स्वस्थ जीवन शैली से पाएं मधुमेह पर जीत, ऐसे पहचानें लक्षण, जानें-क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मधुमेह यानी डायबिटीज इस वक्त किसी महामारी से कम नहीं है। भले ही इस बीमारी का नाम मधु से आरंभ होता है लेकिन यह जिंदगी भर के लिए जीवन में कड़वाहट घोल देती है। प्रतिवर्ष 14 नवंबर को सचेत करने के लिए विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। मधुमेह यानी डायबिटीज इस वक्त किसी महामारी से कम नहीं है। भले ही इस बीमारी का नाम मधु से आरंभ होता है, लेकिन यह जिंदगी भर के लिए जीवन में कड़वाहट घोल देती है। प्रतिवर्ष 14 नवंबर को डायबिटीज से होने वाली परेशानियों के प्रति सचेत करने के लिए विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के द्वारा की गई गणना में 2019 तक लगभग 47 करोड़ व्यक्तियों को डायबिटीज से ग्रसित पाया गया। उनके अनुसार यह आंकड़ा वर्ष 2045 तक 700 मिलियन तक पहुंचने की आशंका है। मधमुेह के शिकंजे में आने के बाद उससे पीड़ित व्यक्ति दवाओं पर निर्भर हो जाता है, लेकिन यदि खानपान और जीवनशैली में सुधार किया जाए तो इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के डॉ नरसिंह वर्मा के नेतृत्व में कई लोग इस मामले में मिसाल बनकर उभरे हैं।
केस एकः लखनऊ के इंदिरा नगर निवासी 53 वर्षीय संतोष कुमारी सिंह को 10 सालों से डायबिटीज है शुरुआती दौर में उनके मधुमेह का स्तर 200 से 250 तक आ जाता था। इसी वजह से उनका वजन भी बढ़ गया था। वजन जब 65 किलो तक आ गया तो उन्होंने अपनी दिनचर्या पर काम करना शुरू किया। संतोष की मानें तो उनकी दिनचर्या का सबसे महत्वपूर्ण तत्व उबले करेले होते हैं। अपने हर खाने के बाद नमक के साथ उबले करेले खाती हैं जो उनके मधुमेह के स्तर को नियंत्रित रखता है। संतोष अपने खाने की मात्रा पर भी ध्यान देती हैं। एक बार में अधिक खाने के बजाय कई किश्तों में वह भोजन करती हैं। इसके अलावा नियमित तौर पर टहलना और व्यायाम करना भी उनके मधुमेह के नियंत्रण का राज है। उन्होंने अपने मधुमेह को इतना नियंत्रित कर लिया है कि पिछले 2 सालों से उन्हें मधुमेह नियंत्रण के लिए दवाओं की जरूरत नहीं रही है।
केस दोः सीतापुर निवासी 68 वर्षीय सुरेश चंद्र मिश्रा 22 वर्षों से मधुमेह के लिए दवा ले रहे थे। उन्हें हाई शुगर के साथ उच्च रक्तचाप की भी परेशानी हो गई थी,बढ़े हुए स्तर के लिए तीन से चार दवाइयां खाते थे, लेकिन पिछले 4 वर्षों से अपनी दिनचर्या में बदलाव लाकर उन्होंने मधुमेह पर नियंत्रण पा लिया है। उनके दिनचर्या में सुबह 4:30 बजे उठकर प्राणायाम से लेकर खानपान में बदलाव और समय की प्रतिबद्धता शामिल होते हैं। वह रोजाना दो से तीन किलोमीटर तक शाम को टहलते हैं। उनके खानपान में रोटियां कम हो गई हैं और फल और हरी सब्जियों के साथ विभिन्न दालें शामिल हो गई हैं। इसके अलावा रात के खाने का निश्चित समय भी है शाम 7:30 बजे तक वह रात का खाना खा लेते हैं वह कहते हैं कि समय की प्रतिबद्धता ने उनके मधुमेह को नियंत्रित किया है।
केस तीनः गोंडा के 48 वर्षीय साकेत स्वरूप रस्तोगी को 4 साल पहले हाई शुगर की परेशानी सामने आई थी। इसके बाद से ही उन्होंने दिनचर्या में बदलाव शुरू किया अपनी दिनचर्या में उन्होंने योगा, प्राणायाम, साइकिलिंग और हरी सब्जियों को शामिल किया। इसके फल स्वरुप 90 किलोग्राम के वजन के बाद अब उनका वजन 72 किलोग्राम पर आ गया है। वह कहते हैं कि पहले उन्हें तीन से चार दवाइयां खानी पड़ती थी लेकिन दिनचर्या में बदलाव की वजह से अब यह घटकर एक दवाई पर आ गया है।
यह कुछ ऐसे मामले थे, जिन्होंने अपने खान-पान पर नियंत्रण और अपनी दिनचर्या में बदलाव लाकर मधुमेह पर नियंत्रण पाया है, लेकिन अब भी एक बड़ा तबका मधुमेह से ग्रसित है और दवाओं पर निर्भर है। भारत में जिस रफ्तार से इसके मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए भारत को दुनिया की डायबिटिक कैपिटल कहा जाने लगा है। अगर इस स्थिति को नहीं सुधार गया तो हालात बद से बदतर होते जाएंगे। उधर, लोहिया संस्थान में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि अगर जीवनशैली को लेकर संवेदनशील रहें तो शुगर बहुत सामान्य बीमारी है, लेकिन लापरवाही करने पर यह घातक रूप धारण कर सकता है। अच्छी डाइट और हर दिन करीब एक घंटा वॉक करना बेहद जरूरी है।
ऐसे पहचानें लक्षण
- शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढऩे से त्वचा पर लाल, पीले, कत्थई व काले धब्बे उभर सकते हैं, जो प्री-डायबिटिक का लक्षण है। त्वचा में रूखापन आने लगता है।
- मरीज बार-बार पेशाब के लिए जाता है।
- घाव जल्द नहीं भर पाते हैं।
- ऊर्जा के लिए शरीर वसा और मांसपेशियों को जलाने लगता है, जिससे वजन तेजी से गिरता है।
- आंखों से धुंधला दिखाई पड़ता है।