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अनुसूचित जाति के 58000 दशमोत्तर छात्रों की उम्मीदों को योगी सरकार का झटका

सरकार की कार्यशैली ने समाज कल्याण विभाग की दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति लाभ पाने से वंचित अनुसूचित जाति के 58 हजार छात्रों की उम्मीदों को झटका दिया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 10:38 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 10:40 PM (IST)
अनुसूचित जाति के 58000 दशमोत्तर छात्रों की उम्मीदों को योगी सरकार का झटका
अनुसूचित जाति के 58000 दशमोत्तर छात्रों की उम्मीदों को योगी सरकार का झटका

जेएनएन, लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही अफसरों को अनुसूचित जाति के छात्रों के हितों की अनदेखी न करने का निर्देश देते रहे हों लेकिन, सरकार की कार्यशैली ने पिछले साल समाज कल्याण विभाग की दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ पाने से वंचित रह गए अनुसूचित जाति के 58 हजार छात्रों की उम्मीदों को झटका दिया है। गरीब वर्ग के इन छात्रों को 177.43 करोड़ रुपये का भुगतान होना है लेकिन, वे वित्त विभाग की बेरुखी का खामियाजा भुगत रहे हैं। योजना के तहत पात्रता पर खरा उतरने के बावजूद उन्हें अपनी जेब से पढ़ाई की फीस भरनी पड़ी है। 

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दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत समाज कल्याण विभाग हाईस्कूल से आगे की पढ़ाई करने वाले अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के उन छात्रों के शुल्क की भरपाई करता है जिनके अभिभावकों की वार्षिक आय दो लाख रुपये से कम होती है। शैक्षिक सत्र 2017-18 में इस योजना के तहत सरकार ने अनुसूचित जाति के 12,38,139 छात्रों को 1807.67 करोड़ रुपये की शुल्क प्रतिपूर्ति की थी। इसके बावजूद अनुसूचित जाति के 58093 छात्र पिछले साल दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ पाने से वंचित रह गए। इनमें 17032 छात्र ऐसे हैं जिन्हें सत्यापन के बाद मार्च 2018 में शुल्क प्रतिपूर्ति स्वीकृत हो चुकी थी लेकिन बजट के अभाव में उन्हें भुगतान नहीं हो सका। यह सभी छात्र शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए नए आवेदन करने वाले थे। 

वहीं 16486 छात्र ऐसे हैं जिन्हें भुगतान तो हुआ था लेकिन, विभिन्न कारणों से ट्रांजेक्शन फेल हो गया जैसे कि बैंक द्वारा खाता बंद कर दिया जाना, खाता डारमेंट हो जाना, खाताधारक का केवाईसी न होना, खाते में न्यूनतम बैलेंस न होना या बैंक द्वारा अधिकतम क्रेडिट सीमा तय किये जाने के कारण उससे अधिक धनराशि जाने पर ट्रांजेक्शन फेल हो जाना आदि। इन छात्रों के लिए 29.16 करोड़ रुपये की धनराशि भेजी गई थी। इनके अलावा 24575 छात्र ऐसे हैं जिनके शुल्क प्रतिपूर्ति के आवेदन किन्हीं कारणों से संदिग्ध ठहरा दिये गए थे, जबकि इसमें छात्रों का कोई दोष नहीं था। इन छात्रों के मामलों में जिला स्तरीय समिति ने मार्च में निर्णय नहीं किया। इन छात्रों के बारे में निर्णय हुआ मई-जून में। जिला स्तरीय समिति से अनुमोदन के बावजूद उन्हें शुल्क प्रतिपूर्ति का इंतजार है। वित्त विभाग ने इन छात्रों को शुल्क प्रतिपूर्ति करने की मंजूरी देने से मना कर दिया है। वहीं पूर्व के वर्षों में योजना का लाभ पाने से वंचित रह गए अनुसूचित जाति के छात्रों को अगले सत्र में शुल्क की प्रतिपूर्ति हुई है।


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