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लखनऊ में गोमती नदी में बनेगा प्रदेश का पहला फ्लोटि‍ंंग स्टेशन, जान‍िए क्‍या होगा फायदा

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुंबई की कंपनी पीटी इकोलॉजिकल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से फ्लोङ्क्षटग ऑनलाइन रिवर मॉनीटरिंग सिस्टम (फोरम) लगवा रहा है। यह संयंत्र एक मीटर गुणे 0.75 मीटर के छोटे आकार का है। इसमें किसी भी प्रकार का रसायन या बिजली का इस्तेमाल नहीं होता है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 09:10 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 07:06 AM (IST)
लखनऊ में गोमती नदी में बनेगा प्रदेश का पहला फ्लोटि‍ंंग स्टेशन, जान‍िए क्‍या होगा फायदा
ऑनलाइन प्राप्त होंगे नदियों के जल की गुणवत्ता के रियल टाइम आंकड़े।

लखनऊ, [शोभित श्रीवास्तव]। नदियों में प्रदूषण फैलाने वालों पर अब 'तैरती नजर' रहेगी। इसके लिए प्रदेश का पहला फ्लोटिंग स्टेशन लखनऊ में बनने जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत गोमती नदी से होगी। इसके लिए सि‍ंंचाई विभाग ने एनओसी दे दी है। गोल नाव के आकार वाले इस संयंत्र के जरिए 24 घंटे सातों दिन नदियों के जल की गुणवत्ता की जांच हो सकेगी। यह फ्लोङ्क्षटग स्टेशन सोलर पावर से चलेंगे। इनके लिए बिजली की कोई जरूरत नहीं होगी। छोटे आकार के इस संयंत्र की खासियत यह है कि इसे किसी भी नदी या नाले में कभी भी लगाया जा सकता है। एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना भी आसान है। 

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उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुंबई की कंपनी पीटी इकोलॉजिकल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से 'फ्लोङ्क्षटग ऑनलाइन रिवर मॉनीटरिंग सिस्टम' (फोरम) लगवा रहा है। यह संयंत्र एक मीटर गुणे 0.75 मीटर के छोटे आकार का है। इसमें किसी भी प्रकार का रसायन या बिजली का इस्तेमाल नहीं होता है। लखनऊ में प्रयोग सफल रहा तो इसे प्रदेश की अन्य नदियों व नालों में लगाया जाएगा। छोटे आकार वाली इस मशीन के जरिये नदियों के जल का पीएच, टर्बिडिटी, कंडक्टिविटी, तापमान, घुलित ऑक्सीजन, अमोनियम ऑयन, बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड, टोटल आर्गेनिक कार्बन, सॉलिड्स, नाइट्रेट व क्लोराइड सहित कुल 18 मानकों के रियल टाइम आंकड़े अफसरों के मोबाइल व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर आते रहेंगे।

'फोरम' की कीमत करीब 15 लाख रुपये है। हालांकि लखनऊ में प्रायोगिक तौर पर कंपनी इसे मुफ्त लगा रही है। लखनऊ में इस संयंत्र की कार्य क्षमता परखी जाएगी। इससे प्राप्त होने वाले आंकड़ों की यदि गुणवत्ता सही पाई गई तो इसे उन नालों व नदियों में लगाया जाएगा, जहां उद्योगों का उत्प्रवाह आता है। साथ ही घरेलू जल-मल निस्तारित होने वाले नालों में भी इसे लगाया जाएगा। इसके लगने से नदियों व नालों के जल की गुणवत्ता का हर समय पता चलता रहेगा। गड़बड़ी होने पर तत्काल कार्रवाई की जा सकेगी।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष तिवारी ने बताया कि ऑनलाइन मॉनीटरि‍ंंग सिस्टम में इस तरह के संयंत्र बोर्ड को और मजबूती प्रदान करेंगे। इसमें जीपीएस भी लगा है, जिससे स्टेशन अपनी लोकेशन बता देगा। इसमें एक सिम भी लगा है जो पानी की गुणवत्ता के आंकड़े भेजता रहेगा। उन्होंने बताया कि यह फ्लोटि‍ंंग स्टेशन नवंबर अंत या दिसंबर के पहले सप्ताह में गोमती नदी में लग जाएगा।

'फ्लोटि‍ंंग स्टेशन को कहीं पर भी लगाना बहुत आसान है। इससे प्रदूषण की निगरानी में मदद मिलेगी। पानी की गुणवत्ता खराब होने पर तत्काल संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी।'  -जेपीएस राठौर, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  


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