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Hal Chhath Vrath 2020: संतान की लंबी आयु की कामना का हल छठ व्रत आज, जानिए क्या हैं मान्यताएं

Hal Chhath Vrath 2020 भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को होने वाले इस पर्व पर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 09:25 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 09:25 AM (IST)
Hal Chhath Vrath 2020: संतान की लंबी आयु की कामना का हल छठ व्रत आज, जानिए क्या हैं मान्यताएं
Hal Chhath Vrath 2020: संतान की लंबी आयु की कामना का हल छठ व्रत आज, जानिए क्या हैं मान्यताएं

लखनऊ, जेएनएन। Hal Chhath Vrath 2020: संतान की लंबी आयु और समृद्धि की कामना का व्रत हल छठ (हलषष्ठी) व्रत रविवार को है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को होने वाले इस पर्व पर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बलराम जी का शस्त्र हल और मूसल है। इसी कारण इनको हलधर भी कहते है।  धार्मिक मान्यता के अनुसार, बलराम जी शेषनाग के अवतार थे । इस दिन हल पूजन का विशेष महत्व है। पूर्वांचल में इसे ‘ललई छठ’ भी कहते हैं।

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आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इस दिन स्त्रियां व्रत रखकर पूजन करती हैं। गाय का दूध, दही का सेवन वर्जित होता है। जमीन को लीप कर एक छोटा सा तालाब बनाते है इस तालाब में झरबेरी, कांस और पलास की शाखा बांधकर हरछठ गाड़ दिया जाता है और स्त्रियां इसकी पूजा में सतनाजा (सात तरह के अनाज) पसई चावल चढ़ाती हैं। हरछठ के पास आभूषण और हल्दी से रंगा वस्त्र भी रखते है और कथा सुनते है और संतान की लंबी उम्र की कामना की जाती है।

इसलिए होती है पूजा
हलछठ शुरू होने के पीछे कथानक है। आचार्य विजय वर्मा ने बताया कि एक ग्वालिन गर्भवती थी। उसका प्रसवकाल नजदीक था, लेकिन दूध-दही खराब न हो जाए, इसलिए वह उसको बेचने चल दी। कुछ दूर पहुंचने पर ही उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने झरबेरी की ओट में एक बच्चे को जन्म दिया। उस दिन हल षष्ठी थी। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद वह बच्चे को वहीं छोड़ दूध-दही बेचने चली गई। गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने गांव वालों को छल कर दूध बेच दिया। इससे व्रत करने वालों का व्रत भंग हो गया। इस पाप के कारण झरबेरी के नीचे स्थित पड़े उसके बच्चे को किसान का हल लग गया। दुखी किसान ने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांकें लगाए और चला गया। ग्वालिन लौटी तो बच्चे की ऐसी दशा देख कर उसे अपना पाप याद आ गया। उसने गांव में घूम कर अपनी ठगी की पूरी जानकारी दी। सच बोलने पर सभी ग्रामीण महिलाओं ने उसे क्षमा कर दिया और आशीर्वाद दिया। इस प्रकार ग्वालिन जब लौट कर खेत के पास आई तो उसने देखा कि उसका मृत पुत्र तो खेल रहा था। इसी दिन से पूजन शुरू हो गया।

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