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UPSSSC के पूर्व अध्यक्ष, सचिव व चार सदस्यों समेत अन्य पर FIR

सपा सरकार में चकबंदी लेखपालों की भर्तियों में धांधली का मामला। जाति विशेष के अधिकतर अभ्यर्थियों का हुआ था चयन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 30 Apr 2019 09:52 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2019 09:52 PM (IST)
UPSSSC के पूर्व अध्यक्ष, सचिव व चार सदस्यों समेत अन्य पर FIR
UPSSSC के पूर्व अध्यक्ष, सचिव व चार सदस्यों समेत अन्य पर FIR

लखनऊ, जेएनएन। सपा सरकार में चकबंदी लेखपालों की भर्ती में हुई गड़बड़ी के मामले में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) के तत्कालीन अध्यक्ष राजकिशोर यादव, सदस्य सुरेशचंद्र यादव, डॉ. बबीता देवी लाठर, अब्दुल गनी, केशव राम, विनय श्रीवास्तव और सचिव महेश प्रसाद समेत अन्य के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज की गई है। उच्चस्तरीय जांच में विभागीय अफसरों के साथ ही आयोग को भी भर्तियों में अनियमितता का दोषी पाया गया था। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष-सचिव के साथ ही संबंधित अधिकारियों के खिलाफ साजिश के तहत आपराधिक कृत्य करने की एफआइआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

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ये है मामला 

वर्ष 2015-16 में तत्कालीन अखिलेश सरकार में चकबंदी लेखपालों के खाली पड़े 2831 पदों को भरने का अधियाचन चकबंदी निदेशालय से आयोग को भेजा गया था। आयोग को 1901 सामान्य श्रेणी, अनुसूचित जाति (एससी) के 50, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के 63, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 769 अभ्यर्थियों का चयन करना था। आयोग ने 2783 अभ्यर्थियों का चयन कर 12 सिंतबर 2016 को कवङ्क्षरग लेटर के साथ संबंधित सूची चकबंदी आयुक्त को भेज दी। इसमें सामान्य वर्ग के 1901 के बजाय 920, एससी के 50 के स्थान पर 104, एसटी के 64 के स्थान पर 65 और ओबीसी के 769 पदों के अधियाचन पर 1694 अभ्यर्थियों के चयन की सूची उपलब्ध कराई गई थी। ओबीसी के कहीं अधिक चयनित 925 अभ्यर्थियों में ज्यादातर जाति विशेष के थे।

उच्चस्तरीय जांच में उजागर हुआ था खेल

मामला सामने आने के बाद कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) डॉ. प्रभात कुमार ने उच्चस्तरीय जांच की थी, जिसमें फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। जांच में पता चला था कि कवङ्क्षरग लेटर में 48 पदों को छोड़ (47 विकलांग कोटे के और एक कोर्ट के आदेश पर) अधियाचन के मुताबिक चयन दिखाया गया था, लेकिन सूची में अलग था। चकबंदी विभाग से भी इस मामले में आयोग से स्थिति स्पष्ट नहीं कराई गई और सभी को जिलों में तैनाती भी दे दी गई थी। यही नहीं, विभाग के अफसरों ने मिलीभगत कर गड़बड़ी छिपाने के लिए मौजूदा सरकार में ही 1364 और चकबंदी लेखपालों की भर्ती का अधियाचन तत्कालीन चकबंदी आयुक्त के हस्ताक्षर से आयोग को भेज दिया था। ध्यान रहे, प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी मिलने पर 1364 का अधियाचन पहले ही निरस्त कर सरकार ने चकबंदी आयुक्त शारदा सिंह और तत्कालीन अपर संचालक चकबंदी (प्रा.) सुरेश सिंह यादव को निलंबित कर दिया था।


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