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प्रदूषण नहीं फैला सकेंगी सोना चांदी परिष्कृत करने वाली इकाइयां, सीपीसीबी ने तैयार की गाइडलाइन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर सीपीसीबी ने यह गाइडलाइन तैयार की है जिसका अनुपालन देश भर में मौजूद 923 गोल्ड परिष्कृत इकाइयों पर लागू होगा। राजधानी में अमीनाबाद व चौक इलाके में लगभग आठ से दस ऐसी इकाइयां हैं जो सोने और चांदी का काम करती हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 08:27 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 08:27 AM (IST)
प्रदूषण नहीं फैला सकेंगी सोना चांदी परिष्कृत करने वाली इकाइयां, सीपीसीबी ने तैयार की गाइडलाइन
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी होगी।

लखनऊ,जेएनएन। सोना चांदी परिष्कृत करने वाली इकाइयां प्रदूषण नहीं फैला सकेंगी। इन सभी कार्यों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सीपीसीबी) ने बाकायदा इसके लिए गाइडलाइन जारी की है। इन इकाइयों को वायु ,जल व खतरनाक अपशिष्ट एक्ट के तहत इंतजाम कर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी होगी।

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर सीपीसीबी ने यह गाइडलाइन तैयार की है जिसका अनुपालन देश भर में मौजूद 923 गोल्ड परिष्कृत इकाइयों पर लागू होगा। राजधानी में अमीनाबाद व चौक इलाके में लगभग आठ से दस ऐसी इकाइयां हैं जो सोने और चांदी का काम करती हैं। यही नहीं,गोल दरवाजे पर दर्जनों छोटी-छोटी दुकानों में सोने चांदी का काम किया जाता है जिससे जहरीला धुआं निकलता है। क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी डॉ.रामकरण ने बताया कि इन इकाइयों की कोई सूची उपलब्ध नहीं है ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) की वेबसाइट से जानकारी हासिल कर आठ-नौ छोटी-छोटी इकाइयों को प्रारंभिक नोटिस जारी की गई है। इस संबंध में बीआईएस से जानकारी जुटाई जा रही है।

दरअसल सोने और चांदी के परिष्करण में लेड और नाइट्रिक एसिड का धुआं निकलता है।इसके अलावा सफाई में प्रयोग करने वाला एसिड युक्त पानी नालियों में जाकर नदी नालों में पहुंचता है। बोर्ड ने ऐसी इकाईयों को आदेश दिए हैं कि वह सोने व चांदी की सफाई में निकलने वाले धुएं को वातावरण में जाने से रोकने के लिए स्क्रबर का इस्तेमाल करें। ऊंची चिमनी लगाएं और जो स्पेंट वॉश या दूषित जल निकले उसको उपचार करने के बाद ही निस्तारित किया जाए।

बोर्ड ने यह भी कहा है कि स्क्रबर से निकले जल को जिसमें लेड, एसिड आदि मौजूद होगा रीसाइकिल करने वाली ऐसी इकाई को ही दिया जाए जो लेड की रीसाइक्लिंग करता हो। गाइड लाइन में इन इकाइयों में काम करने वालों के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। काम करने वालों का साल में एक बार लेड की जांच के लिए ब्लड टेस्ट कराना अनिवार्य होगा। इसके अलावा फेस शील्ड, मास्क, हेलमेट, एसिड दस्ताने दिए जाएंगे। इकाई में फर्स्ट एड बॉक्स रखना अनिवार्य होगा।

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