उत्तर प्रदेश में बाढ़ की स्थिति, खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं नदियां
प्रदेश में प्रमुख नदियों गंगा यमुना व घाघरा में जल स्थर लगातार बढ़ रहा है। वाराणसी में तो मणिकर्णिका घाट भी डूब गया है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में नदियों के खतरे के निशान से ऊपर बढऩे के कारण बाढ़ की स्थिति आ गई है। प्रदेश में प्रमुख नदियों गंगा, यमुना व घाघरा में जल स्थर लगातार बढ़ रहा है। वाराणसी में तो मणिकर्णिका घाट भी डूब गया है। नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। आबादी पर बाढ़ और कटान का संकट गहरा गया है। दूसरी ओर कुछ जिलों में मानसून की बारिश से कुछ राहत मिलने के बाद अब गर्मी फिर तेवर दिखाने लगी है। कहीं कहीं बादलों की लुकाछिपी के बीच रविवार को निकली धूप से बढ़ी गर्मी और उमस ने लोगों को खूब सताया।
बरसाती नाले में उफान से देवरिया जैसे जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ की टीम तक बुलानी पड़ी, तो काशी में मणिकर्णिका घाट की सीढिय़ां भी गंगा की लहरों में डूब गईं। प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में मॉनसून की भारी बारिश आफत बनकर आई है। इससे कई हिस्से इस वक्त बाढ़ की चपेट में हैं। नदियों का जलस्तर बढऩे के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश और तराई के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। गंगा में उफान से वाराणसी के घाटों की सीढिय़ां तेजी से बाढ़ के पानी में डूबने लगी हैं। चौबीस घंटे में इसका करीब डेढ़ मीटर जलस्तर बढ़ गया है. नाविकों को अलर्ट कर दिया गया है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, वाराणसी में जलस्तर पांच सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है।
बाढ़ राहत आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार प्रदेश में बाढ़ ग्रासित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है। जहा जलभराव ज्यादा हो गया है। वहां के लोगों को जिले के अधिकारी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। हर जगह एनडीआरएफ टीमों को अलर्ट कर दिया गया है। हर चुनौती से निपटने की पूरी तैयारी है।
बलरामपुर जिले में बाढ़ जैसे हालात शुरू हो गए हैं। जिले के तराई क्षेत्रों में तमाम गांवों में पानी घुस चुका है। जिले से गुजरने वाली राप्ती नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान को पार कर गया है। प्रति घंटा 2 सेंटीमीटर राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। नदी का जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो स्थिति भयावह हो सकती है।
खतरे के निशान से ऊपर राप्ती नदी
महाराजगंज तराई क्षेत्र, शिवपुरा, हरैया और जिला मुख्यालय से तुलसीपुर को जोडऩे वाले मुख्य मार्ग लौकहवा डिप पर भारी जलजमाव हो चुका है, जिससे आवागमन भी बाधित हो रहा है। भारी बारिश से राप्ती का जलस्तर भी खतरे के निशान को पार कर गया है। नदी खतरे के निशान से करीब 8 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. राप्ती भी आसपास के तमाम गांव को अपनी चपेट में लेने के लिए बेताब हो रही है। पानी बढऩे से आसपास के दर्जनों गांवों मन्नीपुरटिकुइया, सोनार, बलरामपुर देहात, धर्मपुर, बंजारी, गंगाडिहवा, गुर्जरपुरवा, सिसई, लौकहवा, रंजीतपुर, गांव चपेट में आ जाएंगे।
अयोध्या और तुर्तीपार पर सरयू नदी चेतावनी के निशान को पार कर गई है। यह गोरखपुर के कुछ इलाकों के लिए खतरे का संकेत है, इसलिए गोरखपुर की सभी बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। श्रावस्ती में राप्ती नदी खतरे के निशान से 70 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जमुनहा तहसील क्षेत्र में कई रास्तों पर पानी भरने से आवागमन ठप है। बलरामपुर में बाढ़ से राष्ट्रीय राजमार्ग बलरामपुर-तुलसीपुरव, गौरा-तुलसीपुर मार्ग समेत कई प्रमुख रास्ते बंद हो गए हैं। बाराबंकी में घाघरा नदी का पानी खतरे के निशान तक पहुंचने के बाद लोगों को डरा रहा है। बहराइच में 12 घर व 300 बीघे जमीन घाघरा में समाहित हो गए हैं। 50 गांवों का संपर्क मुख्यालय से कट गया है। सीतापुर में शारदा व घाघरा दोनों नदियां उफान पर हैं। पानी तटीय इलाके में मौजूद खेतों में भर रहा है। गोंडा में सरयू में पानी बढ़ा है। अयोध्या में सरयू नदी लाल निशान से 54 सेमी. नीचे बह रही है। बाढ़ प्रभावित गांवों तक प्रशासन की ओर से राहत सहायता पहुंचाई जा रही है।
दूसरी ओर कानपुर में बादलों की लुकाछिपी के बीच रविवार को निकली धूप से बढ़ी गर्मी और उमस ने लोगों को खूब सताया। आसपास के जिलों में रविवार को इटावा सर्वाधिक गर्म रहा। यहां अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। प्रयागराज में मानसून की बारिश से कुछ राहत मिलने के बाद अब गर्मी फिर तेवर दिखाने लगी है। रविवार को अधिकतम तापमान 36.8 तथा न्यूनतम 27.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस हफ्ते बादल तो छाए रहेंगे लेकिन, बारिश के आसार कम हैं।