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DR Sugestions on Coronavirus: कोरोना हो चुका है तो एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट के बाद ही लगवाएं वैक्सीन

डा. चट्टोपाध्याय ने कहा कि वायरोलॉजी के अनुसार यदि किसी को वायरल इंफेक्शन हो जाता है तो उसे वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं होती। इसी प्रकार यदि किसी वायरस के विरुद्ध वैक्सीन दी जा चुकी है तो भी संक्रमण की संभावना न के बराबर रहती है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 21 May 2021 06:06 AM (IST)Updated: Fri, 21 May 2021 11:14 AM (IST)
DR Sugestions on Coronavirus: कोरोना हो चुका है तो एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट के बाद ही लगवाएं वैक्सीन
कोरोना संक्रमण से स्वत: मिलेगा एंटीबॉडी का सुरक्षा कवच।

लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। कोविड-19 के संक्रमण से उबर चुके लोगों के लिए राहत भरी खबर है। कोरोना से संक्रमित होने के बाद तीन महीने तक उन्हें वैक्सीन लेने के लिए भागदौड़ करने की जरूरत नहीं। यही नहीं, ऐसे लोग जिनको वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, उन्हें भी दूसरी डोज लगवाने में जल्दी नहीं करनी चाहिए। कारण यह है कि वैक्सीन का काम संक्रमण ने स्वत: ही कर दिया। तीन महीने के बाद पहले एंटीबॉडी टाइटर जांच कराएं। अगर जांच में एंटीबॉडी पर्याप्त संख्या में मौजूद है तो ऐसे लोगों को भी फिलहाल वैक्सीनेशन की तत्काल कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। वह कुछ समय और इंतजार कर सकते हैं और एक बार फिर टेस्ट करवाकर देख लें, यदि एंटीबॉडी न हो अथवा कम संख्या में हो तभी वैक्सीनेशन करवाएं।

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आइसीएमआर के नेशनल इंस्टीट््यूट ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन के निदेशक एवं जाने-माने वायरोलॉजिस्ट डा. देब प्रसाद चट्टोपाध्याय ने बताया कि ऐसे लोग वैक्सीनेशन का समय आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि संक्रमण के बाद शरीर में विकसित एंटीबॉडी कोरोना के विरुद्ध सुरक्षा कवच साबित होगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है और उसके बाद उसे कोरोना संक्रमण हुआ है, तो ऐसे व्यक्ति को भी दूसरी डोज लेने के पहले एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट कराने की जरूरत है। यदि जांच में एंटीबॉडी मौजूद है तो वैक्सीनेशन की तत्काल जरूरत नहीं पड़ेगी।

डा. चट्टोपाध्याय ने कहा कि वायरोलॉजी के अनुसार यदि किसी को वायरल इंफेक्शन हो जाता है तो उसे वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं होती। इसी प्रकार यदि किसी वायरस के विरुद्ध वैक्सीन दी जा चुकी है तो भी संक्रमण की संभावना न के बराबर रहती है। डा. चट्टोपाध्याय कहते हैं कि कोरोना वायरस की खास बात यह है कि यह सीधे श्वसन तंत्र पर हमला करता है। ऐसा वायरस ज्यादा समय तक नहीं रहता, साथ ही बहुत तेजी से अपने को बदल लेता है। यही वजह है कि इसके प्रति इम्युनिटी भी ज्यादा समय तक कारगर नहीं रहती, लेकिन हमारा शरीर कुदरती तौर पर ऐसे संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए समर्थ है। ऐसे में सलाह है कि बगैर एंटीबॉडी टाइटर जांच के वैक्सीन न लें। इससे इम्युनोरेगुलेशन गड़बड़ा सकता है।


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