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UP में पहली बार हाईपेक तकनीक से हुआ ओवेरियन कैंसर का इलाज, छोटी-छोटी गांठों को भी नष्‍ट करती है ये सर्जरी

लोहिया संस्थान ने प्रदेश में पहली बार हाईपेक तकनीक से ओवेरियन कैंसर से जूझ रही एक महिला की जिंदगी बचाने में कामयाबी हासिल की है। अभी तक राज्य के किसी भी सरकारी संस्थान में इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं हुआ है।

By Rafiya NazEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 02:43 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 02:43 PM (IST)
UP में पहली बार हाईपेक तकनीक से हुआ ओवेरियन कैंसर का इलाज, छोटी-छोटी गांठों को भी नष्‍ट करती है ये सर्जरी
लोहिया संस्‍थान ने हाईपेक तकनीक से ओवेरियन कैंसर से जूझ रही महिला को दिया जीवनदान।

लखनऊ, जेएनएन। लोहिया संस्थान ने प्रदेश में पहली बार हाईपेक तकनीक से ओवेरियन कैंसर से जूझ रही एक महिला की जिंदगी बचाने में कामयाबी हासिल की है। अभी तक राज्य के किसी भी सरकारी संस्थान में इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं हुआ है। इससे इस तरह के कैंसर के मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण भी जगी है। कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. विकास शर्मा ने बताया कि हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनल कीमोथेरेपी (एचआइपीईसी) के जरिए सर्जरी के बाद पेट में बचे कैंसरग्रस्त छोटी-छोटी गांठों को नष्ट किया गया। इससे मरीज पर कीमोथेरेपी का होने वाला दुष्प्रभाव कम हो जाता है।

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राजधानी की 66 साल की बुजुर्ग के लिए पहले नीयो एडजुवेंट कीमोथेरेपी और फिर हाईपेक सर्जरी तकनीक अपनाने की रणनीति बनाई गई। इस तकनीक में सर्जरी के बाद पेट में कैंसर की दवा पहुंचाई जाती है। इसमें हाईपेक मशीन का प्रयोग होता है। मरीज में पहले साइटो रिडक्टिव सर्जरी (सीआरएस) के जरिए गर्भाशय, अंडाशय और आंतों का कुछ हिस्सा, गाल ब्लैडर, पेरीटोनियम, लिम्फ नोड्स को हटाया जाता है। इसके बाद हाईपेक तकनीक से प्रभावित कोशिकाओं पर ही सर्जरी के दौरान कीमोथेरेपी दी जाती है। इससे शरीर में कैंसरग्रस्त बची कोशिकाओं पर तत्काल दवा का असर होता है। मरीज पर कीमोथेरेपी का दुष्प्रभाव कम होता है। एनेस्थिसिया विभागाध्यक्ष डा. दीपक मालवीय ने बताया कि इस तकनीक में मरीज को बेहोशी देना भी चुनौतिपूर्ण होता है। सर्जरी के बाद पोस्ट आपरेटिव वार्ड में पल-पल की निगरानी करनी पड़ती है।

सर्जरी करने वाली टीम में डा. विकास शर्मा के अतिरिक्त डा. गौरव सिंह, डा. अमित गर्ग, डा. गोपी, मेडिकल आंकोलाजिस्ट डा. गौरव गुप्ता, एनेस्थेटिस्ट डा. सुजीत राय, ओटी असिस्टेंट रुद्र, जियाउल, रवींद्र, सिस्टर नम्रता आदि ने सहयोग किया।


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