ग्राहकों के भरोसे ने कराए कारोबार के 60 साल पूरे
लखनऊ यह वह वक्त था जब लोगों की बिजली के उपकरणों की जरूरतें सीमित थीं। लोग तार प्लग सॉ
लखनऊ : यह वह वक्त था जब लोगों की बिजली के उपकरणों की जरूरतें सीमित थीं। लोग तार, प्लग, सॉकेट, केबिल, बोर्ड, बल्ब, रॉड समेत कई अन्य इलेक्ट्रिक उपकरणों को ही आवश्यकतानुसार खरीदते थे। ऐसे में रोजगार जमाना एक बड़ी चुनौती था। 1960 में दादा केएल सडाना ने आलमबाग में एक प्रतिष्ठान खोल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री की नींव रखी। सेवा और उपकरणों की सर्विस के सहारे लोगों का विश्वास जीतकर सडाना इलेक्ट्रॉनिक्स ने तकरीबन साठ साल के लंबे सफर में लखनऊ मंडल में अपनी अलग पहचान बनाई है। ये कहना आलमबाग स्थित सडाना इलेट्रॉनिक्स के मालिक राजेश सडाना का।
वह कहते हैं कि जब दादाजी ने शुरुआत की थी तब स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का समय था। ऑनलाइन वाला बिजनेस नहीं था। गिने-चुने लोग कारोबार में थे। ऐसे में ग्राहकों के बीच विश्वास पर ही कारोबार आगे बढ़ता था। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 1970 में पिता देवेंद्र कुमार सडाना साथ आए। धीरे-धीरे लोगों की जरूरतें बढ़ती गईं। विश्वास की नींव पर रखा गया कारोबार आगे बढ़ चला। कामयाबी मिली 1982 में। एशियाड थे। साथ ही ब्लैक एंड वाइट टीवी की धमक कम होने लगी और रंगीन टेलीविजन ने बाजार में दस्तक देनी शुरू कर दी थी। राजेश बताते हैं कि मांग बढ़ी तो इस ओर कदम बढ़ा दिए। इस दौरान लोग बेहतर घरेलू सर्विस की मांग खूब करते थे। पिता ने इस ओर गंभीरता दिखाई, नतीजा विश्वास के रिश्तों की गाड़ी रफ्तार लेने लगी। लखनऊ शहर विस्तार लेता जा रहा था। आबादी बढ़ी तो लोगों की आवश्यकताएं भी बढ़ने लगीं। इसी के मद्देनजर अलग-अलग क्षेत्रों में प्रतिष्ठान खोले जाने का क्रम शुरू हुआ। अब तक सात प्रतिष्ठान लखनऊ में खोले गए हैं, जहां लोगों को सही दाम और समय से सर्विस उपलब्ध कराने की कोशिश रहती है। कई बार हम स्वयं काउंटर छोड़ सर्विस की गंभीरता को सीधे संज्ञान में लेते हैं। सिर्फ शहर ही नहीं, देखा गया कि बाराबंकी शहर के लोग अपनी आवश्यकता के लिए लखनऊ आते हैं। यह देख कारोबार को विस्तार दिया गया और बाराबंकी में भी शोरूम खोला गया। अब कुल आठ शोरूम हो गए हैं। सडाना कहते हैं कि लोगों के इसी विश्वास ने ही हमें शहर में एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर दिया।
----------------------- उपकरणों की समय से सर्विस ने दी कारोबार को गति
सडाना बताते हैं कि ग्राहक से जो वादा किया उसे निभाने की पूरी कोशिश की गई। दरअसल, उपकरण बेचने के बाद ज्यादातर लोग घरेलू सर्विस पर ध्यान नहीं देते हैं। हमारे प्रतिष्ठानों ने सर्विस को अहम माना और समय से सेवा उपलब्ध कराने की कोशिश की। अगर कोई दिक्कत आई भी तो कस्टमर को उसका सही रास्ता बताया गया। शर्तों के अनुसार सर्विस आज भी दी जा रही है। कोशिश होती है कि समय से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ठीक हो जाए या फिर इंस्टॉल हो जाए, जिससे लोगों का विश्वास पूरी तरह से जमा रहे। कोरोना काल में भी लोगों को घर बैठे दी सहूलियतें कोरोना काल चल रहा था। सुरक्षा कारणों के चलते लोग शोरूम में आने से गुरेज करते थे। विश्वास बनाए रखने के लिए इस दौर में भी सुरक्षा की तय गाइडलाइन और अनुमति के साथ कस्टमर को उसके घर पर सहूलियतें उपलब्ध कराई गईं। मोबाइल नंबर और वाट्सअप के माध्यम पर शिकायतें आईं तो मिस्त्री तलाशकर उन्हें लोगों के घर पर भेजकर उनकी समस्याओं का निस्तारण कराया गया। समय पर सुविधाएं दिए जाने से लोग जुडे़ रहे। जैसे ही पहले अनलॉक में क्रमवार दांयी-बांयी पटरी की दुकानें खोलने की घोषणा हुई तो लोग जुटने लगे। सर्दियों के आखिर में लिए गए विभिन्न कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भारी संख्या में जमा थे। गर्मीं के शुरुआती महीनों में ही एसी, फ्रिज और कूलर के खरीदार ज्यादा आते हैं, लेकिन कोरोना के चलते सारा माल स्टोर में डंप पड़ा था। कारोबार बंद था। नुकसान का दौर चल रहा था। ऐसे में जब घोषणा हुई तो शोरूम से एसी, वाशिग मशीन, एलइडी टीवी, रेफ्रिजरेटर, कूलर आदि उपकरण बिकने लगे, लेकिन उसे लगाने वाले तकनीकी लोग नहीं थे। कोशिशों के बाद तकनीकी लोगों को ढूंढकर व्यवस्थाएं बनाई गईं। हालांकि, उनकी संख्या कम थी। लिहाजा कस्टमर को समय दिया गया। तय वक्त पर चीजों को घरों में इंस्टॉल करा विश्वास स्थापित किया गया। लोगों के इसी भरोसे से व्यापार अब रफ्तार भरने लगा है।