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पूर्व सांसद अतीक अहमद के बेटे मो. उमर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, जान‍िए क्‍या है पूरा मामला

देवरिया जेल में मारपीट और रंगदारी वसूलने के मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने पूर्व सांसद अतीक अहमद के पुत्र मो. उमर और अन्य अभियुक्त योगेश कुमार के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह आदेश विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने जारी किया है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 06:05 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 08:45 AM (IST)
पूर्व सांसद अतीक अहमद के बेटे मो. उमर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, जान‍िए क्‍या है पूरा मामला
देवरिया जेल में प्रापर्टी डीलर को मारने-पीटने व रंगदारी वसूलने का मामला।

लखनऊ, [अम्बरीष श्रीवास्तव]। राजधानी के एक प्रापर्टी डीलर को अगवा कर देवरिया जेल में मारने-पीटने व उससे जबरिया रंगदारी वसूलने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व सांसद अतीक अहमद के पुत्र मो. उमर के खिलाफ तब तक के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया है, जब तक कि वह गिरफ्तार नहीं हो जाता अथवा अदालत में आत्मसमर्पण नहीं कर देता। सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने इस मामले के एक अन्य अभियुक्त योगेश कुमार के लिए भी यही आदेश जारी किया है। उन्होंने इसके साथ ही इन दोनों अभियुक्तों की फरारी के संदर्भ में सीबीआई को गवाह भी पेश करने का आदेश दिया है। 

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अदालत ने सम्पति कुर्क करने का दिया था आदेशः बीते 21 अक्टूबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने इन दोनों फरार अभियुक्तों की सम्पति कुर्क करने का आदेश दिया था। 22 नवंबर को इस मामले के विवेचक व सीबीआई के सब इंसपेक्टर नीरज वर्मा ने अदालत में एक अर्जी दाखिल की। बताया कि इस आदेश के अनुपालन में अभियुक्त मो. उमर का प्रयागराज स्थित एसबीआई व एचडीएफसी का एक-एक बैंक एकाउंट फ्रीज कर दिया गया है। जबकि उसकी अचल सम्पति का ध्वस्तीकरण सरकार पहले ही करा चुकी है। विवेचक ने अभियुक्त योगेश के बारे में बताया कि इसका जो पता दर्ज है, वह उसके रिश्तेदार का है। लिहाजा उसकी सम्पति का पता नहीं चल सका है। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सीबीआई ने एफआइआर दर्ज कर जांच शुरु की थीः थाना कृष्णानगर से संबधित इस मामले की विवेचना पहले स्थानीय पुलिस कर रही थी। विवेचना के दौरान पुलिस ने अतीक अहमद समेत आठ अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन 23 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित कर इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। 12 जून, 2019 को सीबीआई ने इस मामले में अतीक अहमद, फारुख, जकी अहमद, मो. उमर, जफर उल्लाह, गुलाम सरवर व 12 अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच शुरु की। 

सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल कियाः विवेचना के बाद सीबीआई ने अतीक समेत अन्य अभियुक्तों के खिलाफ बल्वा, हत्या के लिए अपहरण, जबरिया वसूली, धोखाधड़ी, जालसाजी, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल, जानमाल की धमकी व साजिश रचने आदि जैसी आईपीसी की गंभीर धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया। इन अभियुक्तों का मुकदमा कमिट कर ट्रªायल के लिए सत्र अदालत को भेजा जा चुका है। सीबीआई ने बाद में अतीक के बेटे मो. उमर, योगेश कुमार, नीतेश मिश्रा व महेंद्र कुमार सिंह के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। नीतेश मिश्रा व महेंद्र कुमार सिंह आत्मसमर्पण कर न्यायिक हिरासत में निरुद्ध हैं। 

यह है मामलाः 28 दिसंबर, 2018 को रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक देवरिया जेल में निरुद्ध अतीक ने अपने गुर्गाे के जरिए गोमतीनगर आफिस से उसका अपहरण करा लिया। तंमचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया। अतीक ने उसे एक सादे स्टाम्प पेपर पर दस्तखत करने को कहा। उसने इंकार कर दिया। इस पर अतीक ने अपने बेटे उमर तथा गुर्गे गुरफान, फारुख, गुलाम व इरफान के साथ मिलकर उसे तंमचे व लोहे की राड से बेतहाशा पीटा। उसके बेसुध होते ही स्टाम्प पेपर पर दस्तखत बनवा लिया और करीब 45 करोड़ की सम्पति अपने नाम करा ली। साथ ही जानमाल की धमकी भी दी। अतीक के गुर्गाे ने उसकी एसयूवी गाड़ी भी लूट ली।


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