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ग्लैडियोलस और गुलाब की खेती कर खिली रायबरेली के किसान की ‘किस्मत’ Raebareli News

रायबरेली में किसान ने फूलों की खेती कर बनाई आमदनी। लीज पर जमीन लेकर आठ बीघे में ग्लैडियोलस और गुलाब लगाया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 12:07 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 12:07 PM (IST)
ग्लैडियोलस और गुलाब की खेती कर खिली रायबरेली के किसान की ‘किस्मत’ Raebareli News
ग्लैडियोलस और गुलाब की खेती कर खिली रायबरेली के किसान की ‘किस्मत’ Raebareli News

रायबरेली [शैलेष शुक्ल]। यह कहानी 50 साल के किसान की है, जिसने हालात से हार नहीं मानी। खेती में मुनाफा तो दूर सीपेज समस्या से लागत निकालना भी मुश्किल हो गया तो उसने लीज पर जमीन ले ली। फिर फूलों की खेती में जुट गया। आठ बीघे में ग्लैडियोलस और गुलाब लगाया। कुछ ही दिनों ‘किस्मत’ के फूल खिले तो वह भी खिलखिलाने लगा। खासी आमदनी देख आस-पड़ोस के करीब दो दर्जन से ज्यादा किसानों ने उसका अनुकरण शुरू कर दिया है।

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10 साल पहले की बात है। सलोन के बघौला गांव निवासी किसान विजय बहादुर मौर्या तब करीब 40 बरस के थे। पारिवारिक हालातों ने खेती-किसानी की ओर मोड़कर खड़ा कर दिया। उनके पास सिर्फ सात बीघे जमीन थी। इसमें से पांच बीघा सीपेज की शिकार थी। मौर्या ने मेहनत तो की लेकिन सफल नहीं हुए। आखिर में खेती का स्वरूप बदल डाला। आठ बीघे जमीन लीज पर ली। फिर एक डीसीएम गुलाब के पौधे सहारनपुर से मंगाकर दो बीघे में रोपाई की। बाकी में ग्लैडियोलस के पौधे लगाए। जब पौधों में फूल निकले तो उसकी जिंदगी महकने लगी थी। आज वह आसपड़ोस के किसानों के लिए नजीर बन गए हैं।

खेती में ‘मास्टर’ बेटा बंटाता हाथ : विजय बहादुर का बेटा कृषि में मास्टर की डिग्री (परास्नातक) हासिल कर चुका है। वह पिता के साथ फूलों की खेती करने में हाथ बंटाता है। कृषि की नई-नई तकनीकों से वह व्यवसाय को चमका रहा है। विजय कहते हैं कि इन्हीं फूलों ने बच्चों को शिक्षित करने में बहुत सहायता की।

कम लागत में ज्यादा मुनाफा : खासतौर से जाड़े में गुलाब के एक-एक पौधे से 50-50 फूल मिल जाते हैं। जिनकी बाजार में हमेशा खास मांग रहती है। ऑफ सीजन में दो-तीन रुपये और सीजन में पांच-छह रुपये मिलते हैं। कभी-कभी एक फूल की कीमत 10 रुपये तक पहुंच जाती है।


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