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गोंडा में तालाब में डूबने से एक परिवार के पांच बच्चों की मौत, गांव में पसरा मातम

गोंडा में तालाब से मिट्टी निकालने के दौरान पांचों बच्चे तालाब में डूब गए। पांचों शवों को बाहर निकाल लिया गया है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। परिवारजन का रो-रोकर हाल बेहाल है। पुलिस मौके पर है।

By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 12:51 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 12:51 PM (IST)
गोंडा में तालाब में डूबने से एक परिवार के पांच बच्चों की मौत, गांव में पसरा मातम
गोंडा के मिश्रौली गांव में एक ही परिवार के पांच बच्चों की तालाब में डूबकर मौत हो गई।

गोंडा, जेएनएन। खोड़ारे थाना क्षेत्र के रसूलखानपुर मिश्रौली गांव में एक ही परिवार के पांच बच्चों के डूबने का मामला सामने आया है। तालाब से मिट्टी निकालने के दौरान पांचों बच्चे डूब गए। शवों को बाहर निकाल लिया गया है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। परिवारजन का रो-रोकर हाल बेहाल है। गांव में मातम छा गया है। हर कोई घटना को लेकर स्तब्ध है।

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यह है घटना: गुरुवार की सुबह करीब 10.30 बजे गांव निवासी दृग नरायन पांडेय के घर के चंचल, शिवाकांत, रागिनी, प्रकाशिनी व मुस्कान गांव के बगल स्थित तालाब से मिट्टी निकालने के लिए गए थे। इसी दौरान एक बच्चा फिसल कर तालाब में चला गया। उसे बचाने के लिए बारी-बारी से सभी तालाब में कूद गए। तालाब से थोड़ी दूर गांव के दो अन्य बच्चे खड़े थे। बच्चों को डूबता देख दोनों गांव की ओर भागे। परिवारजन को डूबने की सूचना दी। जब तक परिवारजन व ग्रामीण तालाब तक पहुंचते तब तक देर हो चुकी थी। तालाब में उतरकर पांचों बच्चों को बाहर निकाला गया। सभी का पेट दबाकर पानी निकालने का प्रयास किया गया लेकिन, सभी बच्चों की मौत हो चुकी थी। इनमें अरविंद कुमार का आठ वर्षीय बेटा आदित्य उर्फ चंचल, छह वर्षीय बेटा शिवाकांत, सुरेंद्र कुमार की आठ वर्षीया बेटी रागिनी, दस वर्षीया बेटी प्रकाशिनी व वीरेंद्र की 14 वर्षीय बेटी मुस्कान शामिल हैं। बच्चों को बचाने के प्रयास में अजय पांडेय भी डूब गया था लेकिन उसे निकाल लिया गया। उसका इलाज चल रहा है। ग्रामीणों की सूचना पर एसडीएम मनकापुर हीरालाल, क्षेत्राधिकारी संजय तलवार, एसओ खोड़ारे महेंद्र सिंह व एसओ छपिया राकेश सिंह टीम के साथ मौके पर पहुंचे।

मातम में बदल गई सुबह: तालाब से मिट्टी लाने निकले बच्चों के परिवारजन को यह नहीं पता था कि अब वह दोबारा घर वापस नहीं लौटेंगे। सुबह सभी बच्चे खा-पीकर निकले थे। कोई कह रहा था कि यह पता होता तो बच्चों को तालाब की तरफ जाने ही नहीं देते। चीख-चीत्कार से परिवारजन का रो-रोकर हाल बेहाल है। ग्रामीण भी एक साथ पांच बच्चों की मौत से स्तब्ध है।


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