Hathras Case Hearing: अभी चलती रहेगी हाथरस कांड की जांच, सीबीआइ ने पेश की जांच की प्रगति आख्या
Hathras Case Hearing उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित हाथरस कांड मामले की इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में बुधवार को सुनवाई हुई। सीबीआइ ने अब तक की गई जांच की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है। कोर्ट ने डीएम हाथरस को नहीं हटाने को पर नाराजगी भी जताई।
लखनऊ, जेएनएन। Hathras Case Hearing: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में बुधवार को सीबीआइ ने हाथरस मामले में विवेचना की प्रगति आख्या रिपेार्ट पेश की। सीबीआइ ने कोर्ट को बताया कि 10 दिसंबर तक मामले की जांच पूरी होने की संभावना है। जांच में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि फोरेंसिक रिपोर्ट आने में विलंब हो रहा है।
जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की पीठ के सामने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार का मजबूती के साथ बचाव किया। सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील एसवी राजू व अपर महाधिवक्ता वीके साही ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल डीएम को हटवाना चाहते हैं जबकि उन्होंने सभी निर्णय सदभावना में लिए थे। हालांकि कोर्ट ने सरकार के जवाब से खिन्नता जाहिर की। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि तय की है। सीबीआई के वकील अनुराग सिंह ने अब तक हुई जांच की जानकारी दी। कोर्ट हाथरस मामले में स्वत: संज्ञान द्वारा 'गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकारÓ टाइटिल से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पूर्व के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से एक हलफनामा भी दाखिल किया गया।
जिलाधिकारी हाथरस प्रवीण कुमार की बाबत राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि पूरे मामले में उनका कार्य व निर्णय सद्भावनापूर्ण रहा है। कुछ राजनीति दल उन्हेंं वहां से हटाना चाहते हैं लेकिन सरकार यदि उन्हेंं हटाती है तो सद्भावनापूर्ण तरीके से काम करने वाले सरकारी अधिकारी हतोत्साहित होंगे। सरकार की ओर से यह भी दलील दी गई कि मृतका के परिवार ने भी जिलाधिकारी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की है और न ही मामले की जांच में जिलाधिकारी द्वारा किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई बात सामने आई है। हालांकि कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि वह सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं है।
मृतका के परिवार की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने सुनवाई के दौरान परिवार के लिए दिल्ली में घर दिए जाने का आदेश सरकार को देने की मांग की। इस पर पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले पर संज्ञान सीमित उद्देश्य के लिए लिया गया है। यह आरोप-प्रत्यारोप का मुकदमा नहीं है। कोर्ट ने हाथरस जैसे मामले की पुनुरावृत्ति होने की दशा में अंतिम संस्कार के लिए प्रस्तावित गाइडलाइन पर और विचार-विमर्श करने का निर्देश भी राज्य सरकार को दिया।
यह है पूरा मामला : हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को चार लोगों ने कथित रूप से 19 साल की दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस दौरान लड़की को गंभीर चोट आई थी। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़िता की मौत हो गई थी। पीड़िता की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गई थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया, जबकि स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।