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Cabinet Decision: आइटी पार्क विकसित करने को सरकार की सहूलियत

उत्तर प्रदेश की सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट-अप नीति-2017 पर बुधवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 07:56 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 11:56 AM (IST)
Cabinet Decision: आइटी पार्क विकसित करने को सरकार की सहूलियत
Cabinet Decision: आइटी पार्क विकसित करने को सरकार की सहूलियत

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट-अप नीति-2017 पर बुधवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी। प्रदेश में अब राजकीय संस्थानों के सहयोग से निजी क्षेत्र के निवेशक आइटी पार्क विकसित कर सकेंगे। स्टार्ट-अप कार्पस फंड की सीमा सौ करोड़ रुपये से बढ़ाकर एक हजार करोड़ रुपये कर दी गई है। रोजगार को बढ़ावा देने को सरकार तकनीकी उद्यमियों पर मेहरबान हो गई है। 

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यह नीति लागू होने से पहले ही  ब्याज, स्टांप ड्यूटी, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से छूट, भविष्य निधि की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति, विद्युत बिलों में छूट और स्व-प्रमाणन को बढ़ावा देने की व्यवस्था थी। अब टियर-2 और टियर-3 के नगरों में आइटी, आइटीएस क्षेत्र की इकाइयों को उत्तर प्रदेश स्थित महाविद्यालयों से न्यूनतम 50 नए सूचना प्रौद्योगिकी बीपीएम पेशेवरों की वार्षिक भर्ती हेतु 20 हजार रुपये प्रति कर्मी की दर से रिक्रूटमेंट सहायता मिलेगी। शोध तथा विकास को बढ़ावा देने के लिए, घरेलू पेटेंट्स के लिए पांच लाख तथा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट्स के लिए दस लाख रुपये की सीमा सहित वास्तविक फाइलिंग लागत की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति स्वीकृत पेटेंट्स के लिए अनुमन्य होगी। प्रति एकड़ भूमि न्यूनतम 200 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाली इकाइयों को प्रति कर्मी 15 हजार रुपये की दर से भूमि की लागत की 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति होगी। सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा क्षेत्र की इकाइयों को व्यवसायिक संचालन के लिए तीन वर्ष की अवधि तक प्रति वर्ष दस लाख रुपये का सहयोग मिलेगा। प्रदेश में राजकीय संस्थानों जैसे आइआइटी, आइआइएम और समकक्ष राजकीय संस्थान के सहयोग से अथवा निष्पक्ष चयन प्रक्रिया द्वारा चयनित, निजी क्षेत्र के निवेशकों के सहयोग आइटी पार्क विकसित करने की अनुमति होगी। उप्र में इन्क्यूबेटर्स, उत्पे्ररकों के केंद्र में कार्यरत स्टार्ट-अप्स कंपनियों को घरेलू पेटेंट्स के लिए दो लाख तथा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट्स के लिए दस लाख की सीमा तक पेटेंट्स फाइलिंग लागत की प्रतिपूर्ति होगी। चयनित स्टार्ट-अप्स को उत्तर प्रदेश अविष्कार पुरस्कार दिए जाएंगे। साथ ही संबंधित विभाग में उनके समाधानों के समयबद्ध रूप से क्रियान्वयन के लिए अधिकतम 50 लाख का वित्तीय सहयोग मिलेगा। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों में प्रतिभाग के लिए 50 हजार रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। 

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2012 में उप्र की सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2012 घोषित की गई थी जिसमें संशोधन करते हुए उप्र सूचना एवं स्टार्ट-अप नीति 2016 बनी। योगी सरकार के आने के बाद उप्र की औद्योगिक निवेश तथा रोजगार प्रोत्साहन नीति 2017 घोषित की गई। प्रदेश के अधिक से अधिक शिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराने की गरज से सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट-अप नीति-2017 की जरूरत महसूस की। बुधवार को इसी नीति पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी। 

नोएडा, ग्रेनो बना इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन

कैबिनेट ने उप्र इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग नीति-2017 का अनुमोदन किया है। इस नीति का लक्ष्य इलेक्ट्रानिक मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में 20 हजार करोड़ का निवेश करना है। यह नीति 2022 तक प्रभावी होगी और तीन लोगों को इससे रोजगार मिलेगा। इस नीति को मंजूरी मिलने से नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र को इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन (इएमजेड) क्षेत्र घोषित हो गया है। दरअसल, पूर्व में घोषित उप्र इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति के तहत सिर्फ प्रोत्साहन इलेक्ट्रानिक मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर्स के अंदर स्थापित होने वाली इकाइयां ही अनुमन्य थी इस वजह से देश-विदेश के निवेशकों की रूचि के बावजूद प्रदेश में पर्याप्त निवेश नहीं हो रहा था। अब कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ईएमजेड क्षेत्र का विस्तार होने से उद्यमी आकर्षित होंगे। इस नीति के तहत निजी क्षेत्र में भी पार्क स्थापित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। अन्य राज्यों की तरह पूंजी और ब्याज में छूट, कर प्रतिपूर्ति, स्टांप शुल्क छूट, भूमि के मूल्य में छूट आदि अनुमन्य होगा। नीति के तहत इलेक्ट्रानिक्स इकाइयों में तीन प्लस एक फ्लोर एरिया रेशियो तथा कर्मकारों के लिए कल्याणकारी सुविधाएं मसलन डारमेटरी, कैंटीन और डिस्पेंसरी भी मुहैया होगी। 

केजीएमयू में होगा आर्गन ट्रांसप्लांट 

योगी सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ (केजीएमयू) में आर्गन ट्रांसप्लांट के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि केजीएमयू के शताब्दी फेज-एक के तृतीय तल पर आर्गन ट्रांसप्लांट की स्थापना के लिए मार्च 2016 में 15.41 लाख रुपये की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति दी गई थी। लेकिन, यह धनराशि पर्याप्त नहीं है। कैबिनेट ने इसकी पुनरीक्षित लागत 525.59 लाख रुपये को मंजूरी दे दी है। हालांकि राजकीय निर्माण निगम ने 701.20 लाख रुपये की पुनरीक्षित लागत का प्रस्ताव दिया था लेकिन वित्त समिति ने यही धनराशि अनुमोदित की। इससे आर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट में प्राइवेट वार्ड, मेडिकल गैस पाइप लाइन, एयर कंडीशनिंग, फायर फाइटिंग, 125 केवी डीजी सेट आदि कार्य होंगे। परियोजना में प्रयुक्त उच्च विशिष्टियों माडुलर मिनरल फाल्स सीलिंग, एसीपी वाल पेनिंग, माडुलर ट्रांसप्लांट आइसीयू, एंटी स्टेटिक फ्लोरिंग, जो लोक निर्माण की निर्धारित विशिष्टियों से उच्च है, को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। 


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