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नाराज किसान, अधूरी तैयारियां, आखिर ऐसे में कैसे पूरा होगा उत्तर प्रदेश में सरकारी धान खरीद का लक्ष्य

नाराज किसान और अधूरी तैयारियों के बीच उत्तर प्रदेश में सरकारी धान की खरीद शुरू हो गई है। हालांकि पहले दिन एक अक्टूबर को किसानों में उत्साह नहीं दिखा। ऐसे में 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य पूरा हो पाना मुश्किल ही दिख रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 03:42 AM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 06:54 PM (IST)
नाराज किसान, अधूरी तैयारियां, आखिर ऐसे में कैसे पूरा होगा उत्तर प्रदेश में सरकारी धान खरीद का लक्ष्य
धान खरीद की तैयारी पूरी नहीं होने के कारण पहले दिन एक अक्टूबर को किसानों में उत्साह नहीं दिखा।

लखनऊ, जेएनएन। केंद्र सरकार के कृषि सुधार विधेयकों को लेकर किसानों के एक वर्ग में बढ़ी नाराजगी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार धान खरीद को लेकर अतिरिक्त गंभीरता दिखा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी हितायत दी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर सरकारी धान नहीं खरीदा जाए। क्रय केंद्रों पर किसानों को कोई असुविधा न होने के सख्त निर्देश देने के साथ ही कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) व कृषक उत्पादक कंपनी (एफपीसी) के जरिये खरीद कार्य में किसानों की भागीदारी को बढ़ावा देने की रणनीति भी अपनाई जा रही है। हालांकि धान खरीद की तैयारी पूरी नहीं होने के कारण पहले दिन एक अक्टूबर को किसानों में उत्साह नहीं दिखा। ऐसे में 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य पूरा हो पाना मुश्किल ही दिख रहा है।

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कैबिनेट द्वारा स्वीकृत नई धान क्रय नीति के अनुसार खरीद कार्य एक अक्टूबर से उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में शुरू हो गया है और एक नवंबर से पूर्वी व अन्य जिलों में आरंभ होगा। पंजीकरण कराने के साथ किसानों को धान बेचने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्रमश: 1868 रुपये व 1888 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। यानी खरीफ सीजन की खरीद में ए-ग्रेड का धान 1888 रुपये प्रति क्विंटल दर से और सामान्य प्रजाति का धान 1868 रुपये प्रति क्विंटल दर से खरीदा जाएगा। इस बीच पहले दिन प्रदेश में मात्र 38 मीट्रिक टन धान ही खरीदा जा सका। केवल आधा दर्जन जिलों में ही किसान क्रय केंद्रों पर अपना धान लेकर पहुंचे। हालांकि 1.64 लाख से अधिक किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीकरण कराया है।

प्रदेश में 4000 केंद्रों पर धान खरीद : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ही करीब चार हजार क्रय केंद्रों पर धान खरीदा जाएगा। इस सीजन में 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों को कोई परेशानी नहीं होने पाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर धान बिक्री नहीं होने पाए। सरकार एजेंसियों के अलावा कृषक उत्पादक संगठनों के जरिए भी धान की खरीद करायी जा सकती है। एक अक्टूबर से 31 जनवरी 2021 तक सहारनपुर, आगरा, मेरठ, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़, झांसी मंडलों के अलावा हरदोई, लखीमपुर व सीतापुर जिलों में धान खरीद शुरू हो गई है। इसी क्रम में एक नवंबर से 28 फरवरी 2021 तक पूर्वी क्षेत्र के कानपुर, अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती, गोरखपुर , प्रयागराज, वाराणासी व आजमगढ़ मंडलों के अलावा लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव चित्रकूट में खरीद कार्य किया जाएगा।

55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य : खाद्य एवं रसद विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्रय केंद्रों पर पहले दिन कम धान पहुंच पाने की प्रमुख वजह बासमती सुंगधित धान रहा। इस क्षेत्र में इसकी बोआई तो अधिक होती है, लेकिन सरकारी खरीद नहीं की जाती है। प्रदेश में चार हजार क्रय केंद्रों के जरिये 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य पूरा किया जाना है। गुरुवार को 1500 से अधिक क्रय केंद्र तैयार होने का दावा विभागीय अधिकारियों ने किया। उनका कहना है कि दो अक्टूबर को अवकाश होने के कारण तीन अक्टूबर से खरीद में तेजी आएगी और क्रय केंद्र भी अधिक सक्रिय हो जाएंगे।

11 एजेंसियां एमएसपी पर खरीदेंगी धान : पहले दिन रामपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर व सीतापुर समेत सात जिलों में ही धान खरीद हो सकी। बता दें कि एक अक्टूबर से जिन जिलों में धान खरीद का कार्य आरंभ होना था, उसमें सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, आगरा, बरेली, अलीगढ़ व झांसी मंडलों के जिलों के अलावा लखनऊ मंडल के हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर जिले भी शामिल हैं। वहीं प्रदेश में तीन हजार के बजाए चार हजार क्रय केंद्र स्थापित करने के फैसले के बाद यूपी एग्रो, कर्मचारी कल्याण निगम व उपभोक्ता सहकारी संघ को धान क्रय केंद्र स्थापित करने की अनुमति दे दी गई है। इन्हें मिलाकर अब कुल 11 एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान खरीदा जाएगा।

बासमती उत्पादक किसानों में मायूसी : कोरोना संकट में बासमती निर्यात की संभावनाएं कमजोर पड़ने के कारण इस बार बासमती चावल के उत्पादक किसानों को गत वर्ष से कम दाम मिल रहे हैं। हापुड़ के किसान ज्ञानेंद्र चौधरी का कहना है कि पिछले साल 2600 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बिकने वाला बासमती इस बार 1800 से 2000 रुपये दर से ही बिक पा रहा है।

किसानों को धान मूल्य तीन दिन में कराने का प्रयास : धान खरीद में किसानों को तीन दिन में मूल्य भुगतान के लिए भी प्रदेश सरकार के प्रयास किए हैं। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम एसएफसी द्वारा धान क्रय के लिए कुल 3000 करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट के लिए शासकीय गारंटी की स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस धनराशि से खाद्य एवं रसद विभाग की विपणन शाखा को आवश्यकता अनुसार ऋण या अग्रिम धन प्रदान किया जाएगा। धान क्रय के लिए अन्य एजेंसियों उत्तर प्रदेश को-आपरेटिव फैडरेशन पीसीएफ, उत्तर प्रदेश को-आपरेटिव यूनियन लिमिटेड द्वारा खरीद के लिए पूंजी की व्यवस्था अन्य वित्तीय संस्थानों से की जाएगी। उस पर आने वाले ब्याज की पूर्ति भारतीय खाद्य निगम से प्राप्त ब्याज से समायोजित करते हुए राज्य सरकार करेगी। ब्याज आदि भुगतान की व्यवस्था सुचारु बनाए रखने के लिए राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम के साथ मिलकर एस्क्रो खाता खोला जाएगा, जिसमें एफसीआई ऋण अदायगी समय से सुनिश्चत कराएगा।

बिचौलियों के बजाय किसानों के जरिए खरीद : उत्तर प्रदेश सरकार ने धान खरीद के लिए बिचौलियों का दखल खत्म करके किसान समूहों एफपीओ व एफपीसी के माध्यम से खरीद का आरंभ करने का मन बनाया है। एफपीओ अपने जिलों से बाहर भी धान खरीद कर सकेंगे, लेकिन इसके लिए संबंधित जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। आयुक्त खाद्य व रसद से अनुमति लेनी होगी।


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