छोटे पान किसानों को होगा बड़ा फायदा, अब मिलेगा कुल लागत का 50 फीसद अनुदान
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर अनुदान की सीमा को 1500 से घटाकर 500 वर्ग मीटर किए जाने का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे हरी झंडी मिल गई है।
लखनऊ[जितेंद्र उपाध्याय]। यदि आप पान किसान हैं और 500 वर्ग मीटर में पान की खेती करते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत आपको भी अनुदान दिया जाएगा। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर अनुदान की सीमा को 1500 से घटाकर 500 वर्ग मीटर किए जाने का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे हरी झंडी मिल गई है। अनुदान के लिए खेती की सीमा अधिक होने से छोटे किसानों अनुदान नहीं मिल पाता था। उद्यान विभाग ने सीमा घटाकर 500 वर्ग मीटर करके छोटे पान किसानों को राहत देने का निर्णय लिया है।
रकबा घटने से अब 25 हजार रुपये का अनुदान अधिक किसानों को मिल सकेगा। महोबा से लेकर उन्नाव और लखनऊ से लेकर रायबरेली, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर, भदोही व सोनभद्र समेत प्रदेश के 21 जिलों 700 हेक्टेयर क्षेत्र में पान की खेती होती है। इससे लाखों छोटे किसानों को फायदा होगा। अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत कई देशों में 25 लाख डॉलर से अधिक पान का निर्यात हर वर्ष होता है। देश में 15 राज्यों में 55 हजार हेक्टेयर में पान की खेती होती है।
व्यवसाय से जुड़े हैं लाखों परिवार
पान किसानों की संख्या में भले ही कमी हो रही हो लेकिन, पान के व्यवसाय से लाखों पर परिवार जुड़े हैं। राष्ट्रीय पान किसान यूनियन के महासचिव छोटेलाल चौरसिया ने बताया कि राज्यसभा सदस्य डॉ.पीएल पुनिया, यूनियन के अध्यक्ष प्रभात किरन और एसएन चौरसिया के साथ प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीमा घटाने की मांग की थी। इससे राहत मिली है लेकिन, इससे पान व्यवसाय से जुड़े 30 लाख लोगों को फायदा होगा। पान मसाले पर प्रतिबंध लगाने, पान को कृषि का दर्जा देने और पान विकास आयोग के गठन की मांग अभी पूरी नहीं हुई है।
क्या कहते हैं उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण का?
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एके सिंह संयुक्त निदेशक का कहना है कि 'राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत छोटे किसानों को फायदा होगा। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया जिसको हरी झंडी मिल गई है। नए आदेश आते ही नई नियमावली के तहत छोटे पान किसानों को अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए दो करोड़ रुपये भी सरकार ने स्वीकृत किए हैं। नई नियमावली से पान की खेती छोड़ रहे किसान दोबारा जुड़ेंगे।