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UPPSC APS 2010 भर्ती में चयनित 222 अफसरों का खतरे में पड़ सकता भविष्य, जानें- पूरी डिटेल

UPPSC APS 2010 Recruitment यूपीपीएससी ने भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत होने के बावजूद एपीएस 2010 का परिणाम घोषित कर दिया था। यही नहीं सीबीआइ जांच के बीच में ही 222 चयनितों को नियुक्ति भी दे दी गई जो कि यूपी सचिवालय में कार्यभार ग्रहण कर चुके हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 07:19 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 07:22 PM (IST)
UPPSC APS 2010 भर्ती में चयनित 222 अफसरों का खतरे में पड़ सकता भविष्य, जानें- पूरी डिटेल
UPPSC APS 2010 Recruitment: सीबीआइ के निशाने पर वो चयनित भी हैं जो सचिवालय में कार्यरत हैं।

प्रयागराज [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत होने के बावजूद अपर निजी सचिव (एपीएस) 2010 का परिणाम घोषित कर दिया था। यही नहीं, सीबीआइ जांच के बीच में ही 222 चयनितों को नियुक्ति भी दे दी गई, जो कि यूपी सचिवालय में कार्यभार ग्रहण कर चुके हैं। इधर, सीबीआइ ने अगस्त महीने में आयोग के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक व मौजूदा समय लोक निर्माण विभाग में विशेष सचिव प्रभुनाथ के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच तेज कर दी है। सीबीआइ के निशाने पर वो चयनित भी हैं जो सचिवालय में कार्यरत हैं। पूछताछ चल रही है। दोषियों को चिह्नित कर जल्द बड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

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सीबीआइ ने यूपीपीएससी की एपीएस 2010 भर्ती में गड़बड़ी करने के आरोप में प्रभुनाथ के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। गिरफ्तारी से बचने के लिए उनकी ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल की गई याचिका खारिज कर दी गई है। इसके बाद सीबीआइ की कार्रवाई तेज हो गई है। लोक सेवा आयोग ने एपीएस 2010 के तहत 250 पदों की भर्ती निकाली थी। भर्ती की जांच कर रही सीबीआइ को काफी खामियां मिली थी। इसके बावजूद चयनितों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया नवंबर 2019 में शुरू कर दी गई। नियुक्ति देने का क्रम 2020 तक चलता रहा। सीबीआइ से शिकायत करने व दोषियों को जल्द सजा दिलाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले अवनीश पांडेय ने मुख्यमंत्री से एपीएस 2010 के सभी चयनितों को पद से हटाने की मांग की है।

एपीएस 2010 भर्ती में ये मिली गड़बड़ी

  • कंप्यूटर सर्टिफिकेट की निर्धारित शैक्षिक अर्हता पूरी नहीं करने वाले अभ्यर्थियों के चयन कराए गए। नियुक्ति के बाद अब तक शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन नहीं कराया गया।
  • हिंदी शार्टहैंड की परीक्षा में फेल अभ्यर्थियों को पांच प्रतिशत के बाद अवैध रूप से विवेकाधिकार के नाम पर तीन प्रतिशत गलतियों में अतिरिक्त छूट देने का आरोप है।
  • परीक्षकों से हिंदी शार्टहैंड और टाइप की परीक्षाओं के मूल्यांकन के दौरान फेल अभ्यर्थियों को पास कराकर अधिक अंक दिलाने का आरोप है।
  • परीक्षकों से सामान्य हिंदी और कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में कुछ अभ्यर्थियों को अधिक अंक दिलाकर चयनित कराने का आरोप लगा है।
  • कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा में विज्ञापन नियमों के उल्लंघन को देखते हुए जब शासन द्वारा इसे निरस्त करके दोबारा कराए जाने की संस्तुति आयोग को भेजी गई, तो उसे अस्वीकार करके रिजल्ट जारी करने की शिकायत है।

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