Move to Jagran APP

पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला से अनुसूचित जाति से खरीदी जमीनें खाली कराने का आदेश

कोर्ट ने तीनों प्लाटों के अवैध निर्माण को भी ध्वस्त करने का आदेश दिया है। इसके लिए सरकारी महकमों को चार हफ्ते का समय दिया है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 09:09 AM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 09:10 AM (IST)
पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला से अनुसूचित जाति से खरीदी जमीनें खाली कराने का आदेश
पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला से अनुसूचित जाति से खरीदी जमीनें खाली कराने का आदेश

लखनऊ (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार और लखनऊ विकास प्राधिकरण सहित अन्य जिम्मेदार विभागों को सपा सरकार में राज्य मंत्री रहे शारदा प्रताप शुक्ल द्वारा तीन कीमतों प्लाटों पर किए गए अवैध कब्जे को मुक्त कराने का आदेश दिया है। लखनऊ के किला मोहम्मदी नगर में वर्षों से तीन प्लाटों पर अवैध रूप से पूर्व मंत्री द्वारा कब्जा किया गया है। कोर्ट ने तीनों प्लाटों के अवैध निर्माण को भी ध्वस्त करने का आदेश दिया है। इसके लिए सरकारी महकमों को चार हफ्ते का समय दिया है।

loksabha election banner

यह आदेश चीफ जस्टिस जस्टिस दिलीप बी भोंसले व जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने बृजभान सिंह यादव की ओर से दो अलग अलग दायर जनहित याचिकाओं को एक साथ निस्तारित करते हुए पारित किया। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि उपरोक्त तीनों प्लाट अनुसूचित जाति के जंगली प्रसाद के नाम थे जिन पर छह नवंबर, 1979 के एक अपंजीकृत विक्रय इकरारानामा के आधार पर शारदा प्रताप काबिज चले आ रहे थे।

तर्क दिया गया था कि जंगली प्रसाद पासी बिरादरी के थे जो कि अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है अत: यूपी जमींदारी विनाश अधिनियम के तहत शारदा प्रताप शुक्ल बिना कलेक्टर की अनुमति के उसकी जमीन नहीं खरीद सकते थे। अत: सरकार व विकास प्राधिकरण उन पर तत्काल कब्जा प्राप्त करे व शारदा प्रताप के खिलाफ उचित कार्रवाई करे। यह भी बात सामने आई कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अगल-बगल की जमीनें कानपुर नगर परियोजना तीन के नाम से कालोनी विकसित करने के लिए अधिगृहीत कर ली थी और उन जमीनों का मुआवजा भी बांट दिया था जिनमें ये तीनें प्लाट भी शामिल थे।

वहीं, शारदा प्रताप शुक्ल की ओर से कहा गया कि याचिकाएं पोषणीय नहीं है। याची स्वयं भूमाफिया है। यह भी तर्क दिया गया कि जब इकरारनामा अपंजीकृत था और उसे विक्रयविलेख नहीं कहा जा सकता तो ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता कि अनुसूचित जाति के व्यक्ति ने अपनी जमीन बेंच दी अत: इसे यूपी जमींदारी विनाश अधिनियम के तहत अधिगृहीत नहीं माना जा सकता है।

शारदा प्रताप शुक्ला प्रभावशाली हैं

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जमींदारी विनाश अधिनियम की मंशा यही थी कि कोई प्रभावशाली व्यक्ति किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति की जमीन पर जबरन नजर ना गड़ा सके। इस मामले में स्पष्ट है कि शारदा प्रताप शुक्ला एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उन्हेंने स्पष्ट रूप से बिना किसी कानूनी हक के तीन प्लाटों पर कब्जा जमाए रखा है। कोर्ट ने कहा कि शारदा प्रताप ने एक अलग याचिका में माना है कि खसरा प्लाट नंबर 249 पर 6 दुकानें बनी है।

वहां पर किराये पर एक सरकारी आयुर्वेदिक अस्पताल चल रहा है जिसका किराया शारदा प्रताप वसूलते हैं। वहां पर आवास भी बना है तथा खसरा प्लाट नंबर 250 पर उन्होंने शिव मंदिर बनवा रखा है। खसरा प्लाट नंबर 251 पर मंदिर, गोशाला व छह दुकानें है तथा बाउड्री घिरी है। बगीचा भी है। शारदा प्रताप ने यह भी माना है कि वे उक्त जमीनों का बैनामा नहीं करा सके क्योकि जंगली प्रसाद अनुसूचित जाति के थे। ऐसे में यूपी जमीदारी विनाश अधिनियम की धारा 166 के तहत जमीन का ऐसा स्थानांतरण शून्य है और जमीनें राज्य सरकार में निहित होना मानी जाएंगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.