पर्यावरण संरक्षण: प्यार के स्पर्श से हरदोई के कछुओं ने छुए अनछुए आयाम
हरदोई जिले के ककराखेड़ा गांव के तालाब में करीब 10 हजार कछुए नमामि गंगे प्रोजेक्ट में हुआ चयन। पर्यटन के नक्शे पर चमकने जा रहा गांव देश के स्वस्थ-समृद्ध आठ तालाबों में से एक।
हरदोई [पंकज मिश्रा]। केरल में हथिनी से क्रूरता की हृदय विदारक खबर के बीच हरदोई, उप्र के ककराखेड़ा गांव से आ रही पशु प्रेम की यह कहानी सुकून देती है। यहां सुस्त चाल के लिए पहचाने जाने वाले कछुओं को इंसानों का प्यार भरा स्पर्श मिला तो उन्होंने अनछुए आयाम छू लिए। यहां के लोग गांव का नाम चमकाने का जो ख्वाब देखते रहे, वो काम उनके स्नेह से आबाद तालाब में रहने वाले कछुओं ने कर दिया। इनके चलते अब यह गांव पर्यटन के नक्शे पर चमकने जा रहा है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट में चयनित देश के आठ तालाबों में यहां के तालाब को भी चुना गया है।
राष्ट्रीय फलक पर गांव को मिले इस मान से आज पूरा गांव गदगद है। सभी गर्वित भाव से अपने उन बुजुर्गों के प्रति आभार जता रहे हैं, जिनके स्नेहिल स्पर्श के चलते गांव को यह मान मिला है। ऐसे ही दो बुजुर्ग हैं अंगद सिंह और परमेश्वर दयाल। दोनों बताते हैं कि 1965 में तालाब में पानी खत्म हो गया था। पता नहीं कहां से चार कछुए आ गए थे। वो पानी सूखने से परेशान थे। लोगों ने तालाब के पास ही स्थित कुएं के पास गड्ढा खोदकर उसमें पानी भरकर चारों कछुओं को उसी में डाल दिया। कुछ दिनों बाद बरसात हुई तो उन्हें फिर से तालाब में छोड़ दिया गया। तालाब फिर कभी न सूखे, इसके लिए पूरे गांव के पानी का निकास उसमें कर दिया गया। इसके बाद तालाब कभी नहीं सूखा। कछुओं का कुनबा बढ़ते हुए अब 10 हजार के पार पहुंच चुका है। यहां कई कछुए तो 50 किलो से लेकर सौ किलो तक के हैं।
गांव वालों ने कछुओं को शिकारियों से भी बचाए रखा। जिसने भी कछुओं पर बुरी नजर डाली, उसकी ग्रामीणों ने जमकर खबर ली। कछुए अकसर तालाब से निकलकर बाहर भी विचरण करते हैं। अगर किसी गली में किसी को कोई कछुआ मिल जाता है, तो वह उसे उठाकर तालाब में छोड़ आता है। इतना ही नहीं, कछुए तालाब के किनारे खेतों में गड्ढा खोदकर अंडे देकर फिर उसे बंद कर देते हैं। ग्रामीण ऐसे स्थानों का पता होने पर उसकी सुरक्षा भी करते हैं।
क्या कहते हैं अफसर ?
हरदोई जिलाधिकारी पुलकित खरे के मुताबिक, केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने गंगा प्रवाह क्षेत्र के आठ जलाशयों में ककराखेड़ा तालाब को भी विकसित करने के लिए चुना है। करीब एक एकड़ क्षेत्र में फैले इस तालाब को कछुओं के संरक्षित एवं प्रजनन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। जलशक्ति मंत्रालय ने इस पर मुहर लगा दी है और नमामि गंगे के प्रोजेक्ट में तालाब को शामिल करते हुए मानचित्र भी जारी किया है।