Move to Jagran APP

राज्यपाल ने कुलपति भातखंडे को कार्य से किया विरत, मंडलायुक्त लखनऊ को द‍िया पद का दायित्व

राज्यपाल ने मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम को अग्रिम आदेशों तक कुलपति पद के दायित्वों के निर्वहन के लिए अधिकृत किया है। काटकर पिछले 11 साल से भातखंडे की कुलपति हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 10:05 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 07:00 AM (IST)
राज्यपाल ने कुलपति भातखंडे को कार्य से किया विरत, मंडलायुक्त लखनऊ को द‍िया पद का दायित्व
राज्यपाल ने कुलपति भातखंडे को कार्य से किया विरत, मंडलायुक्त लखनऊ को द‍िया पद का दायित्व

लखनऊ, जेएनएन। वित्तीय अनियमितता के आरोपों में घिरीं प्रो. श्रुति सडोलीकर काटकर पर शासन ने बड़ा फैसला लिया। राज्यपाल एवं अध्यक्ष भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय आनंदी बेन पटेल ने कुलपति प्रो. श्रुति सडोलीकर काटकर के विरुद्ध प्रचलित प्रशासनिक एवं वित्तीय अनियमितताओं की जांच के निष्पक्ष व न्यायपूर्ण तरीके से संपादित कराए जाने के उद्देश्य से उन्हें तत्काल कुलपति के कार्य से विरत कर दिया है। राज्यपाल ने मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम को अग्रिम आदेशों तक कुलपति पद के दायित्वों के निर्वहन के लिए अधिकृत किया है। काटकर पिछले 11 साल से भातखंडे की कुलपति हैं। वो 2009 में कुलपति बनी थीं। उन्हें 2014 में दोबारा एक्सटेंशन देकर कुलपति बनाए रखा गया। साल 2009 से पहले वे मुंबई विश्वविद्यालय में संगीत के प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं।

loksabha election banner

मनमाने तरीके से काम कराने का आरोप 

दरअसल सीएजी की रिपोर्ट में कई वित्तीय अनियमितता के खुलासे किए गए जिसके बाद कुलपति पर शिकंजा कसता चला गया। रिपोर्ट के बाद राज्यपाल ने कुलपति की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। बताया गया कि राज्यपाल की ओर से जांच संबंधी जो आदेश जारी किया गया, उसमें 15 अलग-अलग वित्तीय अनियमितता और मनमानी का जिक्र था। इस रिपोर्ट के मुताबिक बार-बार एक ही फर्म को विश्वविद्यालय में काम दिया गया। साथ ही बिना टेंडर के मनमानेे तरीके से काम कराए जाने के आरोप भी सामने आए । यही नहीं यूनिवर्सिटी के कॉर्पस फण्ड के सापेक्ष बिना शासन की अनुमति के लोन लेने जैसे आरोप भी लगे।

छात्र-छात्राओं के मानसिक उत्पीड़न का आरोप

कुलपति पर संस्थान के कई छात्र-छात्राओं के मानसिक उत्पीड़न के भी आरोप लग चुके हैं। कुछ समय पहले संस्थान के शिक्षक स्व. पंडित विनोद मिश्र की मौत के लिए भी प्रो. श्रुति को जिम्मेदार ठहराया गया था। परिवारीजन ने कुलपति पर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के साथ ही सेवानिवृत्त होने के बाद दिए जाने वाले लाभों से वंचित रखने का भी आरोप लगाया। पहले भी संस्थान के कई संगीत शिक्षक कुलपति पर उन्हें प्रताड़ित करने और जबरन रिटायर करने का आरोप लगा चुके हैं। संस्थान में अधिकतर शिक्षकों को कोर्ट से स्टे लेकर नौकरी करनी पड़ी है। संविदा पर शिक्षकों से काम लिया जा रहा। 14-15 साल से भी अधिक समय तक काम कर चुके शिक्षकों को भी परमानेंट नहीं किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.