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अब सरकार लौटाएगी मूक बधिर मासूमों की आवाज, ऐसे मिलेगा लाभ

खुशखबरी दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ऐसे बच्चों का कराएगा मुफ्त इलाज। माता-पिता की खुशियां लौटाने की सरकार की पहल।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 09:47 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 08:16 AM (IST)
अब सरकार लौटाएगी मूक बधिर मासूमों की आवाज, ऐसे मिलेगा लाभ
अब सरकार लौटाएगी मूक बधिर मासूमों की आवाज, ऐसे मिलेगा लाभ

लखनऊ[जितेंद्र उपाध्याय]। तोतली आवाज में जब बच्चा पहली बार मम्मी-पापा को पुकारता है तो उनके चेहरे पर खुशी का ठिकाना नहीं रहता। अपने कलेजे के टुकड़े की आवाज सुनकर ऐसा लगता है कि मानो उनको दुनिया की तमाम खुशियां मिल गईं हों, लेकिन कुछ माता-पिता ऐसे भी होते हैं जो इस खुशी से वंचित रह जाते हैं। क्योंकि उनके बच्चे बोलने में असमर्थ होते हैं। ऐसे ही माता-पिता को उनकी खुशियां लौटाने की पहल प्रदेश सरकार ने की है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के ऐसे बच्चों को दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग न केवल ऑपरेशन कराएगा, बल्कि उनके पूरे इलाज का खर्चा भी वहन करेगा।

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इस महत्वाकांक्षी योजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। पहले चरण में ऐसे 20 बच्चों का चयन भी किया जा चुका है। राजधानी में 10, वाराणसी में छह और कानपुर में चार बच्चों का ऑपरेशन (कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी) के लिए चुना गया है। 

आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को मिलेगा लाभ
कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी के लिए ऐसे परिवारों का चयन किया जाएगा, जिनकी वार्षिक आय ग्रामीण के लिए 86,460 रुपये और शहरी के लिए 1,12920 रुपये होगी। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी अमित कुमार राय ने बताया कि पहले चरण में विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में पंजीकृत बच्चों का ही चयन किया गया है।

ऐसे मिलेगा लाभ
ऐसे माता-पिता, जिनको अपने बच्चे का ऑपरेशन कराना हो वे दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा जिले में संचालित मूक बधिर स्कूलों में उनका प्रवेश कराएं। निर्धारित आय प्रमाण पत्र के साथ ऑपरेशन के लिए आवेदन करना पड़ेगा। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी की संस्तुति पर वरीयता सूची के आधार पर ही ऑपरेशन किया जाएगा। पंजीयन के समय बच्चे की उम्र ढाई साल से सात साल के बीच होनी चाहिए। इस उम्र के बच्चों का ही ऑपरेशन सफल होने की संभावना रहती है। 

एक बच्चे पर खर्च होंगे छह लाख
कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी में एक बच्चे पर छह लाख रुपये का खर्च आएगा। विभाग की ओर से बजट दे दिया गया है। उप निदेशक अनुपमा मौर्या ने बताया कि राजधानी में 10 बच्चों का ऑपरेशन होगा। एक बच्चे का ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया है। शेष बच्चों के ऑपरेशन की प्रक्रिया चल रही है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के संयुक्त निदेशक अमित कुमार सिंह का कहना है कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के शल्य चिकित्सा योजना के तहत प्रदेश सरकार की योजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। 20 बच्चों के सफल ऑपरेशन के बाद अगले वित्तीय वर्ष में इसे विस्तार दिया जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से पहली बार शुरू की गई इस योजना से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को लाभ मिलेगा।

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