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गोरखपुर के Top-10 बदमाशों में शामिल 25 हजार का इनामी विनोद उपाध्याय लखनऊ से गिरफ्तार

Gangster Vinod Upadhyay गोरखनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर विनोद उपाध्याय पर कुल 25 मामले दर्ज हैं। तीन वर्ष पहले संतकबीर नगर में सरेंडर करने के बाद भी अपराध के कामों में लिप्त था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 09:59 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 11:03 AM (IST)
गोरखपुर के Top-10 बदमाशों में शामिल 25 हजार का इनामी विनोद उपाध्याय लखनऊ से गिरफ्तार
गोरखपुर के Top-10 बदमाशों में शामिल 25 हजार का इनामी विनोद उपाध्याय लखनऊ से गिरफ्तार

लखनऊ, जेएनएन। गोरखपुर के टॉप टेन बदमाशों की सूची में तीसरे नम्बर पर चल रहे गैंगस्टर विनोद उपाध्याय को लखनऊ पुलिस ने गोमतीनगर के विपुल खंड से शुक्रवार देर रात गिरफ्तार कर लिया है। गोरखनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर विनोद उपाध्याय पर कुल 25 मामले दर्ज हैं। विनोद उपाध्याय करीब तीन वर्ष पहले संतकबीर नगर में सरेंडर करने के बाद भी अपराध के कामों में लिप्त था। पुलिस उसको गोमतीनगर में विपुल खंड के घर से उठाने के बाद गोरखपुर ले गई है।

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गोरखपुर पुलिस ने शुक्रवार रात में गोमती नगर के विपुलखंड से माफिया विनोद कुमार उपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया। गोरखपुर पुलिस के सहयोग के लिए वहां पर लखनऊ गोमती नगर पुलिस भी मौके पर मौजूद रही। पुलिस का कहना है कि विनोद गोरखुपर का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा मुकदमे हैं। गोमती नगर पुलिस के मुताबिक विनोद के घर जब पुलिस ने छापा मारा तो वह अपने घर पर मौजूद मिला। गोरखपुर की पुलिस टीम ने बताया कि उसके खिलाफ एक गैरजमानती वारंट है। विनोद आपराधिक मामले में कई तारीखों पर पेशी पर नहीं पहुंचा था। गोरखपुर पुलिस ने कोर्ट से उसका गैरजमानती वारंट लिया था।

विनोद कुमार उपाध्याय पर 25 हजार का इनाम घोषित है। गोरखपुर के तत्कालीन एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने विनोद पर 25 हजार का इनाम घोषित किया था। विनोद उपाध्याय के खिलाफ गोरखपुर व संतकबीरनगर जिले में कई केस दर्ज हैं। वह कई बड़ी वारदातों मुख्य अभियुक्त है। गोरखपुर में टॉप टेन बदमाशों में सुधीर सिंह व प्रदीप सिंह के बाद तीसरे नम्बर के माफिया विनोद उपाध्याय का नाम यहां के गोरखनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर बदमाशों की सूची में शामिल है। विनोद उपाध्याय के खिलाफ संगीन धाराओं में दो दर्जन के करीब मुकदमे दर्ज हैं। वह अपने काले कारोबार को अंजाम देने के लिए ही समय-समय पर अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों से जुड़ता रहता है। विनोद उपाध्याय बसपा का प्रभारी भी रह चुका है।

11 जून को दर्ज हुआ था रंगदारी मांगने का केस

माफिया विनोद उपाध्याय के खिलाफ 11 जून को गोरखपुर कोतवाली में रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ था। कोतवाली के पुर्दिलपुर निवासी अजय जायसवाल ऊर्जा गैसी फायर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हैं। उन्होंने 11 जून को कोतवाली पुलिस को दी तहरीर में बताया कि जौनपुर के रहने वाले ठेकेदार विनीत सिंह ने उर्जा शवदाह संयंत्र खरीदने के लिए उनसे संपर्क किया था। 38 लाख रुपये में डील फाइनल होने के बाद उन्होंने एडवांस के तौर पर आठ लाख रुपये दिए थे। 10 जून को विनीत गोरखपुर आए। बकाया रुपये दिए बिना ही संयंत्र ले जाने लगे। काफी मना करने पर उन्होंने विनोद उपाध्याय को फोन मिलाकर दे दिया। विनोद उपाध्याय ने बिना रुपये लिए ही शवदाह संयंत्र विनीत को देने का दबाव बनाने लगे। इस दौरान बात न मानने पर जान से मारने की धमकी देने लगे। विनोद की लोकेशन लखनऊ में मिलने के बाद शुक्रवार की रात क्राइम ब्रांच ने माफिया को दबोच लिया।

गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ चुके विनोद पर है 24 मुकदमे

गोरखपुर के टॉप 10 बदमाशों की सूची में शामिल माफिया विनोद उपाध्याय के खिलाफ गोरखपुर, संतकबीनगर और लखनऊ के विभिन्न थानों में 24 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें जमीन कब्जा, धमकी, हत्या, साजिश, हत्या के प्रयास के ज्यादातर केस हैं। बसपा से राजनीति शुरू करने वाला विनोद गोरखपुर सदर विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुका है। कुछ दिन पहले ही विनोद के खिलाफ गोरखपुर के कोतवाली थाने में भी जबरदस्ती वसूली का केस दर्ज हुआ था। टॉप-10 की सूची में नाम आने के बाद से ही उसके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी यही वजह था कि उसने जिला छोड़कर राजधानी में ठिकाना बना लिया था। विनोद के पकड़े जाने के बाद अन्य बदमाशों में भी दहशत है।

गोरखनाथ थाने का है हिस्ट्रीशीटर

गोरखनाथ थाना क्षेत्र के धर्मशाला बाजार निवासी विनोद उपाध्याय गोरखनाथ का हिस्ट्रीशीटर भी है। उसकी हिस्ट्रीशीट 1 बी है। विनोद ने अपराध की शुरुआत मारपीट और धमकी से वर्ष 1999 से की थी। पहला मुकदमा गोरखनाथ थाने में दर्ज हुआ था। उसी साल उसपर एक दलित के साथ मारपीट का केस भी गोरखनाथ थाने में ही दर्ज हुआ था। वर्ष 2001 में दो और मुकदमे दर्ज हुए तो वहीं 2003 में पुलिस ने गुंडा एक्ट की कार्रवाई की। विनोद के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में वर्ष 2007 में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था फिर 2008 में हत्या के प्रयास का केस शाहपुर में दर्ज हुआ। 

2010 में गैंगस्टर की कार्रवाई

संतकबीर नगर जिले के बखिरा थाने में हत्या और हत्या के प्रयास का भी केस दर्ज किया गया है। यहां से उसके खिलाफ गैंगस्टर की भी कार्रवाई हुई। शहर के कैंट थाने और शाहपुर में 7 सीएलए के तहत कार्रवाई हुई थी। 2010 में शाहपुर थाने से भी विनोद के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई हुई थी। कैंट थाने में 2017 में उसके खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज हुए थे। उस समय भी विनोद पर गिरफ्तारी की तलावार लटक रही थी। पुलिस को चकमा देकर तब विनोद ने संतकबीरनगर में एक पुराने केस में जमानत निरस्त कराकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।

पीडब्लूडी कांड के बाद सुर्खियों में आया था

विनोद उपाध्याय की अपराध के साथ ही राजनीति में भी धमक है। 2007 में सिविल लाइंस इलाके में लोक निर्माण विभाग कार्यालय के हुए डबल मर्डर के बाद वह चर्चा में आया था। लालबहादुर गैंग ने विनोद उपाध्याय के साथी रिंपुंजय राय और सत्येंद्र की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में माफिया अजीत शाही, संजय यादव, इंद्रकेश पांडेय, संजीव सिंह समेत छह लोग जेल गए थे। उस हत्याकांड में लालबहादुर यादव पर केस दर्ज नहीं हुआ था। इसके बाद से दोनों गुटों में दुश्मनी और बढ़ गई थी। इसके बाद में लालबहादुर की हत्या कर दी गई थी, जिसमें विनोद उपाध्याय को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।  

कहानी भी कानपुर के विकास दुबे से मिलती-जुलती 

कानपुर कांड में आठ पुलिसकर्मियों की शहादत और उसके मुख्य आरोपी विकास दुबे के के बाद यूपी पुलिस का अभियान जारी है। लखनऊ व गोरखपुर पुलिस ने शुक्रवार देर रात गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर विनोद उपाध्याय को पकड़ा। उसकी कहानी भी कानपुर के विकास दुबे से मिलती-जुलती है। 24 से ज्यादा संगीन मुकदमे होने के बावजूद विनोद की चाहत विधायक बनने की रही है। उसने गोरखपुर सदर से चुनाव भी लड़ा था। विनोद के समर्थक बड़ी संख्या में नई उम्र के लड़के हैं। वह विधायक तो नहीं बन सका लेकिन अपराध के साथ राजनीति में इतनी पैठ जरूर जमा ली थी कि पुलिस उसके इशारों पर नाचने लगी। अपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसने वर्ष 2001 में शाहपुर थाने से रिपोर्ट लगवाकर अपना लाइसेंसी असलहा भी हासिल कर लिया था। 


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