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लोक कलाकारों की ऑनलाइन चौपाल से देश-विदेश तक पहुंच रही लखनऊ की लोक धुन

कोराेना की वजह से जहां आफलाइन कार्यक्रम बंद हुए हैं वहीं इसका एक दूसरा पक्ष भी है कि आनलाइन कार्यशालाओं का चलन बढ़ा है। लखनऊ के वरिष्ठ लोक कलाकारों की आनलाइन चौपाल से कनाडा कैलिफोर्निया सिंगापुर से भी लोग जुड़ कर यहां की लोक संस्कृति को समझ रहे हैं।

By Dharmendra MishraEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 02:10 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 05:08 PM (IST)
लोक कलाकारों की ऑनलाइन चौपाल से देश-विदेश तक पहुंच रही लखनऊ की लोक धुन
देश- विदेश तक पहुंच रही लखनऊ के लोक कलाकारों के माध्यम से राजधानी की संस्कृति।

लखनऊ, जासं।  कोराेना की वजह से जहां आफलाइन कार्यक्रम बंद हुए हैं, वहीं इसका एक दूसरा पक्ष भी है। कोरोना काल में आनलाइन कार्यशालाओं का चलन बढ़ा है। लखनऊ के वरिष्ठ लोक कलाकार भी आनलाइन चौपाल कर रहे हैं। आनलाइन कार्यशाला में देश के कोने कोने के अलावा कनाडा, कैलिफोर्निया, सिंगापुर से भी लोग जुड़ रहे हैं और लखनऊ की लोक संस्कृति को समझ रहे हैं। ढोलक की थाप पर कजरी, बारहमासा, झूला, मल्हार और लोक दादरा आनलाइन गूंज रहे हैं। आनलाइन बैठकी के जरिए परंपराओं से रूबरू कराने का प्रयास किया जा रहा।

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आकाशवाणी में अवधी लोक संस्कृति की कलाकार वंदना शुक्ला करीब 25 वर्षों से लोक साधना कर रही हैं। वह कहती हैं कि पहले कोई भी अवसर हो सब लोक कलाकार मिलकर ढोलक, हारमोनियम और मंजीरे की धुन पर लोकगीत गाते थे। कोरोना के कारण यह क्रम टूटा नहीं है, प्लेटफार्म जरूर बदल गया है। अब आनलाइन मंच पर लोक गीत कार्यशालाएं हो रही हैं। वरिष्ठ लोक गायिका प्रो. कमला श्रीवास्तव भी करीब 90 वर्ष की उम्र में आनलाइन कार्यशालाएं ले रही हैं। कोरोना काल में उन्होंने 10 से ज्यादा कार्यशालाएं की हैं। वह पारंपरिक लोक संगीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए लगातार सक्रिय हैं। प्रो. कमला श्रीवास्तव के गीत आकाशवाणी से भी गूंज रहे हैं।

प्रो. कमला श्रीवास्तव की आनलाइन कार्यशाला में कनाड़ा, कैलिफोर्निया, सिंगापुर आदि से भी लोग जुड़ रहे हैं। प्रो. कमला श्रीवास्तव कहती हैं कि आनलाइन कार्यशालाओं में लोग अपनी सुविधा अनुसार जुड़ रहे हैं। यह अच्छी बात है कि वर्तमान पीढ़ी में एक रुझान दिख रहा है, वे अपनी परंपराओं को सहेज कर रख रही है। डा. राम बहादुर मिश्र भी आनलाइन माध्यमों से लोक संस्कृति के प्रचार प्रसार में लगे हैं। आकाशवाणी के जरिए भी वह लोक संस्कृति की धरोहर को सहेजने का काम कर रहे हैं।


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