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Hathras Case News: हाथरस के DM के खिलाफ कोई एकशन न होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार ने मांगा स्पष्टीकरण

Hathras Case News इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार के संबंध में राज्य सरकार से पूछा कि विवेचना के दौरान क्या उन्हेंं हाथरस में बनाए रखना निष्पक्ष और उचित है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 06:38 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 06:54 AM (IST)
Hathras Case News: हाथरस के DM के खिलाफ कोई एकशन न होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार ने मांगा स्पष्टीकरण
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की पीठ

लखनऊ, जेएनएन। हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी में 14 सितंबर को दलित युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म के दौरान मारपीट के बाद मौत के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस प्रकरण की जांच कर रही सीबीआइ से जांच की अवधि के बारे में जानकारी मांगी है। अब इस मामले में अगली सुनवार्ई 29 नवंबर को होनी है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार के संबंध में राज्य सरकार से पूछा कि विवेचना के दौरान क्या उन्हेंं हाथरस में बनाए रखना निष्पक्ष और उचित है। कोर्ट ने कहा कि हमारे समक्ष भी जो प्रक्रिया चल रही है, उससे वह भी जुड़े हुए हैं। क्या यह उचित नहीं होगा कि सिर्फ निष्पक्षता व पारदर्शीता के लिए इन प्रक्रियाओं के दौरान उन्हेंं कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील एसवी राजू से पूछा कि मामले की जांच जारी है, ऐसे में क्या हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार को उनके पद पर बनाए रखना सही और तर्कसंगत है। पीठ ने राजू से पूछा कि क्या यह बेहतर नहीं होता कि मामले की जांच लंबित होने के दौरान जिलाधिकारी को कहीं और तैनात कर दिया जाता, ताकि मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित होने में कोई संदेह बाकी न रहे। इस पर राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह सरकार को अदालत की इस चिंता से अवगत कराएंगे और मामले की अगली सुनवाई पर इस बारे में लिए गए निर्णय की जानकारी देंगे।

सीबीआइ जांच कब तक होगी पूरी

कोर्ट ने पूछा है कि हाथरस कांड की जांच कितने दिनों में पूरी हो जाएगी। कोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई दो नवंबर को की थी और आदेश सुरक्षित कर लिया था। हाईकोर्ट अपने आदेश में सीबीआई के वकील अनुराग सिंह से मामले की अगली सुनवाई के दौरान प्रकरण की जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके साथ ही यह भी पूछा है कि एजेंसी मामले की जांच में अभी और कितना समय लेगी। कोर्ट ने कहा है कि वह 25 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई पर अदालत को यह बताए कि वह प्रकरण की जांच पूरी करने में कितना समय लेगी।

आरोपितों का प्रार्थना पत्र खारिज

जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने हाथरस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही है। कोर्ट कोर्ट के समक्ष आरोपितों की ओर से एक प्रार्थना पत्र मामले में खुद को पक्षकार बनाए जाने के संबंध में भी दाखिल किया गया। कोर्ट ने इसे निस्तारित करते हुए कहा है कि वर्तमान मामले में कोर्ट दो बिंदुओं पर सुनवाई कर रही है, पहला सुप्रीम कोर्ट के 27 अक्टूबर के आदेश के अनुपालन में विवेचना की मॉनीटरिंग व दूसरा मृतका के अंतिम संस्कार के मुद्दे पर। कोर्ट ने कहा इन दोनों ही बिंदुओं पर आरोपितों को सुने जाने का अधिकार नहीं है, लिहाजा वे इस स्तर पर आवश्यक पक्षकार नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी प्रकार से उनके अधिकार प्रभावित होते हैं या प्रभावित होने की संभावना होती है तो उन्हेंं सुनवाई का अधिकार प्राप्त होगा। आरोपितों की ओर से एक अन्य प्रार्थना पत्र मीडिया ट्रायल को लेकर था जिसे भी कोर्ट ने निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हमने 12 अक्टूबर के अपने आदेश में मीडिया व राजनीतिक दलों को निर्देशित किया है कि वे ऐसा कोई विचार न व्यक्त करें जिससे पीडि़ता के परिवार अथवा आरोपितों अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़े। कोर्ट ने इसके अतिरिक्त किसी भी निर्देश की आवश्यकता नहीं पाई। हालांकि यह जरूर स्पष्ट किया कि यदि पीडि़ता के परिवार अथवा आरोपितों के अधिकारों को या विवेचना को प्रभावित करने वाली कोई बात आती है तो हम उस पर अवश्य संज्ञान लेंगे।

गौरतलब है कि हाथरस में 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव में दलित युवती से कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। 29 सितंबर को युवती की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी। इस केस में हाथरस के एसपी विक्रांत वीर तथा सीओ व चंदपा थाना प्रभारी के साथ अन्य पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया था। इस प्रकरण में तब तूल पकड़ा जब पता चला कि युवती के शव को उसके परिवार के लोगों की मर्जी के खिलाफ देर रात जला दिया गया था।  


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