुकी है। ईडी जल्दी ही हाथरस कांड में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर सकती है।
हाथरस कांड के बाद बूलगढ़ी गांव के बहाने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरुआत कर उत्तर प्रदेश में जातीय उन्माद फैलाने की साजिश का खुलासा हुआ है। इस खौफनाक साजिश के पीछे पीएफआइ का नाम आया है। पुलिस को इस मामले में भीम आर्मी के पीएफआइ के साथ संलिप्त होने के संकेत भी मिले हैं। भीम आर्मी और पीएफआइ के साठगांठ की खबरें जब सामने आईं तो भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने खुली चुनौती दी है।
चंद्रशेखर ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर एक ट्वीट किया है। चंद्रशेखर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि मैं सीएम योगी आदित्यनाथ जी को चैलेंज करता हूं कि कोई भी जांच करवा लें 100 करोड़ तो दूर की बात यदि मेरे पास एक लाख रुपये भी मिल जाएं तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा, वरना आप उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दीजिए। अब तो मेरा जीवन मेरे समाज को समर्पित है मेरा खर्च मेरा समाज उठाता है।
चंद्रशेखर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि यूपी में न्याय की आवाज उठाना अंतरराष्ट्रीय साजिश कहलाता है। इससे पता चलता है दलितों के न्याय मांगने से योगी सरकार कितना डरती है उनकी नजर में दलितों की जिंदगी सस्ती है। यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि हाथरस के अपराधी योगी आदित्यनाथ जी के जाति के है उनको बचाने के लिये हम पर आरोप लगा रहे है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीएफआइ के के मुखपत्र के संपादक को गिरफ्तार किया है, जो केरल निवासी है। वह शाहीन बाग के पीएफआई कार्यालय का सचिव भी था। पुलिस उसे रिमांड पर लेने की कोशिश कर रही है ताकि पूछताछ के बाद जांच को आगे बढ़ाया जा सके। पीएफआइ के गिरफ्तार चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले में पीएफआइ की तरफ से सफाई सामने आई है। पीएफआइ की सफाई चाहे जो हो, लेकिन बार बार हिंसा के मामले में उसका नाम सामने आने के बाद शक गहराता जा रहा है।