Move to Jagran APP

Fight From Corona in UP: लखनऊ के केजीएमयू में COVID-19 मरीज को प्लाज्मा की पहली डोज

Fight From CoronaVirus in UP मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना पर प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की शुरूआत हो गई । लखनऊ में रविवार को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से इसका आगाज हो गया

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 07:39 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 12:58 PM (IST)
Fight From Corona in UP: लखनऊ के केजीएमयू में COVID-19 मरीज को प्लाज्मा की पहली डोज

लखनऊ, जेएनएन। जानलेवा कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने तथा इससे प्रभावित लोगों की जान बचाने की खातिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना पर प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की शुरूआत हो गई है। लखनऊ में रविवार को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से इसका आगाज हो गया है।

loksabha election banner

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोर टीम के साथ रविवार को सुबह बैठक में कहा था कि अब कोरोना प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। प्रदेश के अस्पतालों में सभी आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में पहुंचे कोरोना मरीज की लगातार गंभीर होती हालत देख उसकी जिंदगी बचाने के लिए लखनऊ की पहली कोरोना पीडि़त खुद आगे आईं। उन्होंने कल ही रमजान के पाक महीने में प्लाज्मा दान कर नेकी की मिसाल कायम की। वेंटीलेटर पर मौत से संघर्ष कर रहे मरीज को रात में प्लाज्मा की पहली डोज दे दी गई है। अब डॉक्टर्स को उसकी हालत में सुधार का इंतजार है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में शुक्रवार को एक डॉक्टर (एनेस्थीसिया विशेषज्ञ) को भर्ती कराया। यह डॉक्टर 1981 बैच के जॉर्जिंयस हैं। उरई में सरकारी चिकित्सक भी हैं। रविवार को कोरोना पीडि़त डॉक्टर की हालत गंभीर हो गई। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें ऑक्सीजन का सपोर्ट दिया गया। स्थिति में सुधार न होने पर प्लाज्मा थेरेपी देने की योजना बनाई गई। उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो गया था। उनकी वेंटिलेटर पर भी स्थिति नियंत्रित नहीं हो रही थी। ऐसी हालत में उन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी गई। केजीएमयू में शुक्रवार को रेजीडेंट डॉक्टर व एक अन्य व्यक्ति ने प्लाज्मा डोनेट किया था। दोनों का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटिव था, जबकि उरई के डॉक्टर का ‘ओ’ पॉजिटिव। तब कोरोना से ठीक होने वाली गोमतीनगर की महिला डॉक्टर को बुलाया गया। महिला डॉक्टर ने 500 एमएल प्लाज्मा डोनेट किया। इसमें से 200 एमएल प्लाज्मा चढ़ाया गया। अब दो दिन बाद रिस्पांस देखने के बाद दूसरी थेरेपी दी जाएगी।

शाम को प्लाज्मा दान, पहले कई टेस्ट

कनाडा से लौटी गोमती नगर निवासी महिला में 11 मार्च को कोरोना की पुष्टि हुई थी। इनका ब्लड ग्रुप-ओ था। वहीं गंभीर मरीज का ब्लड ग्रुप भी ओ मिला। ऐसे में कॉल कर उन्हें बुलाया गया। ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक, पहले महिला का कोरोना टेस्ट कराया गया। इसके बाद कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट, एचआइवी, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, मलेरिया, सिफलिस, सीरम प्रोटीन व ब्लड ग्रुप मैचिंग की गई। तभी प्लाज्मा का संग्रह किया गया।

ऑक्सीजन लेवल गड़बड़ाया, रात में चढ़ाया प्लाज्मा

संक्रामक रोग यूनिट के इंचार्ज डॉ. डी हिमांशु के मुताबिक, मरीज को आठ लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन पर रखा गया। बावजूद उनमें 90 फीसद ऑक्सीजन की पूर्ति ही हो पा रही थी। ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी देने का फैसला किया गया। फिलहाल ठीक हो चुकी महिला का संग्रह 500 एमएल प्लाज्मा में से 200 एमएल चढ़ाया गया। अब दूसरे दिन 200 एमएल चढ़ाया जाएगा।

