लखनऊ: अमीनाबाद के झंडे वाले पार्क में लहराया गया 30.5 मीटर ऊंचा झंडा
स्वतंत्रता संग्राम कालीन पार्क को नाम के अनुरूप दी पहचान।
लखनऊ, जेएनएन। अमीनाबाद के ऐतिहासिक झंडे वाले पार्क में 30.5 मीटर ऊंचा तिरंगा को फहराया गया। स्वतंत्रता संग्राम के इस पार्क को उसके नाम के अनुरूप पहचान दी गई है। मेयर संयुक्ता भाटिया ने झंडा फहराने के बाद कहा कि विवेकानन्द जयंती अवसर पार्क में राज्यपाल राम नाईक आए थे। उन्होंने प्रश्न किया था कि पार्क में झंडा कहा है। तब उन्होंने राज्यपाल से ऐतिहासिक पार्क में ऊंचा झंडा लगाने का वादा किया था।
नगर निगम के मुख्य अभियंता (विद्युत एवं यांत्रिक) राम नगीना त्रिपाठी ने बताया कि यह झंडा बजाज कंपनी ने लगाया है। कंपनी सात साल तक झंडे का रख-रखाव करेगी। 600 वर्गफीट के इस झंडे के फटने एवं क्षतिग्रस्त होने पर या हर छह माह के अंतराल में इसको बदला जाएगा। इसके अतिरिक्त एक हाईमास्ट भी लगाया गया है, जिसमें स्वचालित पैनल द्वारा आठ घंटे का पावर बैकअप है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त सम्बन्धी खगोलीय गणना के हिसाब से हाई मास्ट चालू एवं बन्द हो जाएगा।
अमीनुद्दौला पार्क में पहली बार फहरा था तिरंगा
अमीनाबाद का अमीनुद्दौला पार्क। जनवरी 1928 में क्रांतिकारियों ने पहली बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा कर अंग्रेजी हुकुमत को ललकारा था। तब से इस पार्क को झंडे वाला पार्क के रूप में प्रसिद्धी मिली थी। अवध के चतुर्थ बादशाह अमजद अली शाह के समय में उनके वजीर इमदाद हुसैन खां 'अमीनुद्दौला' को पार्क वाला क्षेत्र भी मिला था, तब इसे इमदाद बाग कहा जाने लगा। इससे पूर्व ब्रिटिश शासनकाल में 1914 में इस इलाके का पुनर्निर्माण कराया गया था और चारों तरफ सड़कें बनाई गई थी। बीच के पार्क को अमीनुद्दौला पार्क का नाम दे दिया गया, लेकिन स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े कई कार्यक्रम होने और झंडा फहराए जाने के कारण इसका नाम झंडे वाला पार्क पड़ गया।
18 अप्रैल 1930 को आजादी के मतवालों ने इसी पार्क में अंग्रेजी हुकूमत के नमक कानून को तोड़कर नमक बनाया था। इतना ही नहीं अगस्त 1935 को क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी भी उस जुलूस में शामिल हुए, जो पार्क में झंडा फहराना चाहते थे। झंडारोहण को रोकते हुए अंग्रेजी सैनिकों ने चारों तरफ से पार्क को घेर लिया था। गुलाब सिंह लोधी अंग्रेजी हुकूमत के सशस्त्र सेना के डरे बिना ही पार्क में घुस गए और उन्होंने एक पेड़ पर चढ़कर तिरंगा फहराया दिया। उसी वक्त अंग्रेजी हुकुमत के एक सिपाही ने गुलाब सिंह लोधी को गोली मार दी थी और वह शहीद हो गए थे।