डॉक्टर का प्लाज्मा डॉक्टर को चढ़ा

बीमारी से उबर चुकी महिला मरीज चिकित्सक है। वहीं भर्ती मरीज भी डॉक्टर हैं। ऐसे में एक डॉक्टर ने दूसरे डॉक्टर की जिंदगी बचाने की पहल की। प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्ति के खून से प्लाज्मा निकालकर उस व्यक्ति को चढ़ाया जाता है, जिसे कोरोना है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि जो व्यक्ति कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो चुका है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। जब इसे कोरोना से जूझ रहे मरीज को चढ़ाया जाता है, तो उसकी इम्युनिटी बढ़ती है।

इस थेरेपी से बढ़ाते हैं इम्युनिटी

प्लाज्मा थेरेपी पर केजीएमयू में रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य प्रो. सूर्यकान्त ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी का कोरोना के इलाज में क्या और कितना उपयोग है, इसके बारे में बताया।  प्रो. सूर्यकान्त ने बताया कि इस थेरेपी से हम इम्युनिटी कम वाले मरीजों को किसी दूसरे (जो संक्रमण से ठीक हो चुका है) का प्लाज्मा लेकर उसकी इम्युनिटी बढ़ाते हैं।

यह प्लाज्मा रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाने का काम रहता है। यह वायरस का मारता नहीं है, केवल इम्युनिटी बढ़ाने का काम करता है, ताकि मरीज का शरीर वायरस से लड़ सके। इस तरह से हम कह सकते हैं कि प्लाज्मा थेरेपी एक कारगार उपाय हो सकती है। प्रो. सूर्यकान्त उस टीम के भी सदस्य है, जो केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी पर रिसर्च के लिए बनाई गई है।

जागरण ने जगाई थी प्लाज्मा थेरेपी की उम्मीद

केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कोरोना मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी शुरू करने का प्रस्ताव भेजा था। दैनिक जागरण ने 27 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसके साथ ही कोरोना की महामारी से निपटने के लिए प्लाज्मा थेरेपी को अहम बताया। इसके बाद आइसीएमआर ने भी देश में प्लाज्मा थेरेपी को हरी झंडी दी।

पहले भी प्लाज्मा थेरेपी का हो चुका प्रयोग

डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, यह 'कनवेलिसेंट प्लाज्मा' कहलाता है। वर्ष 2003 में सार्स कोव-वन, 2012 में मर्स कोव के मरीजों में भी कनवेलिसेंट प्लाज्मा चढ़ाया गया था। इन बीमारियों के गंभीर मरीजों में परिणाम सार्थक आए। कई देशों में वर्ष 2009-10 में स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए कनवे लिसेंट प्लाज्मा चढ़ाने की विधि अपनाई गई।

यह दे सकते हैं प्लाज्मा

-कोरोना के मरीजों में लैब से वायरस निगेटिव की पुष्टि हो।

-मरीज में संक्रमण से मुक्त हुए 14 दिन बीत चुके हों।

-डोनेशन से पहले मरीज के नाक-गले के स्वैब की रिपोर्ट निगेटिव हो।

कोरोना के इन मरीजों में चढ़ेगा प्लाज्मा।

-कोराना पुष्टि वाले ऐसे मरीज जिनकी जान को खतरा हो।

-उसका रेस्परेटरी रेट प्रति मिनट 30 से ज्यादा हो।

-ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा 93 फीसद से कम हो गई हो।

-एक्स-रे में फेफड़े में धब्बा 48 घंटे में 50 फीसद बढ़े गए हों।

-रेस्परेटरी फेल्योर, सेप्टिक शॉक,मल्टी ऑर्गन फेल्योर मरीज।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.